IMPORTANT QUESTIONS & ANSWERS
SUBJECT- PHYSICAL EDUCATION
CLASS-XII
प्रश्न
1.
संतुलित आहार किसे कहते हैं? इसका क्या महत्व
है?
उत्तर. संतुलित आहार वह आहार होता है
जिसमें भोजन के आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में उपस्थित होते हैं जैसे
कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन विटामिन वसा फाइबर आदि।
संतुलित आहार का महत्व -
1. संतुलित आहार से हमें कार्य करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा
प्राप्त हो पाती है।
2. संतुलित आहार किसी भी व्यक्ति की वृद्धि और विकास में
बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. संतुलित आहार के द्वारा ही मनुष्य की खराब उत्तक की
मरम्मत हो पाती है।
4. संतुलित आहार शरीर में किसी भी प्रकार की कमी से होने
वाली बीमारियों को कम करता है तथा कार्य क्षमता बढ़ाता है।
प्रश्न
2.
वसा हमारे लिए किस प्रकार से महत्वपूर्ण है?
उत्तर. वसा हमारे आहार में उपस्थित सभी
पोषक तत्वों में से सबसे ज्यादा ऊर्जा प्रदान करने वाला तत्व है। वसा की आवश्यकता
या महत्व को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -
1. वसा के माध्यम से ही शरीर को चर्बी प्राप्त हो पाती है।
2. वसा के द्वारा ही विटामिन A, D, E, और K के अवशोषण में सहायता होती है।
3. वसा मांस पेशी उत्तक के निर्माण और शरीर के कोमल अंगों
जैसे हृदय गुर्दे आदि के लिए सुरक्षा कवच की भांति काम करती है।
4. यह शरीर को सुडौल बनाती है तथा संक्रामक रोगों से बचाने
में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
प्रश्न
3.
हमारे शरीर के लिए विटामिन किस प्रकार से आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. भोजन में दो तरह के सूक्ष्म पोषक
तत्व होते हैं विटामिन और खनिज पदार्थ यह कम मात्रा में भोजन में आवश्यक होते हैं
और शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होते हैं। कुछ प्रमुख विटामिन का हमारे लिए महत्व
कुछ इस प्रकार से है -
1. विटामिन A - इसे रेटिनल भी कहा
जाता है यह शरीर की वृद्धि और विकास के लिए बहुत जरूरी है और मुख्य रूप से आंखों
के विकास के लिए हटा में खास भूमिका निभाता है।
2. विटामिन B - इस विटामिन के
अंतर्गत विटामिन बी समूह के 6 विटामिंस आते हैं जो कि
सामान्य स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
3. विटामिन D - विटामिन डी शरीर की
सभी हड्डियों के बनाने और उनके विधि एवं विकास में बहुत ही आवश्यक है।
4. विटामिन E - इस विटामिन की
आवश्यकता सेल मेंब्रेन की सुरक्षा के लिए होती है।
5. विटामिन K - यह विटामिन शरीर में
खून के थक्के को जमाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जब शरीर में कहीं चोट लग जाती
है तो यह बहने वाले खून को थक्के के द्वारा बंद कर देता है।
6. विटामिन C - यह विटामिन शरीर में
टेंडन और लिगामेंट्स की मरम्मत और विकास के लिए जरूरी है। यह शरीर को रोग
प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
प्रश्न
4.
प्रतियोगिता से संबंधित विभिन्न समितियों के कार्यों का वर्णन
कीजिए।
उत्तर. किसी भी प्रतियोगिता से संबंधित
विभिन्न समितियों के कार्य इस प्रकार हो सकते हैं-
1. प्रबंधन समिति - यह समिति किसी भी प्रतियोगिता का आयोजन
और संचालन से संबंधित सभी कार्य करती है और आवश्यक विभिन्न समितियों की स्थापना भी
करती है।
2. क्रय समिति - प्रतियोगिता के दौरान किसी भी उपकरण या
वस्तु की आवश्यकता पड़ने पर यह समिति उस वस्तु या उपकरण को उपलब्ध करवाती है।
4. परिवहन समिति - प्रतियोगिता में किसी प्रकार का विलंब
ना हो इसके लिए परिवहन समिति उत्तरदाई होती है और यह समिति खिलाड़ियों को निश्चित
स्थान पर पहुंच आती है और लेकर आती है।
5. भोजन तथा आवास समिति - यह समिति प्रतियोगिता के दौरान
सभी खिलाड़ियों और अधिकारियों के लिए भोजन की व्यवस्था का प्रबंध करती है।
6. अधिकारियों के लिए समिति - किसी भी प्रतियोगिता के
दौरान विशेष अधिकारी गणों के लिए यह समिति जिम्मेदार होती है और उनकी आवश्यकताओं
का ध्यान रखती है।
7. खेल मैदान व उपकरण समिति - यह समिति प्रतियोगिता के
दौरान खेल के मैदान और उपकरणों की व्यवस्था करती है और सुनिश्चित करती है कि किसी
प्रकार की कोई कमी ना रहे।
8. प्रतियोगिता कार्यक्रम समिति - प्रतियोगिता के दौरान
अगर किसी टीम या अधिकारी को कार्यक्रम से संबंधित कोई समस्या है तो इस समिति की
जिम्मेदारी है कि वह उस समस्या का निदान करें।
9. सजावट तथा समारोह समिति - इस समिति का कार्य
प्रतियोगिता के लिए सजावट करना होता है और यदि सजावट में कोई कमी रह जाती है तो
उसे दूर करने की जिम्मेदारी इस समिति की होती है।
10. प्राथमिक चिकित्सा समिति - यह समिति प्रतियोगिता के
दौरान किसी भी खिलाड़ी के चोट लगने पर उसका तुरंत प्राथमिक उपचार करने के लिए बनाई
जाती है।
11. उद्घोषणा समिति - प्रतियोगिता को सुचारू रूप से चलाने
के लिए कब कौन सा खेल और प्रतियोगिता होगी इसका प्रबंध उद्घोषणा समिति के द्वारा
किया जाता है।
12. प्रचार समिति - इस समिति का कार्य किसी भी प्रतियोगिता
के प्रारंभ होने से पहले उस प्रतियोगिता के बारे में तीन चार हफ्ते पूर्व ही
जानकारी प्रदान करना होता है जिससे कि सभी को प्रतियोगिता के बारे में पर्याप्त
जानकारी प्राप्त हो सके।
प्रश्न
5.
इंट्राम्यूरल्स खेलों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर. इंट्राम्यूरल्स खेलों के कुछ महत्व
इस प्रकार हैं -
1. यह खेल शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. इस खेल की मानसिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती
है।
3. इन खेलों के माध्यम से दबाव और चिंता को दूर किया जा
सकता है।
4. व्यक्तित्व के विकास में यह खेल बहुत ही महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं।
5. इन खेलों के माध्यम से पर्याप्त रूप में मनोरंजन भी
होता है।
6. इन खेलों के माध्यम से छात्रों की आक्रामकता को काफी हद
तक कम किया जा सकता है।
प्रश्न
6.
भोजन असहनशीलता क्या है? इसके क्या लक्षण है?
उत्तर. खाद्य असहिष्णुता या भोजन असहनशीलता
शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें हमारा शरीर भोजन के विशेष तत्व को अवशोषित करना
बंद कर दें। इस स्थिति का मुख्य कारण भोजन के किसी विशेष तत्वों से एलर्जी होना
होता है। कई बार हमारा शरीर भोजन की अधिक मात्रा की स्थिति में भी खाद्य
असहिष्णुता दर्शाता है।
प्रमुख लक्षण -
खाद्य असहिष्णुता या भोजन सहनशीलता के
प्रमुख लक्षण सिर दर्द,
घबराहट, उल्टी, दांतों
में दर्द, गैस, एसिडिटी, उदारवासु, पेट दर्द, मितली आना
तथा सीने में जलन आदि होता है।
प्रश्न
7.
मनुष्य के जीवन में योग आसनों का क्या महत्व है?
उत्तर. वर्तमान समय में मनुष्य विभिन्न प्रकार
की बीमारियों से घिरा रहता है और ऐसी स्थिति में मनुष्य का शारीरिक और मानसिक
विकास भी अवरुद्ध हो जाता है। विभिन्न प्रकार के योग आसनों की मदद से मनुष्य इन
बीमारियों को नियंत्रित कर सकता है तथा शरीर को स्वस्थ भी रख सकता है। योगासनों के
कुछ प्रमुख महत्व या आवश्यकता इस प्रकार हैं -
1. विभिन्न प्रकार के योगासन की मदद से व्यक्ति अपने
अनियंत्रित भार को नियंत्रित कर सकता है तथा शरीर को सुडौल और बीमारियों से मुक्त
भी रख सकता है।
2. कई प्रकार के योगासन मनुष्य की जीवन शैली को सुधारने का
कार्य करते हैं और उन्हें मज़बूत बनाते हैं। योगासन की सहायता से अंतः स्त्रावी
ग्रंथियों की सामान्य क्रिया को संचालित किया जा सकता है। वर्तमान समय में मनुष्य
मधुमेह नामक बीमारी से अत्यधिक परेशान रहता है और योगासन इस बीमारी को पूरी तरह से
नियंत्रित करने में काफी मदद करता है।
3. विभिन्न प्रकार के योगासन की मदद से श्वसन संबंधी
समस्याओं का निवारण किया जा सकता है और श्वसन प्रक्रिया को और सशक्त बनाया जा सकता
है। कई प्रकार के योगासन मनुष्य के फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं तथा शारीरिक क्षमता
को बढ़ाते हैं।
4. विभिन्न प्रकार के योगासन की सहायता से मनुष्य के रक्त
संचार को नियमित किया जा सकता है और उसे संतुलित भी किया जा सकता है। योगासन
मनुष्य के रक्त संचार को सुधारते हैं तथा सामान्य प्रक्रिया में लाते हैं।
5. विभिन्न प्रकार के योगासन मनुष्य के मेरुदंड से संबंधित
विकारों को दूर करते हैं तथा सही पोश्चर को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते
हैं।
6. विभिन्न प्रकार के योगासन की मदद से मनुष्य दबाव,
चिंता, और संकोच से मुक्ति पा सकता है। यह
मनुष्य को स्वस्थ्य और प्रसन्न रखने का एक बहुत ही आसान तरीका है।
प्रश्न
8.
मोटापा या स्थूलता से आप क्या समझते हैं? इसे
ठीक करने के लिए किन्ही दो आसनों की व्याख्या कीजिए तथा इसके विपरीत संकेतों को भी
लिखिए।
उत्तर. वर्तमान समय में विश्व के अधिकांश
व्यक्ति मोटापे की समस्या से परेशान हैं। सामान्य रूप से मोटापा एक ऐसी स्थिति
होती है जिसमें शरीर का भार आदर्श स्थिति से 20% से अधिक हो जाता है
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जब शरीर में वसा की मात्रा का स्तर बहुत अधिक
बढ़ जाता है तो इससे मोटापा कहा जाता है।
मोटापे के कारण -
1. मोटापे का एक प्रमुख कारण हमारी खाने-पीने की गलत आदतें
होती हैं।
2. मोटापे का एक और भी कारण है जिसे हम पाचन प्रणाली का
बिगड़ना भी कहते हैं।
3. मोटापे के लिए एक कारण यह भी होता है कि जब हम शारीरिक
श्रम ना के बराबर करने लगते हैं तो शरीर में वसा का जमाव शुरू हो जाता है।
4. मोटापे के लिए एक बहुत बड़ा कारण यह भी जिम्मेदार है कि
वर्तमान समय में अनियंत्रित जीवन चर्या और और संतुलित आहार मनुष्य का एक सामान्य
गुण बन गया है।
मोटापे से बचने के दो प्रमुख आसन -
1. वज्रासन ।
2. हस्तोत्तानासन।
3. त्रिकोणासन।
4. अर्धमत्स्येंद्रासन।
विपरीत संकेत -
1. वज्रासन किसी भी घटिया के रोगी को यह आसन नहीं करना
चाहिए तथा धावकों को भी इस आसन का ध्यान पूर्वक प्रयोग करना चाहिए।
2. हस्तोत्तानासन गर्दन में दर्द होने, कंधे के दर्द वाले मरीज तथा रीड की हड्डी से परेशान व्यक्ति को यह आसन
नहीं करना चाहिए।
3. ऐसे व्यक्ति को जो उच्च रक्तचाप से ग्रसित है, गर्दन में दर्द से परेशान हैं, हैमस्ट्रिंग में चोट
लगने से बचने के लिए त्रिकोणासन नहीं करना चाहिए।
4. गंभीर पीठ दर्द, गर्दन के दर्द,
डिस्क की समस्या, आंतरिक अंग की समस्या तथा
गर्भवती महिलाओं को अर्धमत्स्येंद्रासन नहीं करना चाहिए।
प्रश्न
9.
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शारीरिक गतिविधियों के महत्व की
व्याख्या करें। शारीरिक गतिविधियों को उनके लिए सुलभ बनाने के लिए आप कौन सी रणनीतियों का उपयोग करेंगे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए
शारीरिक गतिविधियों के प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं -
1. शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से इन बच्चों का शारीरिक
विकास और सुधार संभव हो सकता है।
2. शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से विशेष आवश्यकता वाले
बच्चों की मानसिक विकास में भी सहायता होती है।
3. शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से ऐसे बच्चों का
आत्मसम्मान भी बढ़ने लगता है।
4. शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से विशेष आवश्यकता वाले
बच्चों का स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है।
5. शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से ऐसे छात्र नए-नए अनुभव
प्राप्त करते हैं तथा नए नए दोस्त बनाते हैं और स्वयं को काफी रोमांचित महसूस करते
हैं।
6. शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से विशेष आवश्यकता वाले
बच्चों की कार्य क्षमता में भी वृद्धि देखने को मिलती है।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शारीरिक
क्रियाओं का निर्धारण करने से पहले कई प्रकार की रणनीतियों का निर्धारण करना पड़ता
है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं -
1. शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने से पहले इन छात्रों की
विशेष डॉक्टरी जांच भी कराई जाती है जिससे कि किसी प्रकार की कोई हानि ना हो।
2. विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए शारीरिक गतिविधि का
निर्धारण करने से पहले पूर्व अनुभव का प्रयोग करना चाहिए।
3. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शारीरिक गतिविधियों
का निर्धारण करने से पहले यह तय कर लेना चाहिए कि उन्हें किस प्रकार की गतिविधि
अत्यधिक पसंद है।
4. जब भी किसी शारीरिक गतिविधि का चयन विशेष आवश्यकता वाले
बच्चों के लिए किया जाए तो यह भी निश्चित कर लेना चाहिए कि यह गतिविधि उनकी क्षमता
के अनुरूप हो।
5. शारीरिक गतिविधि का निर्धारण करने से पहले यह भी जांच
लेना चाहिए कि विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए उपयुक्त वातावरण भी उपलब्ध हो।
6. विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए शारीरिक गतिविधि का
निर्धारण करने के लिए अनुदेश भी स्पष्ट रूप से होने चाहिए जिससे कि शारीरिक
गतिविधि सुचारु रुप से संचालित हो सके।
प्रश्न
10.
खेलों में महिलाओं की कम भागीदारी के कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख
कीजिए।
उत्तर. अक्सर हम देखते हैं कि खेलकूद में
स्त्रियों के भाग लेने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं। महिलाओं के खेलकूद में कम
भाग लेने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं -
1. विभिन्न प्रकार के खेलकूद में स्त्रियों के भागना लेने
के लिए माता-पिता द्वारा पर्याप्त प्रोत्साहन ना दिया जाना भी एक प्रमुख कारण है।
2. स्त्रियों के खेलकूद में भाग लेने के लिए विभिन्न
प्रकार की परंपराओं में जकड़े समाज का एक जटिल रूप भी महत्वपूर्ण जिम्मेदार कारक
है।
3. विभिन्न प्रकार के खेलकूद में महिलाओं के भाग न लेने के
लिए जिज्ञासा और ज्ञान की कमी भी एक प्रमुख कारण है।
4. महिलाओं द्वारा विभिन्न प्रकार की खेलकूद की
प्रतियोगिताओं में हिस्सा न लेने के लिए उन्हें पर्याप्त रूप में प्रेरणा और
प्रोत्साहन का नाम मिलना भी एक प्रमुख कारण है।
5. विभिन्न प्रकार के खेलकूद की प्रतियोगिताओं में महिलाओं
का कम भागीदारी इसलिए भी होती है क्योंकि उन्हें
विभिन्न विषय अध्यापक द्वारा भाग लेने से रोका भी जाता है।
6. विभिन्न प्रकार के खेल प्रतियोगिताओं में महिलाओं की कम
हिस्सेदारी इसलिए भी होती है क्योंकि महिलाओं में साक्षरता दर पुरुषों की तुलना
में काफी कम है।