MID TERM EXAM
CLASS-XII
SUNJECT-HISTORY
IMPORTANT QUESTIONS &
ANSWERS
प्रश्न
1.
कनिंघम कौन था? उसके योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर. कनिंघम भारतीय पुरातात्विक
सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल थे।
कनिंघम के योगदान को हम निम्नलिखित बिंदुओं
के माध्यम से समझ सकते हैं-
1. कनिंघम के समय पुरातत्वविद अपने अन्वेष्णों के लिए
लिखित स्त्रोतों का प्रयोग करते थे। कनिंघम की रुचि भी आरंभिक ऐतिहासिक तथा उसके
बाद के कार्यों से संबंधित पुरातत्व मे थी।
2. आरंभिक बस्तियों की पहचान के लिए उन्होंने चौथी से
सातवीं शताब्दी के बीच उपमहाद्वीप में आए चीनी बौद्ध तीर्थ यात्रियों के वृतांतों
का प्रयोग किया।
3. कनिंघम ने अपने सर्वेक्षणों के दौरान मिले अभिलेखों का
संग्रहण, प्रलेखन तथा अनुवाद भी किया।
4. उन्होंने उत्खनन के समय सांस्कृतिक महत्व की पुरावस्तुओं
को खोजने का प्रयास भी किया।
प्रश्न
2.
हड़प्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर. प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार लगभग 18 साल पूर्व में चौलिस्तान
जैसे क्षेत्रों का पतन हो गया था और गुजरात हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नई
बस्तियों में जनसंख्या में वृद्धि होने लगी थी। धीरे धीरे भौतिक संस्कृति में
बदलाव आया। आवास निर्माण की तकनीकों में परिवर्तन के साथ सार्वजनिक संरचनाओं का
निर्माण बंद हो गया। एक ग्रामीण जीवन की संस्कृति जिसे उत्तर हड़प्पा अथवा
अनुवर्ती संस्कृति कहा जाता है उभर कर आई। हड़प्पा सभ्यता के अंत के साथ ही
मानकीकृत बांट प्रणाली के स्थान पर स्थानीय बांट का प्रयोग होने लगा था।
हड़प्पा सभ्यता के अंत के कुछ प्रमुख कारण
इस प्रकार हो सकते हैं -
1. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी
हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ होगा।
2. कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि वनों की कटाई के
कारण भी इस सभ्यता का पतन हुआ होगा।
3. अत्यधिक बाढ़ आने को भी कुछ इतिहासकारों ने हड़प्पा
सभ्यता के पतन का कारण माना है।
4. कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि नदियों के सूख जाने
या उनके मार्ग बदल लेने के कारण भी सभ्यता का पतन हुआ होगा।
5. कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि भूमि के अत्यधिक
प्रयोग के कारण भी यह सभ्यता पतन की ओर गई होगी।
प्रश्न
3.
हड़प्पा की लिपि एक रहस्यमई लिपि थी? स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर. हड़प्पा की लिपि एक रहस्यमई लिपि
थी। इस लिपि की कुछ प्रमुख विशेषताओं को हम इस प्रकार देख सकते हैं जिनके आधार पर
इसे रहस्यमई लिपि कहा जा सकता है -
1. सामान्यत: हड़प्पा की मोहरो पर एक
पंक्ति में कुछ लिखा है जो संभव है मालिक के नाम और पदवी को दर्शाता है।
2. इतिहासकार मानते हैं कि इस पर बना चित्र (आमतौर पर एक जानवर) अनपढ़ लोगों को सांकेतिक रूप से
इसका अर्थ बताता था।
3. हड़प्पा लिपि के सबसे लंबे अभिलेख में लगभग 26 चिन्ह है।
4. यह लिपि आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है लेकिन निश्चित रूप
से यह वर्णमालीय नहीं थी क्योंकि इसमें चिन्हों की संख्या लगभग 375 से 400 के मध्य थी।
5. एक अनुमान के अनुसार यह कहा जा सकता है कि यह लिपि दाई
से बाई ओर लिखी जाती थी।
6. विभिन्न प्रकार की वस्तुओं तांबे के औजार, मर्तबान के अवंथ, तांबे के आभूषण प्राचीन सूचना पट
पर लिखा हुआ पाया जाना उस समय साक्षरता के व्यापक होने का प्रमाण है।
प्रश्न
4.
अभिलेखों से प्राप्त जानकारी की भी सीमा होती थी। उपयुक्त तर्को
सहित इस कथन की न्याय संगत व्याख्या कीजिए।
उत्तर. अभिलेखों की सीमाओं को हम
निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -
1. लिपि का अध्ययन और अर्थ निकालने की समस्या, जैसे अशोक कालीन ब्राह्मी लिपि का अर्थ कई दशकों के प्रयत्नों के पश्चात 1838 में जेम्स प्रिंसेप द्वारा निकाला गया।
2. खरोष्ठी लिपि को पढ़ना बहुत ही मुश्किल रहा और इस लिपि
को यूनानी भाषा की सहायता से समझने में सहायता मिली।
3. अभिलेखों से लेखक के बारे में कोई जानकारी ना मिलना भी
बड़ी समस्या थी क्योंकि अशोक के अभिलेखों में लेखकों का नाम अंकित ना होना इसका
प्रमाण रहा है।
4. अभिलेखों के अक्षरों का हल्के ढंग से उत्तकीर्ण होना।
5. अभिलेखों का नष्ट हो जाना और अक्षरों का मिट जाना।
6. अभिलेखों का वर्णन अतिशयोक्ति पूर्ण होना भी एक बड़ी
समस्या रही है जैसे अशोक द्वारा वर्णन कि उनसे पहले के शासकों द्वारा रिपोर्ट
एकत्र करने की व्यवस्था ना होना।
प्रश्न
5.
हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर. हड़प्पा की जल निकास प्रणाली -
1. नियोजित तरीके से नालियों एवं गलियों का निर्माण किया
गया था।
2. हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत नालियों के निर्माण के लिए
जिप्सम के गारे का प्रयोग किया गया था।
3. नालियों को ईटों से ढका जाता था ताकि कूड़ा कचरा से बचा
जा सके।
4. वर्षा जल निकास के लिए विशेष प्रकार के प्रबंध भी किए गए थे।
प्रश्न
6.
अशोक के धम्म की मुख्य विशेषताएं क्या थी?
उत्तर. अशोक का धम्म कोई धर्म नहीं था
बल्कि यह कुछ सामान्य नियमों का समूह था जिसके अनुसार जीने पर एक व्यक्ति संतुष्ट
एवं खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकता था। धर्म के प्रचार के लिए धर्म महामत नाम के
अधिकारियों को नियुक्त किया गया तथा यह धम्म महामत अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर इस
धर्म का प्रचार किया करते थे और इस धर्म के नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करने के
लिए लोगों को प्रेरित किया करते थे। अशोक के धम्म की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस
प्रकार हैं -
1. अपने से बड़ों का आदर करना।
2. दास और सेवकों के प्रति दयावान होना।
3. अहिंसा के सिद्धांत में विश्वास करना।
4. सभी धर्मों का सम्मान करना।
5. विद्वानों और ब्राह्मणों का सम्मान करना।
6. पाप रहित जीवन व्यतीत करना और दान करना।
7. अपने से छोटों के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करना।
8. जन्म, मृत्यु, विवाह, व्रत जैसे रीति-रिवाजों को त्याग कर प्रेम,
दान, दया जैसी रीति-रिवाजों का पालन करना।
प्रश्न
7.
बौद्ध सामाजिक संविदा का सिद्धांत किस प्रकार पुरुष सूक्त में
वर्णित ब्राह्मणवादी दृष्टिकोण से भिन्न था?
उत्तर. बौद्ध सामाजिक संविदा का सिद्धांत
और पुरुष सूक्त में वर्णित ब्राह्मण वादी दृष्टिकोण में अंतर -
1. बौद्ध सामाजिक संविदा की अनुसार सामाजिक अनुबंध के
अंतर्गत राजा का पद लोगों द्वारा चुने जाने पर जबकि पुरुष सूक्त के अनुसार यह
दैवीय व्यवस्था थी।
2. बौद्ध सामाजिक संविदा के अनुसार आर्थिक और सामाजिक
संबंधों को बनाने में मानवीय कर्म का हाथ होता है जबकि पुरुष सूक्त ने चारों
वर्णों की उत्पत्ति ब्रह्मा के शरीर से बताई।
3. बौद्ध सामाजिक संविदा के अनुसार यदि मनुष्य एक प्रणाली
को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार थे तो भविष्य में उसमें परिवर्तन भी ला सकते थे
जबकि पुरुषसूक्त के अनुसार यह दैवीय व्यवस्था थी।
प्रश्न
8.
शासक सूफी संतों से अपने संबंधों को दर्शाने के लिए उत्सुक क्यों
रहते थे? व्याख्या कीजिए।
उत्तर. शासक सूफी संतों से अपने संबंधों को
दर्शाने के लिए उत्सुक रहते थे जिसके लिए प्रमुख कारण इस प्रकार हैं -
1. सूफी संतों की धर्मनिष्ठा, विद्वता
और लोगों का उन पर विश्वास।
2. अधिकांश प्रजा इस्लाम को मानने वाली नही थी और सूफी
संतों पर उनका विश्वास था।
3. शासक सूफी संतों के साथ अपने संबंधों को इसलिए भी
दर्शाना चाहते थे क्योंकि आम जनता का झुकाव सूफी संतों के प्रति बहुत अधिक था।
प्रश्न
9.
1857 की घटनाक्रम को निर्धारित करने में धार्मिक विश्वासों की किस
हद तक भूमिका थी?
उत्तर. 1857 के घटनाक्रम को
निर्धारित करने में धार्मिक विश्वासों की भूमिकाओं को हम इस प्रकार समझ सकते हैं -
1. ईसाई प्रचारकों की गतिविधियां और धर्मांतरण का खतरा
बहुत अधिक हो गया था।
2. धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में कंपनी के हस्तक्षेप
से लोगों में असुरक्षा की भावना जागृत हो गई थी।
3. धर्म के अलावा सामाजिक, सांस्कृतिक,
राजनीतिक और आर्थिक रूप से पराई, हृदयहीन और
दमनकारी व्यवस्था को थोपा जा रहा था।
प्रश्न
10.
मोहनजोदड़ो की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर. मोहनजोदड़ो की कुछ प्रमुख विशेषताएं
इस प्रकार हैं -
1. मोहनजोदड़ो एक नियोजित शहर था और यह एक शहरी केंद्र था।
शहर दो भागों में विभाजित था एक छोटा लेकिन ऊंचाई पर बनाया गया था और दूसरा कहीं
बड़ा भाग लेकिन नीचे बनाया गया था। इन्हें क्रमशः दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया
गया। दुर्ग को दीवार से घेरकर निचले शहर से अलग किया गया था।
2. निचले शहर को भी दीवार से घेरा गया था। कई भवनों को
ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया था जो नीव का कार्य करते थे।
3. निर्माण कार्य का पहले नियोजन किया गया था और फिर इसको
लागू किया गया था क्योंकि इसमें चबूतरो का निर्माण करने के पश्चात भवन निर्माण
कार्य चबूतरो पर एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित था।
4. ईटों का निर्माण धूप में सुखाकर अथवा भट्टी में पकाकर
किया जाता था। इसका निश्चित आकार होता था जिसकी लंबाई और चौड़ाई ऊंचाई की क्रमश: 4 गुनी और दोगुनी होती थी। यह भी नियोजन का एक
लक्षण था।
5. जल निकास की प्रणाली बहुत ही उत्तम थी क्योंकि गलियां
और सड़क एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
6. विशाल स्नानागार भी मोहनजोदड़ो की एक प्रमुख विशेषता
थी। यह आंगन में बना एक आयताकार जलाशय है जो चारों ओर से एक गलियारे से घिरा हुआ
है। इन विशाल स्नानागारो का प्रयोग किसी प्रकार के विशेष अनुष्ठानिक स्नान के लिए किया जाता था।