SUBJECT POLITICAL SCIENCE
CLASS-XII
IMPORTANT QUESTIONS
FOUR(4) MARKS
प्रश्न
1. यूरोपीय संघ की स्थापना करने के पीछे क्या उद्देश्य
थे?
उत्तर. यूरोपीय संघ यूरोप महाद्वीप का एक क्षेत्रीय संगठन है और यह
संगठन विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली क्षेत्रीय संगठन भी है। वर्ष 1992 में यूरोपीय संघ अस्तित्व में आया। यूरोपीय संघ
की स्थापना के पीछे निम्नलिखित उद्देश्य समाहित थे -
1.
यूरोपीय संघ की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि इस संगठन में
शामिल सभी देशों की विदेश नीति एक समान बनाई जा सके और सुरक्षा नीति भी तय की जा
सके जिससे कि इस संगठन में समानता स्थापित हो सके।
2.
यूरोपीय संघ की स्थापना करने के पीछे एक उद्देश्य यह भी था कि आपसी
विवादों और तालाबों को शांतिपूर्वक तरीके से हल किया जा सके और विभिन्न मामलों को
सुलझाने में मदद की जा सके।
3.
यूरोपीय संघ का एक उद्देश्य यह भी था कि इस संगठन के सदस्य देशों की
एक समान मुद्रा बनाई जा सके और इसके लिए प्रयास भी किया गया यूरोपीय संघ की कई
देशों में यूरो मुद्रा का चलन है।
4.
यूरोपीय संघ की स्थापना इस उद्देश्य से भी की गई थी कि इस संगठन के
सभी सदस्य देशों के मध्य बिना किसी रोक-टोक के आवागमन हो सके और वीजा की आवश्यकता
ना पड़े। यूरोपीय संघ के देशों में मुक्त आवागमन की व्यवस्था भी की गई है।
प्रश्न
2. भारत में वर्ष 1975 में लगाए
गए आपातकाल के लिए उत्तरदाई किन्हीं चार कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर. 25 जून 1975 में देश में आंतरिक अशांति के नाम पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के आधार पर 18 महीने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल
घोषित किया गया था। वर्ष 1975 में लगाए गए आपातकाल के लिए
निम्नलिखित कारण जिम्मेदार थे -
1.
आर्थिक कारक - वर्ष 1975 में
आपातकाल लगाने के लिए कई प्रमुख आर्थिक कारकों की भूमिका महत्वपूर्ण थी इन आर्थिक
कारकों में गरीबी हटाओ के नारे का विफल होना, भारत को
अमेरिका द्वारा मिलने वाली सहायता का बंद हो जाना, अंतरराष्ट्रीय
बाजार में तेल की कीमतों का बढ़ना, भारत की औद्योगिक विकास
दर का धीरे हो जाना, सरकार ने खर्चा को कम करने के लिए
सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया था और उसमें कमी भी कर दी थी, बेरोजगारी की दर में वृद्धि होते जाना तथा वर्ष 1971
में बांग्लादेश संकट भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करना कुछ प्रमुख आर्थिक कारक
थे।
2.
छात्र आंदोलन - वर्ष 1975 में
आपातकाल घोषित करने के पीछे छात्र आंदोलन में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
गुजरात एवं बिहार में छात्रों ने खाद्यान्नों के बढ़ते दामों खाद्य तेल संकट
कीमतों में वृद्धि तथा नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन शुरू
कर दिया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने बिहार में छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया और
इस आंदोलन को बिहार से निकालकर संपूर्ण भारत में फैला दिया। इंदिरा गांधी ने इन
छात्र आंदोलनों के नेतृत्व और जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के आंदोलन को
व्यक्तिगत विरोध से प्रेरित बताया था।
3.
नक्सलवादी आंदोलन - वर्ष 1975 में
आपातकाल की घोषणा करने के पीछे नक्सलवादी आंदोलन भी एक प्रमुख कारक रहा था। पश्चिम
बंगाल में नक्सलवाद क्षेत्र से यह आंदोलन प्रारंभ हुआ और इस आंदोलन ने धीरे-धीरे
हिंसक रूप धारण कर लिया तथा सरकार की नीतियों का विरोध करना शुरू कर दिया और बाद
में यह आंदोलन हिंसक हो तो चला गया। वर्ष 1969 में चारू
मजूमदार के नेतृत्व में भारतीय साम्यवादी दल मार्क्सवादी लेने वादी पार्टी का गठन
किया गया और इस पार्टी ने क्रांति के लिए गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई।
4.
रेलवे हड़ताल - जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय समिति ने रेलवे
कर्मचारियों की सेवा तथा बोनस आदि से जुड़ी मांगों को लेकर वर्ष 1974 में एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल प्रारंभ कर दी।
सरकार ने किस रेलवे हड़ताल को असंवैधानिक घोषित किया और उनकी किसी भी मांगों को
मानने से साफ मना कर दिया। सरकार के इस कदम से मजदूरों रेलवे कर्मचारियों आम आदमी
और व्यापारियों में सरकार के विरोध में असंतोष उत्पन्न हुआ।
5.
न्यायपालिका से संघर्ष - वर्ष 1975 के
आपातकाल के लिए न्यायपालिका के संघर्ष भी एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखने को
मिलते हैं। तत्कालीन सरकार के मौलिक अधिकारों में कटौती संपत्ति के अधिकार में काट
छांट और नीति निदेशक सिद्धांतों को मौलिक अधिकारों पर ज्यादा शक्ति देना जैसे
प्रावधानों को सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया। सरकार ने वरिष्ठ न्यायाधीशों
की अनदेखी करके कनिष्ठ न्यायाधीश के अंधे को सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
नियुक्त कर दिया जो कि अपने आप में एक विवादित निर्णय था। सरकार के इस प्रकार के
कार्यों से प्रतिबद्ध न्यायपालिका तथा नौकरशाही की बातें होने लगी थी जो निष्पक्ष
न्यायपालिका और निष्पक्ष नौकरशाही के ऊपर एक प्रश्नचिन्ह था।
प्रश्न
3. 21वी सदी में भारत शक्ति का एक नया केंद्र बनकर उभरा
है। अपने उत्तर के पक्ष में उचित तर्क दीजिए।
उत्तर. यह बात बिल्कुल सत्य है कि 21वीं सदी में भारत शक्ति का नया केंद्र बनकर उभरा
है और इसके लिए कई सारे कारक जिम्मेदार हैं जिनमें से कुछ प्रकार है -
1.
भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर आता है और
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान पर आता है जो कि भारत को एक विलक्षण
प्रतिभा प्रदान करता है।
2.
भारत में विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी का समावेश है और ऐसा माना
जाता है कि जिस देश में जितने अधिक युवा होते हैं वह देश उतनी ही तेजी से विकास
करता है।
3.
भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं
में से एक है। 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के
लक्ष्य तथा संपूर्ण विश्व में 200 मिलियन भारतीय प्रवासियों
के साथ भारत की प्राचीन समावेशी संस्कृति भारत को 21वीं
शताब्दी में शक्ति का एक नया केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
4.
सामरिक दृष्टि से भी भारत एक महत्वपूर्ण देश बनकर उभरा है भारत की
सैन्य शक्ति परमाणु तकनीक के साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाती है और विश्व में एक
शक्तिशाली देश के रूप में उभार कर सामने लाती है।
5.
विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी भारत निरंतर विकास करता
जा रहा है मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर
बन सकती है।
6.
21वीं सदी में भारत की विश्व राजनीति में भागीदारी बहुत तेजी से
बढ़ी है और वैश्विक राजनीतिक मुद्दों में भारत ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है और
अपनी एक अलग पहचान भी बनाई है। 21वीं सदी में भारत वैश्विक
नेता के तौर पर उभर कर सामने आया है।
प्रश्न
4. यूरोपीय संघ को एक शक्तिशाली संगठन के रूप में कौन
कौन से कारक सहायता करते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर. यूरोपीय संघ यूरोप महाद्वीप के क्षेत्रीय संगठन है और विश्व
की सर्वाधिक शक्तिशाली संगठनों में से एक है। वर्तमान में जिस यूरोपीय संघ को हम
देखते हैं वह वर्ष 1992 में
मस्ट्रिस्ट संधि के बाद अस्तित्व में आया। यूरोपीय संघ को शक्ति का एक नया केंद्र
स्थापित करने में निम्नलिखित कारकों का महत्वपूर्ण योगदान है -
1.
यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था बहुत विशाल है और यूरोपीय संघ ने वर्ष 2005 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का भी गौरव प्राप्त किया था
इसका सकल घरेलू उत्पाद अमेरिका की अर्थव्यवस्था से भी कहीं ज्यादा था।
2.
यूरोपीय संघ की साझा मुद्रा यूरो बहुत ही शक्तिशाली मुद्रा है और इस
मुद्रा के कारण ही अमेरिका को भी खतरा महसूस हो रहा है जो कि यूरोपीय संघ की शक्ति
को दर्शाता है।
3.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी कहीं अधिक है
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी अमेरिका से 3 गुना अधिक है जो यूरोपीय संघ को एक शक्तिशाली संगठन बनाता है।
4.
यूरोपीय संघ का एक सदस्य देश फ्रांस संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थाई
सदस्य भी है और परमाणु शक्ति संपन्न देश भी है जो यूरोपीय संघ को अपने आप में एक
शक्तिशाली संगठन बनाता है और अपनी क्षमता के कारण यह विश्व के अन्य देशों की
नीतियों को भी प्रभावित कर सकता है।
5.
यूरोपीय संघ सैनिक क्षमता के मामले में भी विश्व का सर्वाधिक
शक्तिशाली संगठन है और यह संगठन फ्रांस के पास परमाणु शक्ति होने के कारण और भी
ज्यादा मजबूत और शक्तिशाली बन जाता है।
प्रश्न
5. 1975 के आपातकाल के विभिन्न परिणामों की व्याख्या
कीजिए।
उत्तर. 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी की सरकार के द्वारा राष्ट्रपति के द्वारा अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल की घोषणा की गई और यह आपातकाल लगभग 18 महीने तक लागू रहा। यह आपातकाल आंतरिक अशांति के नाम पर लगाया गया था और
इसके विभिन्न परिणाम देखने को मिले जो कि इस प्रकार है -
1.
आपातकाल की घोषणा के बाद विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में
डाल दिया गया।
2.
आपातकाल की घोषणा का एक परिणाम यह भी देखने को मिला कि प्रेस
सेंसरशिप लागू कर दी गई इसका अर्थ यह था कि समाचार पत्र और पत्रिकाएं किसी भी तरह
की कोई भी न्यूज़ बिना सरकार की आज्ञा के प्रकाशित नहीं कर सकती थी।
3.
राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के परिणाम स्वरूप कई प्रकार के संगठनों
को प्रतिबंधित कर दिया गया था जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जमात-ए-इस्लामी
भी प्रमुख थे।
4.
राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के बाद किसी भी तरह की हड़ताल आंदोलन
धरना और प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
5.
आपातकाल की घोषणा के बाद नागरिकों के मौलिक अधिकार निष्क्रिय कर दिए
गए और नागरिकों के पास किसी भी प्रकार के मौलिक अधिकार शेष नहीं थे अपवाद स्वरूप
प्राण और जीवन के अधिकार के अलावा।
6.
आपातकाल की घोषणा के बाद सरकार ने निवारक नजरबंदी कानून के द्वारा
बहुत सारे राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया जिससे कि वे किसी प्रकार की
कोई गतिविधि ना कर सके।
7.
आपातकाल की घोषणा के बाद इंडियन एक्सप्रेस और स्टेट्समैन अखबारों
जिन समाचारों को छापने से रोका जाता था वे उनकी खाली जगह छोड़ देते थे इसके साथ ही
सेमिनार और मेंस्ट्रीम जैसी पत्रिकाओं ने प्रकाशन बंद कर दिया था।
8.
राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान ही 42 वें संविधान
संशोधन 1976 के द्वारा अनेक परिवर्तन किए गए जैसे कि
प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के निर्वाचन को किसी भी अदालत में
चुनौती नहीं दी जा सकती थी और विधायिका के कार्यकाल को 5
वर्ष से बढ़ाकर के 6 वर्ष कर दिया गया था आदि।
9.
आपातकाल की घोषणा के बाद कन्नड़ लेखक शिवराम कारंत और हिंदी लेखक
फणीश्वर नाथ रेणु ने आपातकाल के विरोध में अपनी पदवी सरकार को वापस लौटा दी थी।