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    राजनीति विज्ञान

    DOE SAMPLE QUESTION PAPER SOLVED

     (2022-23)

    CLASS-XI

    TIME:3 Hours.                                                            M.M.-80

    निर्देश:

    (1) इस प्रश्न पत्र में कुल 30 प्रश्न है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

    (2) प्रश्न संख्या 1-12 प्रत्येक 1 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न हैं।

    (3) प्रश्न संख्या 13-18 प्रत्येक 2 अंक के हैं। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 50 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

    (4) प्रश्न संख्या 19-23 प्रत्येक 4 अंक का है। इन प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर 100 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

    (5) प्रश्न संख्या 24-26 गद्यांश, कार्टून और चित्र आधारित प्रश्न हैं। तदनुसार उत्तर दें।

    (6) प्रश्न संख्या 27-30 प्रत्येक 6 अंक का है। इन प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर 170 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।

    (7) 6 अंकों के प्रश्नों में आंतरिक विकल्प है।

    1 अंकीय प्रश्न

    प्रश्न 1. जर्मन दार्शनिक इमैनुअल कांट ने अधिकारों की कौनसी अवधारणा प्रस्तुत की है?

    A. राजनीतिक

    B. नैतिक

    C. सामाजिक

    D. आर्थिक

    उत्तर. B. नैतिक

    प्रश्न 2. अर्ध अध्यक्षात्मक प्रणाली के विषय में क्या सही है?

    A. सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।

    B. राज्य का प्रमुख राष्ट्रपति होता है।

    C. राष्ट्रपति राज्य और सरकार का प्रमुख होता है।

    D. प्रधानमंत्री राज्य और सरकार का प्रमुख होता है।

    उत्तर. A. और B.

    प्रश्न 3. न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के विभिन्न तरीके में से निम्नलिखित में से कौन सा असंगत है?

    A. सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से सलाह ली जाती है।

    B. न्यायाधीशों को अमूमन अवकाश प्राप्ति की आयु से पहले नहीं हटाया जाता।

    C. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का तबादला दूसरे उच्च न्यायालय में नहीं किया जा सकता।

    D. न्यायाधीशों की नियुक्ति में संसद का दखल नहीं है।

    उत्तर. A. सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से सलाह ली जाती है।

    प्रश्न 4. निम्नलिखित में से किसने तर्क दिया कि, "समानता भी उतनी ही निर्णायक होती है, जितनी की स्वतंत्रता"।

    A. रूसो

    B. हॉब्स

    C. कार्ल मार्क्स

    D. डॉ बी आर अम्बेडकर

    उत्तर. C. कार्ल मार्क्स

    कथन कारण प्रश्न।

    प्रश्न संख्या 5 और 6 के लिए निर्देश।

    नीचे दिए गए प्रश्न में, दो कथनों को अभिकथन (A) और कारण (R) के रूप में चिह्नित किया गया है। इन कथनों को पढ़िए और दिए गए विकल्पों में से एक सही उत्तर चुनिए-

    (A) A और R दोनो सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।

    (B) A और R दोनो सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या नहीं है।

    (C) A सही है लेकिन R गलत है।

    (D) A गलत है लेकिन R सही है।

    प्रश्न 5. अभिकथन : राष्ट्र की सीमाओं का पुनर्निर्धारण अभी भी जारी है।

    कारण : राष्ट्रीय आत्म निर्णय के दावे में राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग राजनीतिक इकाई की मांग करता है।

    उत्तर. (A) A और R दोनो सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।

    प्रश्न 6. अभिकथन : फ्रांसीसी क्रांति 1789 में हुई।

    कारण : एशिया और अफ्रीका के अनेक उपनिवेशों में समान नागरिकता की मांग औपनिवेशिक शासकों से स्वतंत्रता हासिल करने के संघर्ष का हिस्सा रही।

    उत्तर. (B) A और R दोनो सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या नहीं है।

    प्रश्न 7. निम्नलिखित में से कौन से प्राकृतिक अधिकार राजनीतिक सिद्धांतकारों के द्वारा 17वीं और 18वीं शताब्दी में चिन्हित किए गए थे?

    I. जीवन का अधिकार

    II. समानता का अधिकार

    III. स्वतंत्रता का अधिकार

    IV. संपत्ति का अधिकार।

    A. I, II, III

    B. II, III, IV

    C. I, III, IV

    D. I, II, IV

    उत्तर. B. II, III, IV

    प्रश्न 8. फ्रांस की क्रांति कब हुई?

    A. 17वी शताब्दी के पूर्वार्ध में।

    B. 17वी शताब्दी के उत्तरार्ध में।

    C. 18वी शताब्दी के पूर्वार्ध में।

    D. 18वी शताब्दी के उत्तरार्ध में।

    उत्तर. D. 18वी शताब्दी के उत्तरार्ध में।

    प्रश्न 9. निम्नलिखित में से कौन स्वतंत्रता की नकारात्मक अवधारणा का समर्थन करते हैं?

    A. बर्लिन

    B. जे एस मिल

    C. जेम्स मिल

    D. एफ ए हायेक

    उत्तर. C. जेम्स मिल

    प्रश्न 10. लिबर्टी "Libertatem" से निकला है। "Libertatem" शब्द किस से सम्बन्धित है?

    A. ग्रीक शब्द से।

    B. इंग्लिश शब्द से।

    C. लैटिन शब्द से।

    D. स्पेनिश शब्द से।

    उत्तर. C. लैटिन शब्द से।

    प्रश्न 11. सामाजिक न्याय की अवधारणा का संबंध किससे है?

    A. बंधुता

    B. समानता

    C. स्वतन्त्रता

    D. B और C दोनों से।

    उत्तर. D. B और C दोनों से।

    प्रश्न 12. मानव अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?

    A. 10 दिसम्बर।

    B. 10 जनवरी।

    C. 10 फरवरी।

    D. 10 मार्च।

    उत्तर. A. 10 दिसम्बर।

    दो अंकीय प्रश्न

    प्रश्न 13. राजनीतिक सिद्धांत का विषय क्षेत्र क्या है?

    उत्तर. राजनीतिक सिद्धांत के विषय क्षेत्र के अंतर्गत राज्य और सरकार का अध्ययन तथा शक्ति और राजनीतिक विचारधाराओं का अध्ययन मुख्य रूप से शामिल है।

    प्रश्न 14. राजनीति वही है जो राजनेता करते हैं। इस कथन से आप क्या समझते हैं?

    उत्तर. बहुत से लोगों के लिए राजनीति वही है जो राजनेता करते हैं अर्थात जब वे राजनेताओं को दलबदल करते हुए, झूठे वायदे और बड़े-बड़े दावे करते, विभिन्न तबकों से जोड़-तोड़ करते, निजी या सामूहिक स्वार्थ में निष्ठुरता से रत और घृणित रूप में हिंसा पर उतारू होता देखते हैं तो वे राजनीति का संबंध घोटालों से जोड़ते हैं।

    प्रश्न 15. अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व की किसी एक विधि को लिखिए।

    उत्तर. अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व के लिए कई प्रकार की निर्वाचन पद्धतियों को अपनाया जाता है इनमें से एक है संचयी मत प्रणाली। इस प्रणाली के अंतर्गत प्रत्येक मतदाता को उतने मत देने का अधिकार होता है जितने प्रतिनिधि निर्वाचन में भाग लेते हैं लेकिन मतदाता को यह स्वतंत्रता होती है कि वह अपने सभी मत एक ही व्यक्ति को दे दे या सभी प्रतिनिधियों में बांट दें।

    प्रश्न 16. सामाजिक न्याय से संबंधित किन्हीं दो नीति निदेशक तत्वों को लिखिए।

    उत्तर. सामाजिक न्याय से संबंधित प्रमुख दो नीति निदेशक तत्व इस प्रकार है -

    1. राज्य यह प्रयास करेगा कि सभी नागरिक अपनी योग्यता के अनुसार रोजगार और शिक्षा प्राप्त कर सकें एवं बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और असमर्थता आदि दशाओं में सार्वजनिक सहायता प्राप्त कर सकें। (अनुच्छेद - 41)

    2. राज्य ऐसा प्रयत्न करेगा कि व्यक्तियों को अनुकूल अवस्था में ही कार्य करना पड़े तथा स्त्रियों को प्रसूति सहायता भी उपलब्ध हो सके। (अनुच्छेद - 42)

    प्रश्न 17. कामकाजी महिलाओं को मातृत्व अवकाश दिया जाना समानता के अधिकार का उल्लंघन है या नहीं। तर्कसंगत उत्तर लिखिए।

    उत्तर. कामकाजी महिलाओं को मातृत्व अवकाश दिया जाना समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है बल्कि यह एक सकारात्मक कार्यवाही है जिसके आधार पर समानता स्थापित की जाती है। मातृत्व अवकाश महिलाओं के लिए नितांत आवश्यक होता है क्योंकि ऐसी परिस्थिति में महिलाएं कार्य करने में असमर्थ होती हैं।

    प्रश्न 18. अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक आजादी के लिए संविधान में कौन से प्रावधान किए गए हैं? वर्णन कीजिए।

    उत्तर. अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक आजादी के लिए संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं -

    1. अल्पसंख्यक समुदायों को यह अधिकार है कि वे अपनी संस्कृति, भाषा, और लिपि को संरक्षित रख सकते हैं।

    2. अल्पसंख्यक समुदायों को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे अपनी शिक्षा संस्थान की स्थापना और प्रशासन भी कर सकते हैं जिसमें वे धार्मिक शिक्षा की भी व्यवस्था कर सकते हैं।

    3. अल्पसंख्यक समुदायों को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे किसी भी शिक्षण संस्थान में प्रवेश ले सकते हैं और उन्हें धार्मिक आधार पर शिक्षा लेने से वंचित नहीं किया जाएगा।

    चार अंकीय प्रश्न

    प्रश्न 19. क्या आप मानते हैं कि भारत में स्थानीय शासन ने लोकतंत्र को सशक्त किया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

    उत्तर. 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद स्थानीय शासन को संविधानिक दर्जा मिलने के बाद से भारत में लोकतंत्र और अधिक सशक्त हुआ है। स्थानीय शासन ने निम्नलिखित आधार पर भारत में लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत किया है -

    1. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने स्थानीय शासन के कार्यों में अपनी भागीदारी को बढ़ाया है और लोकतांत्रिक व्यवस्था को अधिक सशक्त किया है।

    2. स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है जिसके माध्यम से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है और इसने लोकतंत्र को और अधिक सशक्त किया है।

    3. स्थानीय शासन स्थानीय लोगों को सरकार के कार्यों में भाग लेने का अवसर देते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक निकट से समझने का अवसर प्रदान करते हैं जिसके कारण जनता की आस्था लोकतंत्र के प्रति और अधिक मजबूत हुई है।

    4. स्थानीय शासन में आम नागरिकों ने चुनाव लड़कर और भागीदारी के माध्यम से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक व्यवहारिक बनाया है जिसके कारण लोकतंत्र में नागरिकों की आस्था अधिक सशक्त हुई है।

    प्रश्न 20. भारतीय लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के चुनाव की कौन सी विधि अपनाई जाती है? वर्णन कीजिए।

    उत्तर. भारतीय लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली को अपनाया जाता है। यह प्रणाली अत्यंत सरल और सुविधाजनक है जो कि प्रत्येक व्यक्ति को आसानी से समझ में आ जाती है इसीलिए भारतीय संविधान में निर्वाचन के लिए इस विधि को अपनाया गया है। सर्वाधिक मत से जीत प्रणाली की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं -

    1. इस प्रणाली के माध्यम से चुनाव में जिस प्रतिनिधि को सर्वाधिक मत प्राप्त होते हैं वह विजई घोषित किया जाता है।

    2. यह प्रणाली अधिक जनसंख्या वाले देशों और बड़े आकार वाले देशों में अधिक उपयोग में लाई जाती है।

    3. इस प्रणाली में प्रत्येक देश को कई निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है।

    4. निर्वाचन की इस प्रणाली में मतदाता अपने प्रतिनिधियों को मत देता है।

    5. यह प्रणाली भारत और ब्रिटेन में उपयोग में लाई जाती है।

    6. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक ही प्रतिनिधि को चुना जाता है।

    प्रश्न 21. संवैधानिक उपचारों के अधिकार में कौन-कौन सी याचिकाएं शामिल है? सविस्तार लिखिए।

    उत्तर. भारतीय संविधान के भाग-3 में वर्णित मौलिक अधिकारों के अंतर्गत अनुच्छेद 32 में संवैधानिक उपचारों के अधिकारों का वर्णन किया गया है इस अधिकार के माध्यम से भारतीय संविधान में 5 याचिकाओं या लेखों का वर्णन किया गया है जोकि इस प्रकार हैं -

    1. बंदी प्रत्यक्षीकरण - बंदी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा न्यायालय किसी भी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है और यदि उस व्यक्ति को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया होता है तो न्यायालय उस व्यक्ति को छोड़ने का आदेश भी दे सकता है।

    2. परमादेश - यह आदेश तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।

    3. निषेध आदेश - यह आदेश न्यायालय द्वारा तब पारित किया जाता है जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है। इस आदेश या रिट के द्वारा सर्वोच्च या उच्च न्यायालय निचली अदालत को ऐसा करने से रोकते हैं।

    4. अधिकार पृच्छा - यह आदेश या रिट न्यायालय द्वारा द्वारा तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है जिस पर उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इस आदेश के द्वारा न्यायालय उस व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोक देता है।

    5. उत्प्रेषण लेख - जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी बिना अधिकार के कोई कार्य करता है तो न्यायालय उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उससे लेकर उत्प्रेषण द्वारा उसे ऊपर की अदालत या अधिकारी को हस्तांतरित कर देता है।

    प्रश्न 22. भारतीय धर्मनिरपेक्षता के विषय में नेहरू के प्रमुख विचार क्या है?

    उत्तर. भारतीय धर्मनिरपेक्षता के विषय में नेहरू जी के प्रमुख विचारों को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -

    1. नेहरू जी के अनुसार धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है सभी धर्मों को राज्य द्वारा समान संरक्षण। वे एक ऐसा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र चाहते थे जो सभी धर्मों की सुरक्षा करें अन्य धर्मों की कीमत पर किसी एक धर्म की तरफदारी ना करें और खुद किसी धर्म को राजधानी के बतौर स्वीकार ना करें।

    2. नेहरू जी भारतीय धर्म शिक्षा के दार्शनिक थे। नेहरू स्वयं किसी धर्म का अनुसरण नहीं करते थे। ईश्वर में उनका विश्वास ही नहीं था। लेकिन उनके लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब धर्म के प्रति विद्वेष नहीं था।

    3. नेहरू जी धर्म और राज्य के बीच पूर्ण संबंध विच्छेद के पक्ष में नहीं थे। उनके विचार के अनुसार समाज में सुधार के लिए धर्मनिरपेक्ष राज्य सत्ता धर्म के मामले में हस्तक्षेप कर सकती है। जातीय भेदभाव दहेज प्रथा और सती प्रथा की समाप्ति के लिए कानून बनवाने तथा देश की महिलाओं को कानूनी अधिकार और सामाजिक स्वतंत्रता मुहैया कराने में नेहरू ने खुद अहम भूमिका निभाई थी।

    4. नेहरू जी के लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब था तमाम किस्म की सांप्रदायिकता का पूर्ण विरोध। वे बहुसंख्यक समुदाय की सांप्रदायिकता की आलोचना भी खासतौर पर कठोरता बरतते थे क्योंकि इससे राष्ट्रीय एकता पर खतरा उत्पन्न होता था। नेहरू जी के लिए धर्मनिरपेक्षता केवल एक सिद्धांत मात्र नहीं था बल्कि यह भारत की और अखंड पर की एकमात्र गारंटी भी था।

    प्रश्न 23. राष्ट्रवाद के विभिन्न चरण कौन से हैं? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर. राष्ट्रवादी एक ऐसी भावना है जिसमें व्यक्ति एक दूसरे से जुड़े होते हैं और कुछ साज है विश्वासों पर सहमत भी होते हैं। राष्ट्रवाद की विभिन्न चरणों को हम इस प्रकार समझ सकते हैं -

    1. किसी भी राष्ट्र का निर्माण तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक की वहां के लोगों में एक सामूहिक विश्वास की भावना उत्पन्न ना हो। यह एक ऐसी भावना है जो भविष्य के लिए सामूहिक पहचान और दृष्टि का प्रमाण है तथा जो स्वतंत्र राजनीतिक अस्तित्व का आकांक्षी है।

    2. राष्ट्रवाद का एक प्रमुख चरण यह भी है कि इसमें एक साझा इतिहास भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जो लोग अपने आप को एक राष्ट्र मानते हैं उनके अंदर एक स्थाई ऐतिहासिक पहचान की भावना भी पाई जाती है। अपने सारे इतिहास के द्वारा वह स्वयं को जीवंत रखते हैं और एक दूसरे से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।

    3. राष्ट्रवाद की भावना तब अधिक प्रबल हो पाती है जब किसी भी क्षेत्र से संबंधित लोग अपने आप को जुड़ा हुआ महसूस करते हैं और उस क्षेत्र की विशेषताओं का वर्णन करते रहते हैं तथा खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। उदाहरण के लिए भारत राष्ट्र से जुड़े होने के लिए लोग इस क्षेत्र के हिमालय पर्वत, गंगा नदी आदि का उदाहरण देते हैं।

    4. राष्ट्रवाद का एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण यह है कि जब तक लोगों के अंदर एक साझी राजनीतिक आदर्श की भावना उत्पन्न नहीं होती तब तक राष्ट्रवाद की भावना विकसित नहीं हो सकती है। लोग एक सारे राजनीतिक आदर्श के लिए एकत्रित होते हैं और उसके लिए कार्य करते हैं। धर्मनिरपेक्षता, उदारवाद, लोकतंत्र आदि जैसे मूल्यों के लिए लोगों में एक सामूहिक भावना का होना अत्यंत आवश्यक है।

    प्रश्न 24. निम्नलिखित गद्यांश का ध्यान पूर्वक अध्ययन कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

    विधायिका केवल कानून बनाने वाली संस्था नहीं है यह सभी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का केंद्र है। सदन को इसकी बहस, बहिर्गमन, विरोध, प्रदर्शन,  सर्वसम्मति, सरोकार और सहयोग इत्यादि अत्यंत जीवंत बनाए रखते हैं। दरअसल वास्तविक प्रतिनिधित्व वाली कुशल और प्रभावी विधायिका के बिना सच्चे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती। विधायिका जनप्रतिनिधियों का जनता के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती है।

    I. संघीय विधायिका के कौन-कौन से सदन हैं ?

    A. लोकसभा, विधानसभा

    B. लोकसभा, राज्यसभा

    C. विधान सभा, विधान परिषद

    D. राज्य सभा, विधान परिषद

    उत्तर. B. लोकसभा, राज्यसभा

    II. कानून बनाने का कार्य निम्नलिखित में से किसका है?

    A. विधायिका

    B. कार्यपालिका

    C. न्यायपालिका

    D. चुनाव आयोग

    उत्तर. A. विधायिका

    III. शासन का कौन सा अंग जनता के प्रति उत्तरदाई है?

    A. विधायिका

    B. कार्यपालिका

    C. न्यायपालिका

    D. A और B दोनों।

    उत्तर. D. A और B दोनों।

    IV. संसदीय नियंत्रण का निम्नलिखित में से कौन सा साधन नहीं है?

    A. प्रश्न पूछना।

    B. अविश्वास प्रस्ताव।

    C. कटौती प्रस्ताव।

    D. वॉक आउट।

    उत्तर. D. वॉक आउट।

    प्रश्न 25. दिए गए कार्टून का ध्यान पूर्वक अध्ययन कीजिए और इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।



    I. उपर्युक्त कार्टून कौन सी अवधारणा से संबंधित है?

    A. अधिकार।

    B. न्याय।

    C. समानता।

    D. नागरिकता।

    उत्तर. D. नागरिकता।

    II. उपर्युक्त कार्टून में दर्शाए गए लोग कौन हैं?

    A. प्रवासी

    B. मज़दूर

    C. एन आर आई (NRI)

    D. सामाजिक कार्यकर्ता।

    उत्तर. D. सामाजिक कार्यकर्ता।

    III. नागरिकों के बुनियादी अधिकार में कौन सा शामिल नहीं है?

    A. मतदान का अधिकार

    B. न्यूनतम मजदूरी का अधिकार

    C. शिक्षा पाने का अधिकार

    D. सामाजिक रूप से सहायता करने का अधिकार

    उत्तर. D. सामाजिक रूप से सहायता करने का अधिकार।

    IV. किस देश के लोगों ने समान नागरिकता पाने के लिए अश्वेत सत्तारूढ़ गोरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक लंबा संघर्ष किया?

    A. इंडोनेशिया

    B. मलेशिया

    C. दक्षिण अफ्रीका

    D. भारत

    उत्तर. C. दक्षिण अफ्रीका।

    प्रश्न 26. निम्नलिखित चित्र का ध्यान पूर्वक अध्ययन कीजिए और इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।


    I. चित्र में दर्शाए गए व्यक्ति का संबंध किस देश से है?

    A. भारत

    B. श्रीलंका

    C. दक्षिण अफ्रीका

    D. सिंगापुर

    उत्तर. C. दक्षिण अफ्रीका।

    II. उपर्युक्त चित्र में दर्शाए गए नेता को पहचानिये।

    A. नेल्सन मंडेला

    B. वामे एनक्रूमा

    C. जोसेफ टीटो

    D. सुकर्नो

    उत्तर. A. नेल्सन मंडेला।

    III. उपर्युक्त चित्र में दर्शाए गए नेता का पसंदीदा खेल कौन सा था?

    A. क्रिकेट

    B. हॉकी

    C. टेनिस

    D. बॉक्सिंग

    उत्तर. D. बॉक्सिंग।

    IV. उपर्युक्त चित्र में दर्शाए गए नेता ने अपने जीवन के कितने वर्ष जेल की कोठियों के अंधेरे में बिताए?

    A. 25 वर्ष

    B. 28 वर्ष

    C. 30 वर्ष

    D. 35 वर्ष

    उत्तर. B. 28 वर्ष।

    6 अंकीय प्रश्न

    प्रश्न 27. विभिन्न राज्यों और राजनीतिक दलों द्वारा समय-समय पर स्वायत्तता की मांग किन कारणों से उठाई जाती है?

    उत्तर. विभिन्न राज्यों और राजनीतिक दलों द्वारा समय-समय पर स्वायत्तता की मांग कई कारणों से उठाई जाती है जिनमें से कुछ इस प्रकार है -

    1. विभिन्न राज्यों और राजनीतिक दलों द्वारा समय-समय पर स्वायत्तता की मांग इसलिए उठाई जाती रही है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि उनका आर्थिक विकास तुलनात्मक रूप से काफी कम हुआ है और उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।

    2. विभिन्न राजनीतिक दलों और राज्यों के द्वारा स्वायत्तता की मांग का एक प्रमुख कारक केंद्र सरकार के द्वारा इन राज्यों का अपर्याप्त विकास और अनदेखा करना भी है।

    3. विभिन्न राजनीतिक दलों और राज्यों के द्वारा स्वायत्तता की मांग इसलिए भी की जाती रही है क्योंकि इन राज्यों में सांस्कृतिक विभिन्नता बाकी के राज्यों से अलग मिलती रही है जिस आधार पर ये राज्य स्वायत्तता की मांग करते रहे हैं।

    4. विभिन्न राज्यों और राजनीतिक दलों के द्वारा समय-समय पर स्वायत्तता की मांग इसलिए भी की जाती रही है क्योंकि ये राज्य अलग होकर के स्वतंत्र रूप से अपने निर्णय लेना चाहते हैं और बिना किसी दबाव के कार्य करना चाहते हैं।

    5. विभिन्न राजनीतिक दलों और राज्यों के द्वारा समय-समय पर स्वायत्तता की मांग का एक कारण यह भी माना जाता है कि ये राज्य भौगोलिक रूप से काफी अलग होते हैं और स्वयं को देश के साथ जोड़ नहीं पाते हैं।

    6. विभिन्न राज्य और राजनीतिक दलों के द्वारा समय-समय पर स्वायत्तता की मांग का आधार यह भी रहा है कि यहां पर होने वाला राजनीतिक संघर्ष और आंदोलन लोगों को स्वायत्तता के लिए प्रेरित करता है।

    अथवा

    प्रश्न. भारतीय संविधान की संघात्मक विशेषताओं को दर्शाने वाले लक्षणों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. भारतीय संविधान एक संघात्मक संविधान है जिसके कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार है-

    1. भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है और किसी भी संघीय व्यवस्था वाले देश में लिखित संविधान अवश्य होना चाहिए इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है।

    2. भारत को एक संघीय देश इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर संविधान की सर्वोच्चता है इसका मतलब यह है कि संविधान से ऊपर कोई भी नहीं है और किसी भी संघात्मक देश में संविधान की सर्वोच्चता बहुत आवश्यक है।

    3. भारत का संविधान एक संघात्मक संविधान है क्योंकि भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। किसी भी संघात्मक संविधान में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका का होना एक अनिवार्य शर्त है।

    4. भारत का संविधान एक संघात्मक संविधान है क्योंकि यहां पर सरकार तीन स्तर पर पाई जाती है। भारतीय संविधान में केंद्र सरकार राज्य, सरकार और स्थानीय सरकार तीन स्तर की सरकार की व्यवस्था की गई है। किसी भी संघात्मक संविधान में सरकार दो या दो से अधिक स्तर की होनी चाहिए।

    5. भारत के संविधान को संघात्मक संविधान इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर शक्तियों का विभाजन संघ, सूची राज्य सूची और समवर्ती सूची के रूप में किया गया है। शक्तियों का विभाजन संघात्मक शासन व्यवस्था का एक अनिवार्य लक्षण है।

    प्रश्न 28. संविधान निर्माण की प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

    उत्तर. भारत का संविधान विश्व का सर्वाधिक बड़ा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया काफी लंबी रही है और इसे बनने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा है। भारतीय संविधान निर्माण की प्रक्रिया को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -

    1. भारतीय संविधान का निर्माण कैबिनेट मिशन के द्वारा प्रस्तावित योजना पर आधारित था जिसके आधार पर प्रत्येक प्रांत और देशी रियासत के समूह को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें दी गई थी। मोटे तौर पर दस लाख की जनसंख्या पर एक सीट का अनुपात रखा गया था।

    2. संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या विभाजन से पूर्व 389 निर्धारित की गई थी। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद भारत की संविधान सभा में 299 सदस्य ही रह गए थे।

    3. भारतीय संविधान सभा का चुनाव चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया गया। भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई।

    4. भारत का संविधान संविधान सभा के द्वारा 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन में बनाया गया। 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ जिस पर 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए।

    5. संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा थे और बाद में डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष बनाए गए।

    6. संविधान सभा आमतौर पर किसी भी प्रावधान को जोड़ने के लिए सर्वसम्मति का प्रयोग करती थी और विभिन्न तरह से वाद-विवाद करने के बाद किसी भी प्रावधान को संविधान में शामिल किया जाता था।

    7. संविधान का निर्माण करने के लिए विभिन्न प्रकार की समितियों का भी निर्माण किया गया था और आमतौर पर जवाहरलाल नेहरू राजेंद्र प्रसाद सरदार वल्लभभाई पटेल मौलाना आजाद और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर इन समितियों के अध्यक्ष बनाए गए थे।

    8. संविधान सभा ने लगभग 166 दिनों तक बैठकें की और संविधान का निर्माण पूर्ण किया जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया।

    अथवा

    प्रश्न. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में कौन-कौन से परिवर्तन किए गए? किन्ही दो को लिखिए।

    उत्तर. 42वां संविधान संशोधन आपातकाल के दौरान वर्ष 1976 में लागू किया गया था और इस संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में काफी बड़े स्तर पर परिवर्तन किया गया था इसलिए इस संविधान संशोधन को लागू संविधान की संज्ञा भी दी जाती है। 42 वें संविधान संशोधन के द्वारा किए गए कुछ प्रमुख परिवर्तन इस प्रकार हैं-

    1. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन किया गया और भारतीय संविधान की प्रस्तावना में तीन शब्दों जो कि इस प्रकार हैं समाजवादी पंथनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया।

    2. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से राज्य के नीति निर्देशक तत्व में भी संशोधन किया गया और 3 नए नीति निदेशक तत्व को शामिल किया गया जो कि इस तरह से हैं।

    I. समान न्याय और निशुल्क विधिक सहायता। (39 क)

    II. उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना। (43 क)

    III. पर्यावरण की रक्षा और सुधार तथा वन और वन्य जीवों की सुरक्षा। (48 क)

    3. 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में मौलिक कर्तव्यों का समावेश भी किया गया जो कि संविधान के भाग 4-क अनुच्छेद 51-क में शामिल है। वर्तमान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 है।

    प्रश्न 29. न्याय के विभिन्न आयाम कौन-कौन से हैं ? भारत में आर्थिक न्याय को स्थापित करने के लिए आप क्या सुझाव देंगे?

    उत्तर. न्याय शब्द का साधारण अर्थ यह होता है कि सभी व्यक्तियों को उनका हिसाब मिले और उनके साथ बराबरी का व्यवहार हो तथा समाज में व्यवस्था बनी रहे। न्याय के विभिन्न आयाम हम इस प्रकार से समझ सकते हैं -

    1. कानूनी न्याय - न्याय की इस धारणा में हम न्यायालय द्वारा व्यक्ति को उसका अधिकार दिलाना और समाज में विधि का शासन स्थापित करना जैसी प्रक्रिया को सम्मिलित करते हैं। न्याय का यह आयाम काफी संकीर्ण प्रतीत होता है।

    2. राजनितिक न्याय - किसी भी लोकतांत्रिक समाज में राजनीतिक न्याय का अर्थ होता है समान राजनीतिक अधिकारों को प्रेरित करना। राजनीतिक न्याय के अंतर्गत हम समान मताधिकार का प्रयोग करना, संघ बनाना, दल बनाना, शासन निर्माण में सहयोग करना जैसी बातों को शामिल करते हैं।

    3. सामाजिक न्याय - सामाजिक न्याय न्याय का एक ऐसा आयाम है जो यह बताता है कि समाज में सभी व्यक्ति समान है और उनके साथ जाति धर्म भाषा लिंग जन्म स्थान के आधार पर किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। समाज में सभी व्यक्तियों को अपने विकास का पूर्ण अधिकार है और उनको किसी भी तरह से सामाजिक भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए।

    4. आर्थिक न्याय - आर्थिक न्याय न्याय का एक ऐसा आयाम है जो यह तय करता है कि राज्य में प्रत्येक व्यक्ति को अपना आर्थिक विकास करने का उचित अवसर प्राप्त हो और उसे अपनी जीविका अर्जित करने में किसी प्रकार की कोई समस्या का सामना ना करना पड़े तथा प्रत्येक व्यक्ति को मौलिक आवश्यकता हो जैसे कि भोजन, वस्त्र, आश्रय और शिक्षा की प्राप्ति आसानी से हो सके। सामाजिक न्याय समान कार्य के लिए समान वेतन, समान आर्थिक अवसर, संसाधनों का उचित वितरण आदि प्रावधानों के माध्यम से आजीविका के लिए पर्याप्त साधनों का आश्वासन देता है।

    अथवा

    प्रश्न. वितरणात्मक न्याय की अवधारणा को समुचित उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर. न्याय का वितरणात्मक सिद्धांत जॉन रॉल्स के द्वारा वर्ष 1971 में उनकी पुस्तक ए थ्योरी ऑफ जस्टिस में वर्णित किया गया था। न्याय के वितरणात्मक सिद्धांत को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझने का प्रयास कर सकते हैं -

    1. न्याय का यह सिद्धांत प्राथमिक वस्तुओं के न्याय पूर्ण वितरण की समस्या को दर्शाता है। जॉन रॉल्स का मानना था कि न्याय के जो सिद्धांत बहुमत से स्वीकार किए जाते हैं और उनके माध्यम से जो वितरण व्यवस्था इस्तेमाल की जाएगी वह सर्वथा लोकतांत्रिक एवं न्याय पूर्ण होगी। जॉन रॉल्स ने अपने इस सिद्धांत के माध्यम से प्राथमिक वस्तुओं के न्याय पूर्ण वितरण की बात कही है और उन्होंने प्राथमिक वस्तुओं में अधिकार व स्वतंत्रताएं, आय व संपदा, शक्तियां तथा अवसर और आत्मसम्मान आदि को रखा है। जॉन रॉल्स कहते हैं कि यह प्राथमिक वस्तुएं एक और व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए समान अवसर प्रदान करेंगे और व्यक्ति में आत्मसम्मान को जागृत करेंगे तथा प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था के माध्यम से अपनी योग्यता अनुसार अधिकतम प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेंगी।

    2. जॉन रॉल्स ने अपने इस न्याय सिद्धांत के माध्यम से यह बताने का प्रयास भी किया है की आय का वितरण दरिद्र के हित में किया जाना चाहिए। जॉन रॉल्स पूंजीवादी व्यवस्था को इस तरह से विकसित करना चाहते थे जिससे कि बाजार अर्थव्यवस्था के माध्यम से पूंजी पतियों को अधिक लाभ प्राप्त हो और उनके इस लाभ का एक हिस्सा जोकि कर उत्पाद शुल्क सीमा शुल्क और आयकर आदि के रूप में सरकार को प्राप्त होगा जिसे सरकार राज्य के विकास कार्यों में वह करेगी तथा समाज के दरिद्र वर्ग के विकास के लिए उचित योजनाएं भी तैयार करेगी। इस प्रकार सरकार सामान्य लोगों को सामान्य शिक्षा स्वास्थ्य आवास जैसी मौलिक आवश्यकता की पूर्ति करेगी जोकि आय का न्याययुक्त वितरण होगा।

    3. न्याय का यह सिद्धांत इस बात पर भी पर्याप्त ध्यान देता है कि समाज में सभी को अवसरों की समानता प्राप्त हो लेकिन राज्य को इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि समाज के दुर्बल वर्ग को किसी प्रकार की क्षति ना हो और उसे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो। जॉन रॉल्स ने अपने इस सिद्धांत के माध्यम से समाज के अत्यधिक दरिद्र वर्ग के लोगों के लिए पर्याप्त सहायता और सर्वप्रथम सहायता की बात का वर्णन किया है।

    4. जॉन रॉल्स ने अपने वितरणात्मक न्याय सिद्धांत के माध्यम से उदार लोकतंत्र का समर्थन किया है। जॉन रॉल्स ने स्पष्ट रूप से अपने इस न्याय सिद्धांत में वर्णन किया है कि लोकतंत्र सर्वाधिक और सर्वोत्तम व्यवस्था है। अतः लोकतंत्र शासन के लिए जनता के अधिकारों और स्वतंत्रताओं का जबरदस्त समर्थन किया जाना चाहिए। न्याय के इस वितरणात्मक सिद्धांत के माध्यम से जॉन रॉल्स का मानना है कि विचारों की स्वतंत्रता, अंतःकरण की स्वतंत्रता, संपत्ति का अधिकार, परिवार बनाने और विवाह करने की स्वतंत्रता तथा उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व की स्वतंत्रता जैसे अधिकार निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण है।

    प्रश्न 30. भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।

    उत्तर. भारत में संघीय कार्यपालिका का प्रधान राष्ट्रपति है तथा संघ की सभी कार्यपालिका शक्ति उसमें निहित होती हैं जिनका प्रयोग वह संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों के माध्यम से करता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा किया जाता है जिसका वर्णन अनुच्छेद 55 में किया गया है। राष्ट्रपति के निर्वाचन प्रक्रिया को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -

    1. भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसके सदस्य लोकसभा तथा राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य तथा राज्य की विधानसभाओं के सदस्य होते हैं।

    2. भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है और यह निर्वाचन गुप्त होता है।

    3. राष्ट्रपति के निर्वाचन में एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ होता है कि यदि राष्ट्रपति पद के लिए एक से अधिक उम्मीदवार है तो प्रत्येक मतदाता उतने मत वरीयता क्रम से देगा जितने प्रत्याशी हैं अर्थात प्रत्येक मतदाता प्रत्येक प्रत्याशी को अपना मत वरीयता क्रम में देगा। उदाहरण के लिए यदि राष्ट्रपति पद के लिए तीन उम्मीदवार हैं तो मतदाता तीनों प्रत्याशियों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय वरीयता के अनुसार अपना मत देगा।

    4. राष्ट्रपति पद के चुनाव में उसी उम्मीदवार को सफल घोषित किया जाता है जिसने कुल वैध मतों के आधे से कम से कम एक मत अधिक अर्थात 50% से अधिक प्राप्त किया हो। इसे न्यूनतम कोटा भी कहा जाता है जो प्रत्याशी न्यूनतम कोटा प्राप्त कर लेता है उसे सफल घोषित किया जाता है।

    अथवा

    प्रश्न. मंत्री परिषद और मंत्रिमंडल में क्या मुख्य अंतर है? दोनों में कौन अधिक महत्वपूर्ण है और क्यों?

    उत्तर. मंत्री परिषद - प्रधानमंत्री की नियुक्ति हो जाने के बाद प्रधानमंत्री जीते हुए उम्मीदवारों में से प्रमुख नेताओं को राष्ट्रपति द्वारा मंत्री बनवाता है।

    मंत्री मंडल - मंत्री परिषद के कुछ खास और महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्रियों को मिलाकर एक मंत्रिमंडल तैयार किया जाता है।

    मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में प्रमुख अंतर इस प्रकार है -

    1. मंत्री परिषद एक संवैधानिक संस्था है जिसका संविधान में वर्णन किया गया है लेकिन मंत्रिमंडल कोई संवैधानिक संस्था नहीं है बल्कि इसका निर्माण प्रशासनिक कार्यों को बेहतर करने के लिए किया गया है।

    2. मंत्री परिषद एक बड़ी सभा होती है और इसमें कई सारे मंत्री होते हैं वहीं दूसरी तरफ मंत्रिमंडल में बहुत ही सीमित मंत्री होते हैं जिनकी संख्या 10 से 15 तक होती है। मंत्रिमंडल एक छोटी सभा है जिस की बैठक आसानी से बार-बार बुलाई जा सकती है।

    3. वर्तमान समय में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मंत्रिमंडल की भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है और यह एक महत्वपूर्ण सभा बन गई है वहीं दूसरी तरफ मंत्री परिषद एक आम सभा है और इसकी भूमिका मंत्रिमंडल की भूमिका से अत्यंत कम है।

    मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में अधिक महत्वपूर्ण सभा - यदि हम मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल का तुलनात्मक अध्ययन करें तो हम कह सकते हैं कि मंत्रिमंडल मंत्री परिषद की तुलना में अत्यधिक महत्वपूर्ण सभा है। मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण भूमिका होने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक यह है कि इसमें देश के बहुत ही महत्वपूर्ण मंत्रालय के मंत्री शामिल होते हैं जो कि प्रधानमंत्री के साथ निरंतर देश के गंभीर मामलों पर चर्चा करते हैं और नीतियां बनाने का कार्य करते हैं। मंत्रिमंडल की महत्व इसलिए भी है क्योंकि मंत्रिमंडल की बैठक आमतौर पर आसानी से बुलाई जा सकती है और प्रधानमंत्री बहुत तेजी से अपनी इस मंत्रिमंडल की बैठक से नीतियां बना पता है और निर्णय ले पाता है।

     

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