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  • शिक्षा निदेशालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली

    अभ्यास प्रश्न पत्र हल सहित (मध्यावधि परीक्षा)

    कक्षा-XI (2022-23)

    विषय-राजनीति विज्ञान

    अधिकतम अंक 80                                                समय 3 Hours

    सामान्य निर्देश:-

    1. प्रश्न पत्र में कुल 31 प्रश्न है। सभी प्रश्न अनिवार्य है।

    2. इस प्रश्न पत्र में A, B और C कुल तीन खंड है। खंड A में योग्यता आधारित, खंड B में वस्तुनिष्ठ व खंड C में वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।

    3. खंड A में 1 से 5 तक केस स्टडी आधारित, स्त्रोत और कार्टून आधारित कुल पांच प्रश्न दिए गए हैं। इनके उत्तर निर्देशानुसार दीजिए।

    4. खंड B में 6-21 तक कुल 16 वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिए गए हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।

    5. खंड C में वर्णनात्मक प्रकार के 22-31 तक 2, 4 और 6 अंकीय प्रश्न दिए गए हैं। 2 अंकीय प्रश्नों के उत्तर 40 शब्दों में, 4 अंकीय प्रश्नों के उत्तर 100 शब्दों में और 6 अंकीय प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक नहीं होनी चाहिए। मानचित्र से संबंधित प्रश्न का उत्तर निर्धारित प्रारूप के अनुसार दीजिए।

     

    खंड A ( योग्यता आधारित प्रश्न)

    प्रश्न संख्या 1-2 केस स्टडी आधारित है। इनका ध्यान पूर्वक अध्ययन कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    प्रश्न 1. कानून की सामान्य प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति तभी अदालत जा सकता है जब उसका कोई व्यक्तिगत नुकसान हुआ हो। इसका मतलब यह है कि अपने अधिकार का उल्लंघन होने पर, किसी विवाद में फंसने पर कोई व्यक्ति इंसाफ पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। 1979 से इस अवधारणा में बदलाव आया। 1979 में इस बदलाव की शुरुआत करते हुए न्यायालय ने एक ऐसे मुकदमे की सुनवाई करने का निर्णय लिया जिसे पीड़ित लोगों ने नहीं बल्कि उनकी ओर से दूसरों ने दाखिल किया था। क्योंकि इस मामले में जनहित से संबंधित मुकदमें में विचार हो रहा था अतः इसे और ऐसे ही अन्य अनेक मुकदमों को जनहित याचिकाओं का नाम दिया गया।(4x1=4)

    1.1 कानून की सामान्य प्रक्रिया के तहत भारत में किसे अदालत जाने का अधिकार है?

    A. केवल पुरुषों को

    B. केवल महिलाओं को

    C. केवल युवाओं को

    D. सभी भारतीय नागरिकों को

    उत्तर. D. सभी भारतीय नागरिकों को

    1.2 पी आई एल (PIL) का सही विस्तृत रूप क्या है?

    A. प्राइवेट इंटरेस्ट लिटिगेशन

    B. पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन

    C. प्राइवेट इंटेलिजेंस लिटिगेशन

    D. पब्लिक इंटेलिजेंस लिटिगेशन

    उत्तर. B. पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन

    1.3 पी आई एल (PIL) की शुरुआत कब से मानी जाती है?

    A. 1950

    B. 1960

    C. 1970

    D. 1979

    उत्तर. D. 1979

    1.4 एस ए एल (SAL) का सही विस्तृत रूप क्या है?

    A. सोशल इंटरेस्ट लिटिगेशन

    B. सोशल एक्शन लिटिगेशन

    C. सोशल आर्टिकल लिटिगेशन

    D. सोशल एडवाइजरी लिटिगेशन

    उत्तर. B. सोशल एक्शन लिटिगेशन

    प्रश्न 2. दक्षिण अफ्रीका का संविधान 1996 में लागू हुआ। इसे तब बनाया गया और लागू किया गया जब रंगभेद वाली सरकार के हटने के बाद दक्षिण अफ्रीका गृह युद्ध की खतरे से जूझ रहा था। दक्षिण अफ्रीका के संविधान के अनुसार उसके अधिकारों का घोषणा पत्र, दक्षिण अफ्रीका में प्रजातंत्र की आधारशिला है। यह नस्ल लिंग, धर्म, अंतरात्मा, आस्था, संस्कृति, भाषा और जन्म के आधार पर भेदभाव वर्जित करता है। संवैधानिक अधिकारों को एक विशेष संवैधानिक न्यायालय लागू करता है।(4x1=4)

    2.1 दक्षिण अफ्रीका का संविधान कब लागू हुआ?

    A. 1995

    B. 1996

    C. 1998

    D. 1999

    उत्तर. B. 1996

    2.2 दक्षिण अफ्रीका के संविधान का मूल रूप से निम्नलिखित में से कौन सा आधार है?

    A. गणतंत्र का आधार

    B. प्रजातंत्र का आधार

    C. राजतंत्र का आधार

    D. कुलीन तंत्र का आधार

    उत्तर. B. प्रजातंत्र का आधार

    2.3 दुनिया में संभवत है सबसे अधिक व्यापक अधिकार है -

    A. अफ्रीका के नागरिकों को

    B. भारत के नागरिकों को

    C. दक्षिण अफ्रीका के नागरिकों को

    D. दक्षिण कोरिया के नागरिकों को

    उत्तर. C. दक्षिण अफ्रीका के नागरिकों को

    2.4 दक्षिण अफ्रीका में संवैधानिक अधिकारों को लागू करने के लिए कौन सा न्यायालय बनाया गया है?

    A. सर्वोच्च न्यायालय

    B. उच्च न्यायालय

    C. अधीनस्थ न्यायालय

    D. संवैधानिक न्यायालय

    उत्तर.  D. संवैधानिक न्यायालय

    प्रश्न संख्या 3-4 स्त्रोत आधारित है। इनका ध्यान पूर्वक अध्ययन कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

    प्रश्न 3. राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक जीवन को अनुप्राणित करने वाले स्वतंत्रता, समानता, न्याय जैसे मूल्य के बारे में सुव्यवस्थित रूप से विचार करता है। अतीत और वर्तमान के कुछ प्रमुख राजनीतिक चिंतकों को केंद्र में रखकर इन अवधारणाओं की मौजूदा परिभाषा को स्पष्ट करता है। वर्तमान परिभाषाएं कितनी उपयुक्त हैं और कैसे वर्तमान नीतियों के अनुपालन को अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लिए इनका परिमार्जन किया जाए। राजनीतिक सिद्धांत का उद्देश्य नागरिकों को राजनीतिक प्रश्नों के बारे में तर्कसंगत ढंग से सोचने और सामाजिक राजनीतिक घटनाओं को सही तरीके से आँकने का प्रशिक्षण देता है।

    (i) वर्तमान में राजनीतिक सिद्धांत किन उद्देश्यों की प्राप्ति में योगदान देता है?(3)

    उत्तर. राजनीतिक सिद्धांत का प्रमुख उद्देश्य नागरिकों को राजनीतिक प्रश्नों के बारे में तर्कसंगत ढंग से सोचने और विभिन्न प्रकार की सामाजिक राजनीतिक घटनाओं का सही तरीके से आंकने का प्रशिक्षण भी देता है। राजनीतिक सिद्धांत नागरिकों को जागरूक और जिम्मेदार बनाता है तथा शासन प्रक्रिया में भागीदारी के लिए प्रेरित भी करता है।

    (ii) राजनीतिक सिद्धांत के प्रमुख मूल्यों को स्पष्ट कीजिए।(3)

    उत्तर. राजनीतिक सिद्धांत के बहुत से महत्वपूर्ण मूल्य हैं जिनमें स्वतंत्रता, समानता और न्याय प्रमुख हैं।

    प्रश्न 4. संविधान यह तय करता है कि कानून कौन बनाएगा। कानून बनाने का अधिकार किसके पास होगा? संविधान सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किए जाने वाले कानूनों की सीमा भी तय करता है। एक सभ्य समाज के लिए संविधान आवश्यक है। संविधान के माध्यम से ही किसी समाज के लिए एक सामूहिक इकाई के रूप में पहचान होती है। कुछ बुनियादी नियमों और सिद्धांतों पर सहमत होकर हम अपनी मूलभूत राजनीतिक पहचान बनाते हैं।

    (i) संविधान और कानून में क्या संबंध है? (3)

    उत्तर. संविधान और कानून एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। और संविधान के द्वारा ही यह तय किया जाता है कि कानून कौन बनाएगा?  संविधान ही कानून की सीमा तय करता है।

    (ii) नागरिकों की राजनीतिक पहचान से क्या आशय है? (3)

    उत्तर. नागरिकों की राजनीतिक पहचान से अभिप्राय है कि कोई भी व्यक्ति किसी देश का नागरिक बनता है क्योंकि वह उस देश के बुनियादी नियमों और संविधान  को मानता है। इन बुनियादी नियमों और सिद्धांतों को मारने के बाद ही व्यक्ति की राजनीतिक पहचान बनती है।

    प्रश्न 5. दिए गए कार्टून का ध्यान पूर्वक अध्ययन कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

    (i) नवीन राज्यों का गठन किन आधारों पर किया जा सकता है?(2)

    उत्तर. वर्ष 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग के द्वारा भारत में राज्यों का पुनर्गठन किया गया था। इसके बाद भारत में भाषा के आधार पर राज्यों का गठन किया गया, जिसमें 1960 में गुजरात और महाराष्ट्र तथा 1966 में पंजाब और हरियाणा को अलग अलग राज्य बनाया गया और इसके बाद मेघालय, मणिपुर, और अरुणाचल प्रदेश की भी स्थापना हुई। भारत में नए राज्यों का निर्माण मुख्य रूप से अब प्रशासनिक और विकास के आधार पर किया जाता है।

    (ii) नए राज्यों का गठन किस प्रकार देश के लिए लाभप्रद हो सकता है?(2)

    उत्तर. नए राज्यों के गठन से देश का विकास तेजी से हो पाता है क्योंकि बड़े बड़े राज्य अपनी सभी योजनाएं पूरी तरह से क्रियान्वित नहीं कर पाते हैं जिसके कारण विकास की मुख्यधारा से काफी लोग अलग रह जाते हैं। इस प्रकार बड़े राज्यों को विभाजित करके उन्हें बेहतर तरीके से शासित किया जा सकता है और उनका विकास भी किया जा सकता है जो देश के विकास के लिए लाभप्रद हो सकता है। इसी आधार पर वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड, मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ और बिहार से झारखंड राज्य बनाए गए थे।

    खंड B (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

    प्रश्न संख्या 6 से 21 तक दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशानुसार दीजिए।

    प्रश्न संख्या 6 से 12 तक दिए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों में एक सही विकल्प का चयन कर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए -

    प्रश्न 6. संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत कितनी प्रकार की याचिकाओं का जिक्र किया गया है?(1)

    A. दो

    B. तीन

    C. चार

    D. पाँच

    उत्तर. पाँच

    प्रश्न 7. किस गैर राजनीतिक क्षेत्र में राजनीति का प्रवेश नहीं हुआ है? (1)

    A. जीवन जीने का अधिकार

    B. घरेलू जीवन में हस्तक्षेप

    C. विदेश यात्रा

    D. पर्यावरणीय क्षेत्र

    उत्तर. A. जीवन जीने का अधिकार

    प्रश्न 8. भारत के संविधान में अब तक कितने संशोधन हो चुके हैं? (1)

    A. 101

    B. 102

    C. 103

    D. 104

    उत्तर. 104

    प्रश्न 9. गांव के स्थानीय शासन से निम्नलिखित में से कौन सा संविधान संशोधन संबंधित है? (1)

    A. 10वां

    B. 50वां

    C. 74वां

    D. 73वां

    उत्तर. 73वां।

    प्रश्न 10. परिसीमन आयोग का गठन कौन करता है? (1)

    A. प्रधानमंत्री

    B. राष्ट्रपति

    C. न्यायाधीश

    D. उपराष्ट्रपति

    उत्तर. राष्ट्रपति।

    प्रश्न 11. वोट देने की आयु 21 वर्ष से कम कर 18 वर्ष कब की गई? (1)

    A. 1982 में

    B. 1998 में

    C. 1999 में

    D. 1989 में

    उत्तर. 1989 में।

    प्रश्न 12. राजनीति क्या है? (1)

    A. राजनीति शासन करने की कला है

    B. राजनीति प्रशासन संचालन के विवादों का हल प्रस्तुत करती है

    C. राजनीतिक जन कल्याण से संबंधित है

    D. राजनीति सरकार और राज्यों के बीच संबंधों को स्पष्ट कर दी है।

    उत्तर. D. राजनीति सरकार और राज्यों के बीच संबंधों को स्पष्ट कर दी है।

    प्रश्न संख्या 13 से 16 तक के दिए गए प्रश्नों में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।

    प्रश्न 13. लोकतांत्रिक चुनाव में जनता __ देती है।(1)

    उत्तर. मत।

    प्रश्न 14. भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष ___ थे।(1)

    उत्तर. डॉ राजेंद्र प्रसाद।

    प्रश्न 15. सभी राज्य में पंचायती राज व्यवस्था का ढांचा ___ है।(1)

    उत्तर. त्रिस्तरीय।

    प्रश्न 16. अनुच्छेद 1 में भारत को ____ कहा गया है।(1)

    उत्तर. राज्यों का संघ (यूनियन)

    प्रश्न संख्या 17 से 19 तक के दिए गए प्रश्नों का अध्ययन कर उत्तर पुस्तिका में सही अथवा गलत लिखिए।

    प्रश्न 17. भारत में स्वतंत्र निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई है।(1)

    उत्तर. सही।

    प्रश्न 18. 42वां संविधान संशोधन वर्ष 1978 में किया गया।(1)

    उत्तर. गलत। ( 42वां संविधान संशोधन वर्ष 1976 में किया गया था।)

    प्रश्न 19. स्थानीय निकायों के चुनाव के कारण निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की संख्या महानगरों में कोई वृद्धि नहीं हुई।(1)

    उत्तर. गलत।

    प्रश्न संख्या 20-21 का उत्तर संक्षिप्त उत्तर लिखिए।

    प्रश्न 20. ग्राम पंचायत से आप क्या समझते हैं? (1)

    उत्तर. ग्राम पंचायत ग्रामीण स्थानीय शासन की पहली इकाई है। यह भारत के पंचायती राज प्रणाली कि त्रिस्तरीय व्यवस्था का पहला स्तर है। इसमें गांव के फैसले लोगों के द्वारा चुने गए पंचों द्वारा लिए जाते हैं।

    प्रश्न 21. केंद्र सूची के किन्हीं दो विषयों को लिखिए।(1)

    उत्तर. प्रतिरक्षा, विदेश मामले, युद्ध और शांति, बैंकिंग, मुद्रा, रेलवे, वायु सेवा, विदेश व्यापार आदि यह सब केंद्रीय सूची के विषय हैं।

    अथवा

    प्रश्न . भारतीय संघवाद को किस नाम से जाना जाता है?

    उत्तर. भारतीय संघवाद को सहकारी संघवाद के नाम से भी जाना जाता है।

    खंड C (वर्णात्मक प्रश्न)

    दो अंकीय प्रश्न -

    प्रश्न 22. सामुदायिक विकास कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं?(2)

    उत्तर. वर्ष 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरुआत की गई और इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय विकास की विभिन्न गतिविधियों में जनता की भागीदारी को सुनिश्चित करना था। अतः हम कह सकते हैं कि सामुदायिक विकास कार्यक्रम स्थानीय शासन की शुरुआत थी।

    प्रश्न 23. राजनीतिक सिद्धांत को परिभाषित कीजिए।(2)

    उत्तर. राजनीतिक सिद्धांत उन विचारों और नीतियों के व्यवस्थित रूप को प्रतिबिंबित करता है जिनसे हमारे सामाजिक जीवन, सरकार और संविधान ने आकार ग्रहण किया है। यह स्वतंत्रता, समानता, न्याय, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता जैसी अवधारणाओं का अर्थ स्पष्ट करता है।

    प्रश्न 24. स्थानीय स्वशासन की त्रिस्तरीय संरचना क्या है? स्पष्ट कीजिए।(2)

    उत्तर. भारत में वर्ष 1992 में 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय शासन में त्रिस्तरीय स्वशासन की व्यवस्था जिसके अंतर्गत ग्राम पंचायत, ब्लॉक पंचायत और जिला परिषद आते हैं। इसे ही स्थानीय स्वशासन की त्रिस्तरीय संरचना कहा जाता है।

    चार अंकीय प्रश्न -

    प्रश्न 25. न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संविधान द्वारा किस प्रकार सुनिश्चित किया गया है? ऐसे किन्ही चार उपायों को लिखिए।(4x1=4)

    उत्तर. भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है जिससे कि भारत में सभी व्यक्तियों को समान रूप से न्याय प्राप्त हो सके। न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संविधान द्वारा सुनिश्चित किया गया है जिसे हम निम्नलिखित प्रावधानों के माध्यम से समझ सकते हैं -

    1. भारत में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु सुनिश्चित की गई है।

    2. भारत के न्यायाधीशों को देश की संचित निधि से वेतन दिया जाता है।

    3. भारत के किसी भी न्यायाधीश के द्वारा दिए गए निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकती।

    4. न्यायपालिका के कार्य में किसी भी प्रकार का कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता है।

    5. न्यायाधीशों की नियुक्ति में विधायक का का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।

    6. न्यायाधीशों को उनके पद से हटाना एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है जिसे महाभियोग की प्रक्रिया कहते हैं।

    प्रश्न 26. एकसदनीय और द्विसदनीय विधायिका में क्या अंतर है?(4)

    उत्तर. जब किसी देश की विधायिका में केवल एक ही सदन होता है तो इसे एकसदनीय विधायिका कहते हैं। वही जब देश की विधायिका में दो सदन होते हैं तो इसे द्विसदनीय विधायिका कहते हैं। एकसदनीय और द्विसदनीय विधायिका में कुछ प्रमुख अंतर इस प्रकार हैं -

    1. एकसदनीय विधायिका में संसद के केवल एक ही सदन को सभी जिम्मेदारियां और शक्तियां प्राप्त होती हैं जबकि द्विसदनीय विधायिका में दोनों सदनों को जिम्मेदारी और शक्तियां प्राप्त होती है।

    2. एकसदनीय विधायिका मुख्य रूप से ऐसे देशों में देखने को मिलती है जहां पर सरकार का रूप एकात्मक प्रणाली पर आधारित होता है जबकि द्विसदनीय प्रणाली आम तौर पर उन देशों में देखने को मिलती है जहां पर सरकार का स्वरूप संघीय व्यवस्था पर आधारित होता है।

    3. एकसदनीय प्रणाली में आमतौर पर देखा जाता है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया की दक्षता आमतौर पर विधायिका की द्विसदनीय प्रणाली की तुलना में अधिक तीव्र होती है।

    4. एकसदनीय विधायिका में संघर्ष की संभावना ना के बराबर होती है जबकि द्विसदनीय विधायिका में संघर्ष की संभावना अधिक होती है।

    5. एकसदनीय विधायिका में समय और धन दोनों की बचत होती है जबकि द्विसदनीय विधायिका में समय भी अधिक लगता है और धन भी अधिक खर्च होता है।

    अथवा

    प्रश्न . संसद की संरचना को स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर. संसद - देश की सबसे बड़ी कानून बनाने वाली संस्था को संसद कहा जाता है। भारत की संसद का निर्माण लोकसभा राज्यसभा और राष्ट्रपति के मिलने से होता है। संसद के मुख्य रूप से तीन अंग होते हैं। संसद की संरचना को हम किस प्रकार से समझ सकते हैं -

    1. लोकसभा - भारतीय संसद का एक प्रमुख अंग लोकसभा है यह संसद का प्रथम सदन है और निचला सदन भी कहलाता है। लोकसभा के चुनाव प्रत्येक 5 वर्ष में होते हैं और इनके सदस्यों का चुनाव जनता के द्वारा किया जाता है। लोकसभा के वर्तमान सदस्य 545 हैं।

    2. राज्य सभा - भारतीय संसद का दूसरा और महत्वपूर्ण सदन राज्यसभा है इसे द्वितीय सदन तथा उच्च सदन भी कहते हैं। राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य की विधानसभाओं के सदस्य करते हैं जोकि 6 वर्ष के लिए होता है। राज्य सभा की अधिकतम सदस्य संख्या 250 है। राज्यसभा कभी भी भंग नहीं होती।

    3. राष्ट्रपति - भारतीय संसद का तीसरा और महत्वपूर्ण अंग राष्ट्रपति होता है। लोकसभा और राज्यसभा के बाद कोई भी विधेयक राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के बाद वह विधेयक क़ानून का रूप धारण कर लेता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन संसद और विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति की न्यूनतम आयु 35 वर्ष है तथा राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित है।

    प्रश्न 27. संघवाद की मुख्य विशेषताओं को लिखिए।(4)

    उत्तर. संघवाद शासन की ऐसी प्रणाली होती है जिसमें शक्तियों का या सरकार का दो या दो से अधिक स्तरों पर विभाजन होता है। संघवाद की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं -

    1. संघीय शासन प्रणाली में सरकार दो या दो से अधिक स्तरों पर विभाजित होती है अर्थात संघीय शासन प्रणाली में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों होती हैं और कहीं-कहीं पर स्थानीय सरकार भी देखने को मिलती है।

    2. संघवाद का एक प्रमुख लक्षण या विशेषता यह भी है कि इसमें एक लिखित संविधान पाया जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि संघवाद की प्रमुख विशेषता लिखित संविधान का पाया जाना भी है।

    3. स्वतंत्र न्यायपालिका संघवाद की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। जिस देश में भी संघवाद होता है वहां पर एक स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका देखने को मिलती है।

    4. संघवाद की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि इसके अंतर्गत संविधान की सर्वोच्चता पाई जाती है अर्थात संघीय शासन प्रणाली वाले देशों में संविधान सर्वोच्च होता है और सभी को संविधान के अनुसार ही कार्य करना होता है।

    5. संघवाद की प्रमुख विशेषता यह भी है कि इसमें विधायिका द्विसदनीय होती है अर्थात संघीय व्यवस्था वाले देशों में विधायिका का रूप द्विसदनीय होता है।

    अथवा

    प्रश्न . अनुच्छेद 257 (1) का संबंध किससे है?

    उत्तर. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 257 (1) में निम्नलिखित व्यवस्था की गई है -

    1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 257 (1) के अनुसार प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका की शक्ति का प्रयोग इस प्रकार किया जाएगा जिससे यह संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में कोई बाधा ना बने या कोई प्रतिकूल प्रभाव ना डालें।

    2. इसके साथ ही केंद्र सरकार आवश्यकता अनुसार राज्य सरकार को इस संबंध में दिशानिर्देश भी दे सकती है।

    3. यदि राज्य सरकार अनुच्छेद 257 (1) के तहत केंद्र सरकार द्वारा दिए गए आदेश का पालन करने में असफल रहती है या उसे प्रभावी रूप से लागू कराने में असफल रहती है तो इस स्थिति में राष्ट्रपति को संबंधित राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार है।

    प्रश्न 28. भारत के दिए गए मानचित्र में A, B, C और D से ऐसे चार राज्य दर्शाए गए हैं जहां द्विसदनीय विधानमंडल है। इनको पहचान कर अपनी उत्तर पुस्तिका में निम्नलिखित तालिका के रूप में लिखिए।(4x1=4)

    क्रम संख्या

    संबंधित अक्षर

    राज्य का नाम

    i.

     

     

    ii.

     

     

    iii.

     

     

    iv.

     

     


    उत्तर.

    क्रम संख्या

    संबंधित अक्षर

    राज्य का नाम

    i.

    A

    उत्तर प्रदेश

    ii.

    B

    कर्नाटक

    iii.

    C

    महाराष्ट्र

    iv.

    D

    तेलंगाना

    6 अंकिय प्रश्न -

    प्रश्न 29. भारत के चुनाव व्यवस्था में सुधार के लिए आप क्या सुझाव देंगे? सविस्तार लिखिए।(6)

    उत्तर. भारत की चुनाव व्यवस्था में कुछ सुधारों की आवश्यकता है जिसके बाद भारतीय चुनाव व्यवस्था और भी अधिक अच्छी बन सकती है। भारत की चुनाव व्यवस्था में कुछ प्रमुख सुधार इस प्रकार किए जा सकते हैं -

    1. हमारे चुनाव व्यवस्था को सर्वाधिक मत्स्य जीत वाली प्रणाली के स्थान पर किसी प्रकार की समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करनी चाहिए। इससे राजनीतिक दलों को उसी अनुपात में सीटें मिलेंगे जिस अनुपात में उन्हें वोट मिलेंगे।

    2. संसद और विधानसभाओं में कम से कम एक तिहाई सीटों पर महिलाओं को चुनने के लिए विशेष प्रावधान बनाया जाना चाहिए।

    3. भारत की चुनावी राजनीति में धन के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए और अधिक कठोर प्रावधान किए जाने की आवश्यकता है। सरकार को एक विशेष निधि से चुनावी खर्चों का भुगतान करना चाहिए।

    4. जिस उम्मीदवार के विरुद्ध फौजदारी का मुकदमा हो उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए, भले ही उसने इसके विरुद्ध न्यायालय में अपील कर रखी हो।

    5. चुनाव प्रचार में जाति और धर्म के आधार पर की जाने वाली किसी भी अपील को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देना चाहिए।

    6. राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने के लिए तथा उनकी कार्यविधि को और अधिक पारदर्शी तथा लोकतांत्रिक बनाने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए।

    अथवा

    प्रश्न . भारतीय संसदीय चुनाव में कौन सी चुनाव पद्धति अपनाई जाती है? व्याख्या कीजिए।

    उत्तर. लोक सभा के निर्वाचन - भारत में लोकसभा के चुनाव में सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली अपनाई जाती है। इसका मतलब है कि भारत में लोकसभा के चुनाव हर 5 वर्ष में कराए जाते हैं और कोई भी व्यक्ति जो 5 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है उम्मीदवार के रूप में नामांकन करा सकता है। प्रत्येक भारतीय मतदाता लोकसभा के चुनाव में अपने-अपने क्षेत्रों में मतदान करते हैं और अपने मनपसंद उम्मीदवार का चयन करते हैं इस तरह से लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया को पूर्ण कराया जाता है। लोकसभा के चुनावों में जिस प्रतिनिधि को सबसे ज्यादा मत प्राप्त होते हैं वह प्रतिनिधि विजई घोषित किया जाता है।

    राज्य सभा के निर्वाचन - राज्यसभा भारत की संसद का द्वितीय सदन है और इसे उच्च सदन भी कहते हैं। राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन भारतीय चुनाव आयोग के द्वारा कराया जाता है और राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन 6 वर्षों के लिए होता है। राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों के द्वारा होता है। राज्यसभा में प्रत्येक राज्य की सीटें निर्धारित की गई हैं।

    प्रश्न 30. राष्ट्रपति के किन्हीं तीन विशेष अधिकारों का वर्णन कीजिए।(3x2=6)

    उत्तर. राष्ट्रपति भारत में कार्यपालिका का प्रधान होता है और देश के समस्त कार्य राष्ट्रपति के नाम से संचालित होते हैं। राष्ट्रपति की कुछ विशेष शक्तियां होती हैं जिन्हें हम विशेषाधिकार भी कहते हैं। इनमें से कुछ विशेषाधिकार इस प्रकार हैं -

    1. राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह को वापस लौटा सकता है और उसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकता है। ऐसा करने पर राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग करता है। जब कभी राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि कोई विधेयक पूर्ण नहीं है या उसमें कोई त्रुटि है या फिर यह फैसला देश के हित में नहीं है तो वह मंत्री परिषद से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकता है। यद्यपि मंत्री परिषद पुनर्विचार के बाद भी उसे वही विधेयक वापस भेज सकती है तब राष्ट्रपति को उस विधेयक पर हस्ताक्षर करने पढ़ते हैं लेकिन राष्ट्रपति द्वारा किसी विधेयक को वापस लौटाना अपने आप में मायने रखता है।

    2. राष्ट्रपति की दूसरी विशेष शक्ति उसके पास वीटो शक्ति का होना भी है। राष्ट्रपति किसी भी विधेयक को लेकिन वह धन विधेयक नहीं होना चाहिए को वापस लौटा सकता है या अपने पास रख सकता है बिना स्वीकृति दिए। भारत के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि राष्ट्रपति को एक निश्चित समय सीमा में किसी विधेयक को वापस लौटाना होगा। इसका मतलब यह हुआ कि जब राष्ट्रपति को किसी विधेयक पर अपनी स्वीकृति नहीं देनी होती है तो वह उस विधेयक को स्वीकृति देने में विलंब करने लगता है और जब राष्ट्रपति इस तरह का व्यवहार करता है तो इसे पॉकेट वीटो का नाम दिया जाता है। वर्ष 1986 में राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने डाक संशोधन विधेयक पर इसी तरह का व्यवहार किया था।

    3. राष्ट्रपति का तीसरा विशेषाधिकार तब देखने को मिलता है जब लोकसभा में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है और सरकार बनाने के लिए कोई भी राजनीतिक दल बहुमत सिद्ध नहीं कर पाता है। ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रपति अपने स्वविवेक का प्रयोग करता है और लोकसभा में जिस राजनीतिक दल के नेता पर उसे सबसे ज्यादा भरोसा होता है उसे सरकार बनाने का आमंत्रण देता है तथा बहुमत सिद्ध करने का समय देता है। वर्ष 1989 से भारत में गठबंधन की सरकार का दौर शुरू हुआ और इसके बाद से किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला ऐसी परिस्थिति में कई बार राष्ट्रपति को अपने स्वविवेक का प्रयोग करना पड़ा।

    इस तरह से हम कह सकते हैं कि भारत में राष्ट्रपति के पास में कई प्रकार की विशेष शक्तियां भी हैं।

    अथवा

    प्रश्न . मंत्री परिषद के प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री की किन्हीं तीन भूमिकाओं का उल्लेख कीजिए।

    उत्तर. भारत में संसदीय कार्यपालिका को अपनाया गया है इसका अर्थ यह है कि भारत में वास्तविक रुप से शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद की सहायता से करता है। प्रधानमंत्री की मंत्री परिषद के प्रधान के रूप में भूमिका को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -

    1. भारत में प्रधानमंत्री का सरकार में स्थान सर्वोपरि है। बिना प्रधानमंत्री के मंत्रिपरिषद का कोई अस्तित्व नहीं होता है। मंत्री परिषद तभी अस्तित्व में आती है जब प्रधानमंत्री अपने पद की शपथ ग्रहण कर लेता है।

    2. मंत्री परिषद के प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद में तालमेल बनाए रखता है तथा सभी मंत्रियों में सामंजस्य बनाए रखने के लिए कार्य करता है। प्रधानमंत्री की यह विशेष जिम्मेदारी होती है कि मंत्री परिषद के सभी मंत्री अपने कार्यों के प्रति गंभीर रहें और सरकार की नीतियों और कार्यों का समर्थन करते रहे।

    3. प्रधानमंत्री मंत्री परिषद के प्रधान के रूप में यह भी तय करता है कि किस व्यक्ति को कौन सा मंत्रालय देना है और किस मंत्री को पद से हटाना है। प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी होती है कि वह मंत्री परिषद का निर्माण सोच समझकर करें जिससे कि सरकार के संचालन में सुविधा रहे।

    4. मंत्री परिषद के प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री की यह जिम्मेदारी भी होती है कि वह अपने सभी कार्यों की जानकारी राष्ट्रपति को उपलब्ध कराएं। प्रधानमंत्री सरकार के सभी कार्यों में शामिल होता है। प्रधानमंत्री सरकार के सभी महत्वपूर्ण निर्णय में सम्मिलित होता है और सरकार की नीतियों के बारे में निर्णय भी लेता है।

    प्रश्न 31. संविधान निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।(6)

    उत्तर. संविधान किसी भी देश का सर्वोच्च और मौलिक कानून होता है जिसका पालन करना सभी को अनिवार्य होता है। भारत में एक लिखित संविधान है जिसे एक संविधान सभा के द्वारा बनाया गया था।

    संविधान निर्माण प्रक्रिया - भारत के संविधान का निर्माण कैबिनेट मिशन की सिफारिशों पर एक संविधान सभा के द्वारा बनना तय हुआ था। भारत का संविधान 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था। भारत के संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को संपन्न हुई थी जिसमें डॉ सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के अध्यक्ष थे बाद में डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया था। भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। विभाजन के बाद भारत के संविधान सभा की बैठक फिर से हुई। संविधान सभा के सदस्य 1935 में स्थापित प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष विधि से चुने गए थे। 3 जून 1947 की योजना के अनुसार विभाजन के बाद वे सभी प्रतिनिधि संविधान सभा के सदस्य नहीं रहे जो पाकिस्तान के चित्रों से चुनकर आए थे। संविधान सभा के वास्तविक सदस्यों की संख्या घटकर 299 रह गई। इनमें से 26 नवंबर 1949 को कुल 284 सदस्य उपस्थित थे। इन्होंने ही अंतिम रूप से पारित संविधान पर अपने हस्ताक्षर किए थे।

    संविधान सभा में सभी निर्णय बहुमत से लिए जाते थे और बातचीत और विचार विमर्श के बाद ही किसी प्रावधान को संविधान में जोड़ा जाता था। संविधान सभा ने कई प्रकार की समितियां भी बनाई थी जिनका कार्य संविधान की गहनता से जांच करना था। भारतीय संविधान सभा ने एक लंबे विचार-विमर्श के बाद लगभग 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन की अवधि के बाद जिसमें 166 दिनों तक बैठक चली, संविधान का निर्माण कर दिया। संविधान सभा के सत्र अखबारों और आम लोगों के लिए खुले हुए थे।

    अथवा

    प्रश्न . स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का क्या महत्व है?

    उत्तर. भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का प्रावधान किया गया है। भारतीय संविधान में मूल रूप से छह मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है। प्रारंभ में 7 मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई थी लेकिन बाद में संपत्ति के मौलिक अधिकार को मौलिक अधिकारों से हटा करके केवल वैधानिक अधिकार बना दिया गया है और इस तरह से अब भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकारों की व्यवस्था है। इन मौलिक अधिकारों में स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार भी बहुत महत्वपूर्ण अधिकार है।

    स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार - स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार एक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है और यह अधिकार अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक है।

    प्रमुख 6 स्वतंत्रता - संविधान के अनुच्छेद 19 में भारतीय नागरिकों को प्रमुख 6 स्वतंत्रता दी गई है जो कि इस प्रकार है -

    1. वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

    2. शांतिपूर्ण ढंग से जमा होने और  सम्मेलन की स्वतंत्रता।

    3. संगठन या संघ बनाने की स्वतंत्रता।

    4. भारत के किसी भी राज्य क्षेत्र में आने जाने की स्वतंत्रता।

    5. भारत के किसी भी राज्य क्षेत्र में निवास करने एवं बस जाने की स्वतंत्रता। 6. कोई वृत्ति, आजीविका, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता।

    दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण - संविधान के अनुच्छेद 20 में अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण प्रदान किया गया है। इस अनुच्छेद के माध्यम से यह निश्चित किया गया है कि किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, कानून के अलावा किसी अन्य विधि से दंडित नहीं किया जाएगा, एक ही व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार सजा नहीं दी जाएगी।

    प्राण और दैहिक स्वतंत्रता - संविधान के अनुच्छेद 21 में स्पष्ट रूप से यह वर्णित किया गया है कि किसी व्यक्ति को उसके प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।

    शिक्षा का अधिकार - भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21a में शिक्षा के अधिकार की व्यवस्था की गई है। यह अधिकार 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा भारत के संविधान में जोड़ा गया है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करेगा।

    गिरफ्तारी और निवारक निरोध से संरक्षण- अनुच्छेद 22 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उससे शीघ्र गिरफ्तार किए जाने का कारण बताया जाना चाहिए, उसे अपना मनपसंद वकील करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, उसे 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।

    यदि किसी व्यक्ति को निवारक नजरबंदी के तहत गिरफ्तार किया जाता है जिसमें अपराध करने से पहले व्यक्ति को रोका जाता है तब भी व्यक्ति को शीघ्र ही गिरफ्तार किए जाने का कारण बताया जाना चाहिए और ऐसे व्यक्ति को 3 माह तक ही नजरबंद किया जा सकता है।

    इस प्रकार से हम देखते हैं कि स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है।

     

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