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    राजनीति विज्ञान

    PRACTICE QUESTION PAPER SOLVED

     (2022-23)

    CLASS-XI

    TIME:3 Hours.                                                            M.M.-80

    निर्देश:

    (1) इस प्रश्न पत्र में कुल 30 प्रश्न है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

    (2) प्रश्न संख्या 1-12 प्रत्येक 1 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न हैं।

    (3) प्रश्न संख्या 13-18 प्रत्येक 2 अंक के हैं। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 50 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

    (4) प्रश्न संख्या 19-23 प्रत्येक 4 अंक का है। इन प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर 100 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

    (5) प्रश्न संख्या 24-26 गद्यांश, कार्टून और चित्र आधारित प्रश्न हैं। तदनुसार उत्तर दें।

    (6) प्रश्न संख्या 27-30 प्रत्येक 6 अंक का है। इन प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर 170 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

    (7) 6 अंकों के प्रश्नों में आंतरिक विकल्प है।

    1 अंकीय प्रश्न

    प्रश्न 1. मानव अधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा कब की गई?

    A.10 दिसंबर 1947

    B.10 दिसंबर 1948

    C.10 दिसंबर 1949

    D.10 दिसंबर 1950

    उत्तर. B.10 दिसंबर 1948

    प्रश्न 2. संसदीय शासन प्रणाली के संदर्भ में इनमें से कौन सा कथन गलत है?

    A.प्रधानमंत्री वास्तविक शक्तियों का प्रयोग करता है।

    B.राष्ट्रपति नाम मात्र का शासक होता है।

    C.सामूहिक उत्तरदायित्व होता है।

    D.राष्ट्रपति जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है।

    उत्तर. D.राष्ट्रपति जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है।

    प्रश्न 3. इनमें से कौन सा मुकदमा सीधे सर्वोच्च न्यायालय में सुना जा सकता है?

    A.राज्य और राज्य के बीच मतभेद।

    B.राज्य और केंद्र के बीच मतभेद।

    C.मौलिक अधिकार।

    D.उपरोक्त सभी।

    उत्तर. D.उपरोक्त सभी।

    प्रश्न 4. मेरे लिए वास्तविक मुक्ति भय से मुक्ति है। भय से मुक्त हुए बिना आप गरिमा पूर्ण मानवीय जीवन नहीं जी सकते। यह कथन इनमें से किस व्यक्ति का है?

    A.नेल्सन मंडेला

    B.आंग सान सू की

    C.रोजा पार्क्स

    D.महात्मा गांधी

    उत्तर. B.आंग सान सू की

    कथन कारण प्रश्न।

    प्रश्न संख्या 5 और 6 के लिए निर्देश।

    नीचे दिए गए प्रश्न में, दो कथनों को अभिकथन (A) और कारण (R) के रूप में चिह्नित किया गया है। इन कथनों को पढ़िए और दिए गए विकल्पों में से एक सही उत्तर चुनिए-

    (A) A और R दोनो सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।

    (B) A और R दोनो सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या नहीं है।

    (C) A सही है लेकिन R गलत है।

    (D) A गलत है लेकिन R सही है।

    प्रश्न 5. कथन : अनुच्छेद 25 में कहा गया है कि सभी व्यक्तियों को किसी भी धार्मिक विश्वास को मानने और उसका प्रचार करने का अधिकार है।

    कारण : राज्य धार्मिक प्रथाओं से जुड़ी आर्थिक, वित्तीय, राजनीतिज्ञ अन्य धर्मनिरपेक्ष गतिविधियों को विनियमित या प्रतिबंधित नहीं कर सकता।

    उत्तर. (A) A और R दोनो सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।

    प्रश्न 6. कथन : अधिकार सिर्फ यह ही नहीं बताते कि राज्य को क्या करना है वे यह भी बताते हैं कि राज्य को क्या कुछ नहीं करना है।

    कारण : राज्य किसी व्यक्ति को सलाखों के पीछे करना चाहता है तो उसे न्यायालय के समक्ष उसके कारण भी बताने पड़ेंगे।

    उत्तर. (A) A और R दोनो सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।

    प्रश्न 7. इनमें से कौन सा राजनीतिक विचारक सकारात्मक स्वतंत्रता का समर्थक है?

    A.लास्की

    B. टी एच ग्रीन

    C.एडम स्मिथ

    D. रूसो

    उत्तर. A. और B.

    प्रश्न 8. Justice शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?

    A.लैटिन

    B.ग्रीक

    C.अरबी

    D.फारसी

    उत्तर. A.लैटिन

    प्रश्न 9. The Republic पुस्तक का लेखक कौन है ?

    A.अरस्तू

    B.प्लेटो

    C.सुकरात

    D.रूसो

    उत्तर. B.प्लेटो

    प्रश्न 10. लोकतांत्रिक समाज की बुनियाद के रूप में इनमें से कौन कार्य करता है?

    A.अधिकार

    B.कर्तव्य

    C.नेता

    D.राजा

    उत्तर. A.अधिकार

    प्रश्न 11. भारत की नागरिकता इनमें से किन तरीकों से प्राप्त की जा सकती है?

    A.जन्म से

    B.पंजीकरण से

    C.वंश परंपरा से

    D.उपरोक्त सभी

    उत्तर. D.उपरोक्त सभी

    प्रश्न 12. भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द कब जोड़ा गया?

    A. 1975

    B. 1976

    C. 1978

    D. 1980

    उत्तर. B. 1976

    2 अंकीय प्रश्न

    प्रश्न 13. राजनीतिक सिद्धांत के महत्व का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. राजनीतिक सिद्धांत के माध्यम से हमें भविष्य की योजनाएं बनाने में मदद होती है जैसे कि राजनीतिक विचारक कई सारी बातें तय कर पाते हैं कि भविष्य में क्या संभव हो सकता है। राजनीतिक सिद्धांत लोगों को अधिक जागरूक बनाने का कार्य भी करता है इसलिए भी राजनीतिक सिद्धांत का अपना एक विशेष महत्व है।

    प्रश्न 14. भारतीय निर्वाचन आयोग के किन्हीं दो कार्यों को लिखिए।

    उत्तर. भारतीय निर्वाचन आयोग के प्रमुख दो कारें इस प्रकार है -

    1. चुनाव की तिथियां घोषित करना।

    2. चुनाव परिणाम जारी करना।

    प्रश्न 15. सामाजिक न्याय प्राप्त कराने के लिए सरकार के किन्हीं दो प्रयासों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. सामाजिक न्याय की स्थापना करने के लिए सरकार कई प्रकार के प्रयास करती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं -

    1. सरकार द्वारा अंत्योदय कार्ड बनाया जाना जिससे कि गरीबों में सबसे गरीब को अधिक सुविधा दी जा सके।

    2. महिलाओं के लिए कई प्रकार की विशेष योजनाएं चलाई जाती है जिससे कि महिलाओं का सर्वाधिक विकास संभव हो सके।

    प्रश्न 16. सकारात्मक कार्यवाही समानता को बढ़ावा देता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?

    उत्तर. सकारात्मक कार्यवाही का अर्थ है समाज के वंचित वर्गों को विशेष सुविधा देना जैसे कि आरक्षण आदि का प्रावधान करना क्योंकि वंचित वर्ग समाज की मुख्यधारा से काफी पीछे छूट गए हैं तो इनके लिए यह सकारात्मक कार्यवाही बहुत ही आवश्यक है।

    प्रश्न 17. निवारक नजरबंदी से आप क्या समझते हैं?

    उत्तर. निवारक नजरबंदी सरकार द्वारा उठाए जाने वाले ऐसा कदम होता है जिसमें किसी व्यक्ति को अपराध करने से पहले नजरबंद कर दिया जाता है। यदि सरकार को यह आभास होता है कि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है तो ऐसे व्यक्ति को नजरबंद कर दिया जाता है।

    प्रश्न 18. मानव अधिकार वर्तमान समय में बहुत ही महत्वपूर्ण बन गए हैं। स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर. मानव अधिकारों की घोषणा 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा की गई थी। मानव अधिकार वर्तमान समय में बहुत ही महत्वपूर्ण बन गए हैं और प्रत्येक देश अपने नागरिकों को मानव अधिकार प्रदान करने का पूरा प्रयास कर रहा है। मानव अधिकारों के हनन होने पर बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करती हैं तो इसलिए प्रत्येक देश मानवाधिकारों का सम्मान करता है और उन्हें प्रदान करने का प्रयास करता है।

    4 अंकीय प्रश्न

    प्रश्न 19. 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद स्थानीय शासन में क्या बदलाव हुआ है?

    उत्तर. 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के बाद भारतीय स्थानीय शासन में बहुत बदलाव नजर आया है। इनमें से कुछ बदलाव इस प्रकार हैं

    1. इन संविधान संशोधन के बाद प्रत्येक 5 वर्ष में निर्वाचन कराना अनिवार्य हो गया है।

    2. इसके साथ ही चुनाव क्षेत्रों में महिलाओं तथा अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है।

    3. इन स्थानीय शासन की इकाइयों को अब संविधान में वर्णित कर दिया गया है। जिसके कारण अब इन स्थानीय संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हो गया है।

    4. इन संविधान संशोधन के बाद इन स्थानीय शासन की इकाइयों को वित्तीय मदद करने के लिए एक राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान भी किया गया है।

    5. 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के बाद इन स्थानीय संस्थाओं को राज्य सूची से निकालकर कुछ विषय भी दिए गए हैं जिन पर यह संस्थाएं कार्य कर सकती हैं।

    प्रश्न 20. सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली और समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में प्रमुख अंतर स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर. सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली और समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में कुछ प्रमुख अंतर हम इस प्रकार से समझ सकते हैं -

    1. सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली में वह व्यक्ति विजई होता है जिसने सबसे ज्यादा मत प्राप्त किया हो वहीं दूसरी तरफ समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में एक निश्चित अनुपात में मत प्राप्त करने होते हैं।

    2. सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली में मतदाता प्रतिनिधि को मत देता है जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में मतदाता पार्टी को मत देता है।

    3. सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली के अंतर्गत पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बांट दिया जाता है जिसे निर्वाचन क्षेत्र के आते हैं वहीं दूसरी तरफ समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में पूरे क्षेत्र को एक ही निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है।

    4. सर्वाधिक से जीतने वाली प्रणाली में एक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुनाव जीतता है जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।

    5. सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली मुख्य रूप से ब्रिटेन और भारत में अपनाई जाती है जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली इजरायल और नीदरलैंड जैसे देशों में प्रयोग में लाई जाती है।

    प्रश्न 21. भारतीय संविधान का कौन सा मौलिक अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है और क्यों?

    उत्तर. वैसे तो भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार बहुत ही महत्वपूर्ण लेकिन हम यदि किसी एक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार की बात करें तो इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार संवैधानिक उपचारों का अधिकार को कहा जा सकता है क्योंकि इस मौलिक अधिकार के माध्यम से बाकी की सभी मौलिक अधिकारों की सुरक्षा होती है और यह मौलिक अधिकार बाकी के मौलिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान करता है। संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत पांच लेख या रिट का वर्णन किया गया है जो कि इस प्रकार है -

    1. बंदी प्रत्यक्षीकरण - बंदी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा न्यायालय किसी भी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है और यदि उस व्यक्ति को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया होता है तो न्यायालय उस व्यक्ति को छोड़ने का आदेश भी दे सकता है।

    2. परमादेश - यह आदेश तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।

    3. निषेध आदेश - यह आदेश न्यायालय द्वारा तब पारित किया जाता है जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है। इस आदेश या रिट के द्वारा सर्वोच्च या उच्च न्यायालय निचली अदालत को ऐसा करने से रोकते हैं।

    4. अधिकार पृच्छा - यह आदेश या रिट न्यायालय द्वारा द्वारा तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है जिस पर उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इस आदेश के द्वारा न्यायालय उस व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोक देता है।

    5. उत्प्रेषण लेख - जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी बिना अधिकार के कोई कार्य करता है तो न्यायालय उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उससे लेकर उत्प्रेषण द्वारा उसे ऊपर की अदालत या अधिकारी को हस्तांतरित कर देता है।

    प्रश्न 22. धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? भारतीय धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताएं लिखिए।

    उत्तर. धर्मनिरपेक्षता शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है जब किसी राज्य के द्वारा कोई शासकीय धर्म घोषित ना किया जाए और राज्य में रहने वाले सभी लोगों के धर्मों को समान संरक्षण और सुरक्षा प्रदान की जाए तथा प्रचार प्रसार के अवसर दिए जाएं। भारतीय धर्मनिरपेक्षता की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं -

    1. भारतीय धर्मनिरपेक्षता की धारणा में धर्म और राज्य का एक दूसरे के मामले में हस्तक्षेप ना करने की अटल नीति का अनुसरण किया जाता है।

    2. हमारी धर्मनिरपेक्षता की नीति में एक धर्म के भिन्न-भिन्न पंथों के बीच समानता पर जोर दिया जाता है।

    3. हमारी धर्मनिरपेक्षता की नीति में विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच समानता एक मुख्य सरोकार है।

    4. भारतीय धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का विशेष ध्यान रखा जाता है।

    5. भारतीय धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा भी व्यक्ति और धार्मिक समुदायों दोनों के अधिकारों का संरक्षण किया जाता है।

    प्रश्न 23. राष्ट्रवाद की प्रमुख सीमाएं कौन-कौन सी हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।

    उत्तर. राष्ट्रवाद की प्रमुख सीमाएं निम्नलिखित हैं -

    1. धार्मिक विभिन्नता काफी हद तक राष्ट्रवाद की भावना को कमजोर करती है और लोगों के बीच राष्ट्रवाद की भावना को तोड़ देती है।

    2. राष्ट्रवाद की एक प्रमुख सीमा क्षेत्रवाद की भावना का उभार भी है जब किसी क्षेत्र विशेष के लोग अपने क्षेत्र विशेष पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं तो राष्ट्रवाद धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है।

    3. आर्थिक असमानता भी राष्ट्रवाद की भावना को कमजोर करता है जब किसी देश में कुछ क्षेत्रों का असमान आर्थिक विकास होता है तो ऐसे में राष्ट्रवाद की भावना कमजोर हो जाती है

    4. जब किसी देश में नैतिक मूल्यों का पतन हो जाता है तो ऐसे में राष्ट्रवाद की भावना भी समाप्त होने लगती है।

    5. राष्ट्रवाद की एक प्रमुख सीमा के रूप में यह भी देखा गया है कि भाषा राष्ट्र को एकजुट करने और तोड़ने में समान भूमिका निभाती है।

    6. यदि किसी देश में एक बेहतर शिक्षा प्रणाली स्थापित नहीं है तो ऐसे में राष्ट्रवाद की भावना एक स्वप्न जैसा बन जाता है और धीरे-धीरे राष्ट्र पतन की ओर जाने लगता है।

    प्रश्न 24. निम्नलिखित गद्यांश का ध्यान पूर्वक अध्ययन कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

    भारत के संविधान में औपचारिक रूप से संघ की कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति को दी गई है। पर वास्तव में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी मंत्रिपरिषद के माध्यम से राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग करता है। राष्ट्रपति 5 वर्ष के लिए चुना जाता है। राष्ट्रपति पद के लिए सीधे जनता के द्वारा निर्वाचन नहीं होता। राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष तरीके से होता है। इसका अर्थ यह है कि राष्ट्रपति का निर्वाचन आम नागरिक नहीं बल्कि निर्वाचित विधायक और सांसद करते हैं। यह निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय सिद्धांत के अनुसार होता है।

    1. राष्ट्रपति के निर्वाचन में इनमें से कौन कौन भाग लेता है?

    A. विधायक

    B. सांसद

    C. सरपंच

    D. A और B दोनों।

    उत्तर. D. A और B दोनों।

    2. राष्ट्रपति पद के लिए न्यूनतम आयु कितनी निर्धारित की गई है?

    A. 30

    B. 35

    C. 40

    D. 25

    उत्तर. B. 35

    3. भारत में संघीय कार्यपालिका का प्रमुख कौन होता है?

    A. राष्ट्रपति

    B. प्रधानमन्त्री

    C. उपराष्ट्रपति

    D. मुख्य न्यायाधीश

    उत्तर. A. राष्ट्रपति

    4. राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्षों का निर्धारित किया गया है?

    A. 5

    B. 6

    C. 7

    D. 10

    उत्तर. A. 5

    प्रश्न 25. दिए गए कार्टून का ध्यान पूर्वक अध्ययन कीजिए और इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।


    1. उपर्युक्त चित्र किस अवधारणा से सम्बंधित है ?

    A. स्वतंत्रता

    B. समानता

    C. न्याय

    D. अधिकार

    उत्तर. B. समानता

    2. समानता का अधिकार भारत के संविधान में किस अनुच्छेद में वर्णित है?

    A. 14-18

    B. 19-22

    C. 23-24

    D. 25-28

    उत्तर. A. 14-18

    3. भारत में अभी भी कुछ क्षेत्रों में समानता के अधिकार की प्राप्ति किस वर्ग के लोगों को नहीं हो पाई है?

    A. व्यापारी

    B. शिक्षित

    C. अनुसूचित जाति और जनजाति

    D. सामान्य वर्ग

    उत्तर. C. अनुसूचित जाति और जनजाति

    4. समानता स्थापित करने के लिए सरकार को क्या प्रयास करने चाहिए?

    A. सकारात्मक कार्यवाही

    B. विभेदक व्यवहार

    C. समान अवसर

    D. उपर्युक्त तीनों।

    उत्तर. D. उपर्युक्त तीनों।

    प्रश्न 26. निम्नलिखित चित्र का ध्यान पूर्वक अध्ययन कीजिए और इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

    1. चित्र में दर्शाई गई महिला किस देश से संबंधित है?

    A. नेपाल

    B. भूटान

    C. म्यांमार

    D. मालदीव

    उत्तर. C. म्यांमार

    2. उपर्युक्त चित्र में दर्शाए गए नेता को पहचानिए।

    A. आंग सान सूं की

    B. शर्मिला

    C. रोजा पार्क्स

    D. मलाला यूसुफजई

    उत्तर. A. आंग सान सूं की

    3. उपर्युक्त चित्र में दर्शाए गए नेता ने कौन सी पुस्तक लिखी है?

    A. Freedom From Fear

    B. A long walk to freedom

    C. Hind Swaraj

    D. Beyond the Freedom

    उत्तर. A. Freedom From Fear

    4. उपर्युक्त चित्र में दर्शाए गए नेता ने गरिमा पूर्ण मानवीय जीवन जीने के लिए किसे सर्वाधिक जरूरी बताया है?

    A. भय से मुक्ति

    B. लालच से मुक्ति

    C. ईर्ष्या से मुक्ति

    D. असमानता से मुक्ति

    उत्तर. A. भय से मुक्ति

    6 अंकीय प्रश्न

    प्रश्न 27. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. भारतीय संविधान की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं -

    1. भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता यह है कि यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।

    2. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता यह है कि हमारे संविधान में संघीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया है।

    3. भारतीय संविधान की एक विशेषता यह भी है कि इसमें मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है और प्रत्येक भारतीय को छह मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।

    4. भारत का संविधान कठोर और लचीले संविधान का मिश्रण है अर्थात भारतीय संविधान ना तो अधिक कठोर है और ना ही अधिक लचीला है।

    5. भारतीय संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है इसका मतलब यह है कि प्रत्येक भारतीय को एक ही नागरिकता प्राप्त होगी।

    6. भारतीय संविधान की एक विशेषता यह भी है कि इसमें राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन किया गया है जिससे राज्य एक आदर्श शासन व्यवस्था संचालित कर सकें।

    7. भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि इसमें स्वतंत्र और सर्वोच्च न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है।

    8. भारतीय संविधान के प्रमुख विशेषता यह भी है कि इसके अंतर्गत वयस्क मताधिकार को अपनाया गया है अर्थात प्रत्येक भारतीयों को जो व्यस्त हो चुका है उसे मतदान का अधिकार होगा।

    अथवा

    भारतीय संविधान की एकात्मक विशेषताओं को दर्शाने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. भारत में संघीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है और यहां पर शक्तियों का विभाजन किया गया है। भारत में केंद्र सरकार राज्य सरकार और स्थानीय सरकारों की व्यवस्था की गई है जिससे की शक्तियों का विभाजन बेहतर तरीके से किया जा सके। इसके बावजूद भी भारतीय संविधान में कुछ ऐसे प्रावधान है जिन से यह साबित होता है कि भारत में राज्य सरकारों की तुलना में संघ सरकार अधिक शक्तिशाली है। ऐसे कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार है -

    1. भारत में विषयों का विभाजन तीन सूचियों के माध्यम से किया गया है जिन्हें संघ सूची राज्य सूची और समवर्ती सूची के नाम से जाना जाता है। इन सब में सबसे महत्वपूर्ण विषयों को संघ सूची के विषयों में डाला गया है जो दर्शाते हैं कि संघ सरकार अधिक महत्वपूर्ण है।

    2. विषयों के इन तीन सूचियों के अलावा जब भी किसी नए विषय पर कानून बनाना होता है जिसे अवशिष्ट विषय के नाम से जानते हैं तो उस पर केवल केंद्र सरकार ही कानून बना सकती है।

    3. समवर्ती सूची के विषय पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही कानून बना सकती हैं लेकिन यदि समवर्ती सूची के किसी विषय पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों कानून बनाती है तो केवल केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानूनी मान्य होता है।

    4. भारतीय संविधान में संशोधन करने की शक्ति संसद को दी गई है केवल कुछ विषयों में राज्यों की सहमति आवश्यक होती है इसके अलावा सभी विषयों पर संशोधन करने की शक्ति संसद को दी गई है जो केंद्र की शक्ति को दर्शाता है।

    5. अखिल भारतीय सेवा के माध्यम से नियुक्त किए जाने वाले अधिकारी केंद्र सरकार के नियंत्रण में होते हैं और इन अधिकारियों की नियुक्ति भारत के किसी भी राज्य में की जाती है। ये सभी अधिकारी केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करते हैं।

    6. राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति भी केंद्र सरकार को सशक्त बनाती है। राज्यपाल राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त होता है और सरकार को विभिन्न जानकारियां प्रदान करता है। कभी-कभी राज्यपाल को केंद्र सरकार का एजेंट भी कहा जाता है।

    7. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 249 के माध्यम से यदि राज्यसभा किसी राज्य सूची के विषय को महत्वपूर्ण घोषित कर देती है तो उस पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को हो जाता है।

    प्रश्न 28. 42 वें संविधान संशोधन को लघु संविधान के नाम से भी जाना जाता है। कथन की व्याख्या कीजिए।

    उत्तर. 42 वें संविधान संशोधन को लघु संविधान का नाम इसलिए दिया जाता है क्योंकि इस संशोधन के माध्यम से संविधान में भारी मात्रा में बदलाव किया गया था। 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से कुछ प्रमुख बदलाव इस प्रकार किए गए हैं -

    1. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से राज्य के नीति निदेशक तत्व में भी बदलाव किया गया था और कुछ नई नीति निदेशक तत्व जोड़े गए थे।

    2. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में मौलिक कर्तव्यों का समावेश किया गया था।

    3. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया था जिसे बाद में फिर से 5 वर्ष कर दिया गया।

    4. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष समाजवादी और अखंडता शब्दों का समावेश किया गया।

    5. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से यह भी निश्चित किया गया कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य होगा।

    6. इस संविधान संशोधन के माध्यम से संसद को यह अधिकार दिया गया कि वह निर्णय कर सकते हैं कि कौन सा पद लाभ का पद होगा।

    इस प्रकार 42 वा संविधान संशोधन एक बहुत बड़ा संविधान संशोधन था और इसके माध्यम से बहुत सारे प्रावधानों में बदलाव किए गए थे इसीलिए इस संविधान संशोधन को लागू संविधान का नाम दिया जाता है।

    अथवा

    प्रश्न. जॉन रॉल्स के न्याय सिद्धांत का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. जॉन रॉल्स ने वर्तमान समय में वितरणात्मक न्याय के सिद्धांत का समर्थन किया है उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “ए थ्योरी ऑफ जस्टिस” में अपने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। जॉन रॉल्स ने अपने न्याय के सिद्धांत के द्वारा एक तरफ उदार लोकतंत्र का समर्थन किया है वहीं दूसरी तरफ समाज के कमजोर वर्गों के हितों का संरक्षण भी किया है। जॉन रॉल्स मानते हैं कि एक उत्तम समाज की स्थापना बिना न्याय के संभव नहीं है। जॉन रॉल्स के न्याय सिद्धांत को हम इस प्रकार समझ सकते हैं-

    1. जॉन रॉल्स के अनुसार न्याय का प्रथम सिद्धांत यह कहता है कि सभी व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए मूल स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए। अतः सभी व्यक्तियों को समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए।

    2. जॉन रॉल्स का मानना है कि पूंजीवादी व्यवस्था का समर्थन किया जाना चाहिए और अवसरों की समानता पर बल दिया जाना चाहिए।

    3. जॉन रॉल्स के न्याय सिद्धांत में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि आय का पुनर्वितरण होना अनिवार्य है। उनका मानना है कि पूंजीवादी व्यवस्था पर आए हुए संकट का सामना करने के लिए आय के पुनर्वितरण सिद्धांत को अपनाना चाहिए। जॉन रॉल्स मानते हैं कि बाजार अर्थव्यवस्था सामाजिक न्याय पर आधारित होनी चाहिए जिसके लिए आय का पुनर्वितरण नितांत आवश्यक है।

    प्रश्न 29. भारत में राष्ट्रपति की विशेष शक्तियों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. भारत में राष्ट्रपति वैसे तो औपचारिक प्रधान की भूमिका निभाता है लेकिन यह कहना गलत होगा कि राष्ट्रपति को किसी भी प्रकार के विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है। राष्ट्रपति को कई प्रकार के विशेष अधिकार भी प्राप्त हैं जिन्हें हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -

    1. संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को सभी महत्व मुद्दों और मंत्री परिषद की कार्यवाही के बारे में सूचना प्राप्त करने का अधिकार है। प्रधानमंत्री का यह दायित्व है कि वह राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई सभी सूचनाएं उसे प्रदान करें।

    2. राष्ट्रपति को एक विशेषाधिकार यह भी प्राप्त है कि वह संसद द्वारा पारित किसी भी विधेयक को वापस लौटा सकता है और उस पर पुनर्विचार के लिए कह सकता है। इस प्रक्रिया में राष्ट्रपति अपने स्वविवेक का प्रयोग करता है। हालांकि एक बार पुनः राष्ट्रपति किसी भी विधेयक को वापस नहीं लौटा सकता है और उसे हस्ताक्षर करने होते हैं।

    3. राष्ट्रपति को एक विशेषाधिकार यह भी प्राप्त है कि वह संसद द्वारा पारित विधेयक को वापस करने में विलंब कर सकता है या पॉकेट वीटो का इस्तेमाल भी कर सकता है। इसका मतलब यह है कि राष्ट्रपति किसी भी विधेयक को कितने समय तक भी अपने पास रख सकता है और इसके लिए संविधान में किसी प्रकार का कोई समय निर्धारित भी नहीं है। भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इस प्रकार की प्रक्रिया को वर्ष 1986 में अपनाया था।

    4. राष्ट्रपति के एक विशेषाधिकार शक्ति का वर्णन हम यहां पर भी देखते हैं कि जब लोकसभा में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है तब ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति अपने स्वविवेक का प्रयोग करते हुए किसी भी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है जिस पर उसे विश्वास हो कि वह बाद में बहुमत सिद्ध कर सकता है। इस परिस्थिति में राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है। भारत में वर्ष 1989 के बाद से इस प्रकार की परिस्थितियां कई बार उत्पन्न हुई है।

    अथवा

    प्रधानमंत्री की शक्तियां और कार्य का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. प्रधानमंत्री की नियुक्ति - भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है जिसे राष्ट्रपति लोकसभा चुनाव के बाद बहुत प्राप्त राजनीतिक दल के नेता को प्रधानमंत्री बनाता है। लोकसभा के चुनाव में यदि किसी राजनीतिक दल को जब बहुमत प्राप्त नहीं होता है तब ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति अपने स्वविवेक से ही किसी भी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना सकता है जो बाद में बहुमत सिद्ध कर सके। सामान्य रूप से प्रधानमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है लेकिन लोकसभा कभी भी भंग हो सकती है इसलिए इसका कोई निश्चित कार्यकाल नहीं है। प्रधानमंत्री की कुछ प्रमुख शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है -

    1. प्रधानमंत्री का एक प्रमुख कार्य मंत्रिपरिषद का निर्माण करना होता है। प्रधानमंत्री मंत्रियों की सूची तैयार करता है और राष्ट्रपति के समक्ष उसे प्रस्तुत करता है। राष्ट्रपति इस सूची के आधार पर ही विभिन्न मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

    2. प्रधानमंत्री की एक महत्वपूर्ण भूमिका या शक्ति मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता के रूप में भी देखी जा सकती है। मंत्रिमंडल की बैठक को बुलाना और उसकी अध्यक्षता करना प्रधानमंत्री का एक प्रमुख कार्य है और इस बैठक के माध्यम से प्रधानमंत्री विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करता है।

    3. प्रधानमंत्री का एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी है कि वह आवश्यकता पड़ने पर मंत्रियों को उनके पदों से हटाता भी है। जब कोई मंत्री अपने विभाग में उचित तरह से कार्य नहीं करता है तो प्रधानमंत्री उस मंत्री को मंत्री पद से हटा देता है।

    4. प्रधानमंत्री की एक महत्वपूर्ण भूमिका को हम इस रूप में भी देख सकते हैं कि भारत का प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल और राष्ट्रपति के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सरकार की सभी कार्यों की जानकारी प्रदान करता रहता है।

    5. प्रधानमंत्री सरकार का एक मुख्य वक्ता होता है और सरकार की तरफ से सभी निर्णय और नीतियों का निर्धारण भी करता है।

    6. भारत में प्रधानमंत्री वास्तविक रुप से शक्तियों को इस्तेमाल करता है क्योंकि भारत में संसदीय कार्यपालिका को अपनाया गया है। प्रधानमंत्री इस तरह से राष्ट्र के नेता के रूप में प्रतिबिंबित होता है और देश को नेतृत्व प्रदान करता है।

    प्रश्न 30. राष्ट्रीय आत्म निर्णय के अधिकार से आप क्या समझते हैंयह अधिकार किस प्रकार राष्ट्र राज्यों के निर्माण में बाधक है ?

    उत्तर. राष्ट्रीय आत्म निर्णय के अधिकार से अभिप्राय है कि किसी राष्ट्र के सदस्यों का अपने शासन और निर्णय संबंधी शक्तियों को प्राप्त करना। यह अधिकार अंतरराष्ट्रीय जगत में किसी क्षेत्र को एक राजनीतिक इकाई या राज्य के रूप में मान्यता की वकालत करता है। राष्ट्रीय आत्म निर्णय के सिद्धांत के अंतर्गत एक संस्कृति एक राज्य के आधार पर राज्यों के निर्माण तथा मान्यता की वकालत की जाती है इस प्रकार की मांग सर्वप्रथम 19वीं शताब्दी में यूरोप में की गई थी जिसके फलस्वरूप कई छोटे-छोटे राज्य देखने को मिले। राष्ट्रीय आत्म निर्णय का अधिकार राष्ट्र राज्यों के निर्माण में बाधक बन जाता है जिसके लिए निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं -

    1. नए राज्यों के निर्माण से राज्यों की सीमाओं में बदलाव होता है।

    2. नए राज्यों के निर्माण के कारण जनसंख्या का भारी मात्रा में विस्थापन होता है और लाखों लोगों को इस विस्थापन का शिकार होना पड़ता है।

    3. जान और माल की अपार क्षति के लिए भी राष्ट्रीय आत्म निर्णय का अधिकार बहुत हद तक जिम्मेदार है इसके फलस्वरूप कई स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे भी देखने को मिले हैं।

    4. राष्ट्रीय आत्म निर्णय के अधिकार के कारण नए राष्ट्र राज्यों के निर्माण में यह देखा गया कि वहां पर भी एक संस्कृति और नस्ल के लोग नहीं थे। इसके कारण अल्पसंख्यक वर्गों को काफी कष्टदायक अनुभव से गुजरना पड़ा है।

    अथवा

    प्रश्न. न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के ऐसे प्रावधानों का वर्णन कीजिए जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करते हैं।

    उत्तर. न्यायपालिका की स्वतंत्रता का साधारण सा अर्थ है न्यायाधीशों द्वारा बिना किसी दबाव या भय के अपने निर्णय को देना। जब न्यायाधीश बिना किसी बाहरी दबाव या नियंत्रण के अपने कार्यों को करते हैं तो इसे ही न्यायपालिका की स्वतंत्रता कहते हैं। भारतीय संविधान में ऐसे बहुत सारे प्रावधानों को शामिल किया गया है जिनसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है। ऐसे कुछ प्रावधान इस प्रकार हैं -

    1. न्यायाधीशों की नियुक्ति में किसी भी प्रकार के विधायिका के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया गया है।

    2. न्यायाधीशों के लिए वकालत और कानून का विशेषज्ञ होना एक आवश्यक शर्त बनाई गई है जिससे कि वे अपने कार्यों का बेहतर तरीके से निष्पादन कर सके।

    3. न्यायाधीशों की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए की जाती है जैसे कि सर्वोच्च न्यायालय में 65 वर्ष तक न्यायाधीश कार्य कर सकते हैं और उन्हें इसके पहले हटाया नहीं जा सकता है।

    4. न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया बहुत कठिन है और इन्हें केवल महाभियोग की प्रक्रिया के माध्यम से ही हटाया जा सकता है। जब कभी किसी न्यायाधीश पर कदाचार के आरोप लगते हैं तो संसद उन आरोपों की जांच करती है और यदि वे आरोप सही पाए जाते हैं तो न्यायाधीशों को महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया जाता है। बाकी किसी भी प्रक्रिया से न्यायाधीशों को उनके पद से हटाया नहीं जा सकता।

    5. न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते संचित निधि से दिए जाते हैं और उनके वेतन और भत्ते विधायिका कम नहीं कर सकती है।

    6. न्यायपालिका के किसी भी कार्य और निर्णय की आलोचना कहीं भी नहीं की जा सकती है।

    7. यदि कोई व्यक्ति न्यायालय की अवमानना करता है तो उस व्यक्ति पर उचित कार्यवाही की जाती है और उसे दंड दिया जाता है।

    8. संसद में न्यायपालिका के किसी भी निर्णय या आचरण पर चर्चा नहीं की जा सकती है। संसद में केवल महाभियोग की प्रक्रिया पर ही चर्चा हो सकती है।

     

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