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  • MID TERM EXAM-2022-23

    विषय-राजनीति विज्ञान

    कक्षा-12

    CBSE द्वारा पूछे गए 4 अंक के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर

    प्रश्न 1. यूरोपीय संघ को एक शक्तिशाली संगठन के रूप में कौन कौन से कारक सहायता करते हैंव्याख्या कीजिए।

    उत्तर. यूरोपीय संघ यूरोप महाद्वीप के क्षेत्रीय संगठन है और विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली संगठनों में से एक है। वर्तमान में जिस यूरोपीय संघ को हम देखते हैं वह वर्ष 1992 में मस्ट्रिस्ट संधि के बाद अस्तित्व में आया। यूरोपीय संघ को शक्ति का एक नया केंद्र स्थापित करने में निम्नलिखित कारकों का महत्वपूर्ण योगदान है -

    1. यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था बहुत विशाल है और यूरोपीय संघ ने वर्ष 2005 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का भी गौरव प्राप्त किया था इसका सकल घरेलू उत्पाद अमेरिका की अर्थव्यवस्था से भी कहीं ज्यादा था।

    2. यूरोपीय संघ की साझा मुद्रा यूरो बहुत ही शक्तिशाली मुद्रा है और इस मुद्रा के कारण ही अमेरिका को भी खतरा महसूस हो रहा है जो कि यूरोपीय संघ की शक्ति को दर्शाता है।

    3. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी कहीं अधिक है अंतरराष्ट्रीय व्यापार में यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी अमेरिका से 3 गुना अधिक है जो यूरोपीय संघ को एक शक्तिशाली संगठन बनाता है।

    4. यूरोपीय संघ का एक सदस्य देश फ्रांस संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थाई सदस्य भी है और परमाणु शक्ति संपन्न देश भी है जो यूरोपीय संघ को अपने आप में एक शक्तिशाली संगठन बनाता है और अपनी क्षमता के कारण यह विश्व के अन्य देशों की नीतियों को भी प्रभावित कर सकता है।

    5. यूरोपीय संघ सैनिक क्षमता के मामले में भी विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली संगठन है और यह संगठन फ्रांस के पास परमाणु शक्ति होने के कारण और भी ज्यादा मजबूत और शक्तिशाली बन जाता है।

    प्रश्न 2. पाकिस्तान में लोकतंत्र की असफलता के लिए कौन से प्रमुख कारण जिम्मेदार हैं?

    उत्तर. पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ें कमजोर करने के लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेदार है -

    1. पाकिस्तान की राजनीति में सेना के हस्तक्षेप के कारण यहां पर लोकतंत्र की जड़ें पूरी तरह स्थाई नहीं हो पाई हैं।

    2. पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार के असफल होने के लिए यहां पर धार्मिक नेताओं का राजनीति के अंदर हस्तक्षेप करना और नीतियों को प्रभावित करना भी प्रमुख कारक है।

    3. पाकिस्तान में लोकतंत्र के असफल होने के लिए यहां के बड़े बड़े भूस्वामी और जमीदार भी उत्तरदाई हैं जो कि निर्वाचित सरकार के निर्णय और नीतियों को प्रभावित करते हैं।

    4. भारत और पाकिस्तान के मध्य तनावपूर्ण संबंधों का असर भी पाकिस्तान की सरकार पर पड़ता है जिसके कारण यहां पर निर्वाचित सरकार को अतिरिक्त दबाव झेलना पड़ता है।

    5. पाकिस्तान में लोकतंत्र की असफलता और लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होने के लिए यहां की जनता का जागरूक ना होना भी जिम्मेदार एक प्रमुख कारक है।

    6. पाकिस्तान में लोकतंत्र के असफल होने के लिए एक कारण यह भी जिम्मेदार है कि यहां पर राजनीतिक दलों में पर्याप्त भ्रष्टाचार देखने को मिलता है जिससे एक स्वस्थ जनमत का निर्माण नहीं हो पाता।

    प्रश्न 3. भारत और श्रीलंका के बीच किन क्षेत्रों पर विवाद है?

    उत्तर. भारत और श्रीलंका के बीच निम्नलिखित बिंदुओं पर तनाव रहता है -

    1. भारत और श्रीलंका के बीच विवाद का एक क्षेत्र समुद्री सीमा निर्धारण भी है। भारत और श्रीलंका पाक जल संधि के माध्यम से जुड़े हुए हैं और इन दोनों के बीच में समुद्री सीमा को लेकर भी तनातनी रहती है।

    2. भारत और श्रीलंका के बीच तनाव का एक प्रमुख कारक तमिल समस्या भी है। श्रीलंका में जातीय संघर्ष के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख कारक तमिल समुदाय भी है और तमिलों के प्रति भारत की नीति के कारण दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं।

    3. श्रीलंका का चीन की तरफ झुकाव और पश्चिमी देशों के साथ उसके बढ़ते संबंधों के कारण दोनों देशों के संबंधों में तनाव देखने को मिलता रहता है।

    4. भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों को लेकर भी एक समस्या बनी रहती है जिसके अंतर्गत दोनों देश के मछुआरे मछली पकड़ने के लिए एक दूसरे की सीमा का उल्लंघन कर देते हैं।

    प्रश्न 4. भारत और मालदीव के संबंधों का विश्लेषण कीजिए।

    उत्तर. भारत और मालदीव के संबंध लगभग पूरी तरह से मधुर संबंध है और इन संबंधों को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -

    1. भारत और मालदीव के संबंध बहुत ही मधुर और अच्छे रहे हैं। भारत और मालदीव के इन संबंधों को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं: -

    2. वर्ष 1988 में जब श्रीलंका से आए कुछ भाड़े के तमिल सैनिकों ने मालदीव पर हमला किया तब भारत ने वायु सेना और नौसेना से तुरंत कार्यवाही की और मालदीव की सहायता की।

    3. भारत और मालदीव के बीच पर्यटन तथा मत्स्य उद्योग में भी बहुत अच्छे संबंध हैं और दोनों देश एक दूसरे को इन क्षेत्रों में सहयोग करते रहते हैं।

    4. भारत ने मालदीव के आर्थिक विकास में लगातार सहायता की है और उसके साथ कई तरह के द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं।

    5. भारत ने मालदीव के साथ नवंबर 2020 में चार समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जोकि इस प्रकार हैं

    6. उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिए दो समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

    7. खेल और युवा मामलों के सहयोग पर मालदीव भारत के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है।

    8. GMCP (Greater MALE Connectivity Project) के लिए भारत के 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के पैकेज के एक भाग के रूप में 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया है।

    प्रश्न 5. दक्षिण एशिया के देशों में शांति और सहयोग बढ़ाने के क्षेत्रों की पहचान कीजिए।

    उत्तर. दक्षिण एशिया के देशों में शान्ति और सहयोग बढ़ाने वाले प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं –

    1. दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग बढ़ाने के लिए इन देशों को मुक्त व्यापार को और अधिक उदार करने की आवश्यकता है।

    2. दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग बढ़ाने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है और इस क्षेत्र में व्याप्त निर्धनता और बेरोजगारी को दूर करने की भी नितांत आवश्यकता है।

    3. दक्षिण एशिया के देशों में द्विपक्षीय विवाद बहुतायत देखने को मिलता है और इसके कारण इस क्षेत्र में तनाव और संघर्ष की स्थिति बनी रहती है इसलिए इन देशों को अपने द्विपक्षीय विवादों को शीघ्रता से हल करने की आवश्यकता है।

    4. दक्षिण एशिया में कई सारे देशों में राजनीतिक अस्थिरता पाई जाती है जिसके कारण इन देशों में संघर्ष और तनाव की स्थिति बनी रहती है इसलिए इस क्षेत्र में शांति और सहयोग स्थापित करने के लिए राजनीतिक स्थिरता की भी आवश्यकता है।

    5. दक्षिण एशिया के देश मुख्य रूप से एक भयंकर समस्या से जूझ रहे हैं जिसे आतंकवाद कहा जाता है और इसके कारण ही दक्षिण एशिया के देशों में तनाव और संघर्ष की स्थिति बनी रहती है इसलिए दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग को बढ़ाने के लिए आतंकवाद के सभी रूपों का अंत करना जरूरी है।

    6. दक्षिण एशिया के देशों को यह समझना बहुत ही जरूरी है कि अपने किसी भी विवाद या मुद्दों को आपस में मिलकर ही हल किया जाए ना कि किसी अन्य बाहरी शक्ति के हस्तक्षेप से उस समस्या को हल किया जाए।

     

    प्रश्न 6. अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता हमें क्यों होती है? कोई चार उदाहरण बताइए।

    उत्तर. अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता या जरूरत:- वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय संगठन बहुत ही आवश्यक हो चुके हैं और इन अंतरराष्ट्रीय संगठन के कारण हैं विश्व में बहुत सारे विवादों और तनावों को शांति पूर्वक हल किया जाए रहा है। अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता या जरूरत को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं:-

    1. अंतरराष्ट्रीय संगठन विभिन्न प्रकार के अंतरराष्ट्रीय विवादों और तनाव को दूर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता हमें इसलिए भी है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले विवादों या संघर्षों को कोई एक देश अकेला सुलझा नहीं सकता।

    2. अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता हमें युद्ध पर विराम लगाने के लिए भी होती है। अंतरराष्ट्रीय संगठन युद्ध की स्थिति उत्पन्न होने या युद्ध होने पर मध्यस्थ की भूमिका निभा कर उस संघर्ष की स्थिति को दूर करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

    3. विश्व के आर्थिक विकास में अंतरराष्ट्रीय संगठन बहुत ही महत्वपूर्ण और सहायक होते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की आर्थिक मदद और विकास से संबंधित योजनाओं और नीतियों के कार्यान्वयन के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन नितांत आवश्यक है।

    4. अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता हमें इसलिए भी है क्योंकि निरंतर आने वाली प्राकृतिक आपदा और महामारी का सामना मिलकर ही किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय संगठन सभी देशों को एक मंच पर लेकर आते हैं जिससे कि इन आपदाओं और महामारी का मुकाबला किया जा सके।

    5. अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता है इसलिए भी होती है जिससे कि वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना का विकास किया जा सके। अंतरराष्ट्रीय संगठन विश्व के सभी देशों में आपसी सौहार्द और बंधुत्व की भावना का विकास करते हैं जिससे कि सभी देशों का समुचित विकास संभव हो सके।

    6. अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता हमें विभिन्न प्रकार की वैश्विक समस्याओं के लिए भी होती है क्योंकि इस प्रकार के समस्याओं का सामना कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता है। उदाहरण के लिए वैश्विक तापन एक ऐसी समस्या है जिसका प्रत्येक देश नुकसान झेल रहा है और यह वैश्विक समस्या बनकर सामने आई है इसलिए हमें एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता होती है जो इस प्रकार की समस्या को मिलकर सुलझाने का प्रयास करें।

    प्रश्न 7. संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य तथा सिद्धांत:

    1. संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति व्यवस्था बनाए रखना है और इसके लिए विश्व के सभी देशों के साथ बातचीत करके विवादों और संघर्ष की स्थिति को दूर करना संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य है।

    2. सयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत यह भी है कि यह विश्व के सभी देशो के बीच में आपसी सहयोग और मधुर संबंध के लिए भी प्रयास करता रहता है। विश्व के सभी देशों के बीच सहयोगात्मक संबंध बनाए रखना संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य है।

    3. संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत यह भी है कि यह विश्व को तृतीय विश्व युद्ध से बचाने का प्रयास करता है और किसी भी तरह की युद्ध की संभावनाओं को रोकने की कोशिश करता है तथा युद्ध की स्थिति उत्पन्न होने से बचाता है।

    4. संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत यह भी है कि यह वैश्विक स्तर पर आर्थिक सहयोग करने का प्रयास करता है जिससे कि विश्व के सभी देशों के बीच आर्थिक संबंधों में मधुरता आए और विश्व के सभी देशों का विकास सुनिश्चित हो सके।

    5. संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार और लोकतंत्र का प्रचार प्रसार करना है। संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व के प्रत्येक भाग में लोकतंत्र के प्रचार के लिए कार्य करता है और इसके साथ ही प्रत्येक देश में मानव अधिकारों के प्रति देश अपनी जिम्मेदारी को समझें इसके लिए भी संयुक्त राष्ट्र संघ तत्पर रहता है।

    6. संयुक्त राष्ट्र संघ का एक उद्देश्य और सिद्धांत यह भी है कि यह विश्व में हथियारों की होड़ को रोकने का प्रयास करता है तथा निशस्त्रीकरण की भावना को बढ़ावा देता है। संयुक्त राष्ट्र संघ प्रत्येक सदस्य देश को हथियारों की होड़ से बचने और निशस्त्रीकरण को अपनाने के लिए प्रयासरत रहता है।

    7. संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत वैश्विक तापन अर्थात ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए उपाय तलाशना भी हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ वैश्विक स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से प्रत्येक देश को ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूक करने का प्रयास करता है तथा कम से कम कार्बन उत्सर्जन करने के लिए प्रेरित भी करता है।

    8. संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत यह भी है कि विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं और महामारी से मिलकर मुकाबला किया जाए तथा रोकथाम की जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ एक वैश्विक मंच के माध्यम से इन प्राकृतिक आपदाओं और महामारी से मुकाबला करने के लिए सभी सदस्य देशों को एकजुट करता है और सहयोगात्मक व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है।

    प्रश्न 8. भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव उत्पन्न करने वाले विभिन्न बिंदुओं का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. भारत और बांग्लादेश के बीच निम्नलिखित बिंदुओं पर तनाव रहता है -

    1. भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के जल के प्रयोग को लेकर भी तनाव बना रहता है।

    2. भारत और बांग्लादेश के संबंधों को तनाव पूर्ण करने के लिए बांग्लादेश से आए हुए अवैध शरणार्थी जिन्हें चकमा कहा जाता है एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

    3. बांग्लादेश रक्षा क्षेत्र में चीनी सैन्य पनडुब्बियों सहित अन्य सामग्रियों का एक प्रमुख प्राप्तकर्ता देश है जो कि भारत के लिए एक चिंता की बात है।

    4. असम में भारतीय नागरिकों की पहचान करने के लिए  राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और बांग्लादेश पहले चिंता व्यक्त कर चुका है जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई।

    5. भारत में मुसलमानों के प्रति घृणा और घृणा की घटनाएं बांग्लादेश में सार्वजनिक धारणाओं को प्रभावित करती है।

    प्रश्न 9. संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का स्थाई या अस्थाई सदस्य बनने के लिए कौन-कौन से मापदंड निर्धारित किए गए हैं?

    उत्तर. संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के स्थाई या अस्थाई सदस्य बनने हेतु मापदंड: संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे में बदलाव की बढ़ती हुई मांगों के मद्देनजर जनवरी 1997 को संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव कोफी अन्नान ने एक जांच प्रारंभ करवाई कि सुधार कैसे कराए जाएं उदाहरण के तौर पर यही की क्या सुरक्षा परिषद के नए सदस्य चुने जाने चाहिए ?

    इसके बाद के सालों में सुरक्षा परिषद की स्थाई और अस्थाई सदस्यता के लिए कुछ मानदंड सुझाए गए। इनमें से कुछ मानदंड निम्नलिखित हैं कि किसी भी नए सदस्य को सुरक्षा परिषद की स्थाई और अस्थाई सदस्यता के लिए निम्नलिखित मानदंड पूरे करने चाहिए :

    1. वह देश बड़ी आर्थिक शक्ति होना चाहिए।

    2. उस देश की सैन्य शक्ति विशाल होनी चाहिए।

    3. संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में उस देश का योगदान अधिक होना चाहिए।

    4. जनसंख्या की दृष्टि से एक बड़ा देश हो।

    5. एक ऐसा देश जो लोकतंत्र और मानव अधिकारों का सम्मान करता हो।

    6. ऐसा देश जो अपनी भौगोलिकअर्थव्यवस्था और संस्कृति के दृष्टि से विश्व की विविधता की नुमाइंदगी करता हो।

    प्रश्न 10. "भारत सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का प्रबल दावेदार है।" कथन का विश्लेषण कीजिए।

    उत्तर. सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यता की दावेदारी के रूप में भारत : भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत करता हुआ आ रहा है और भारत स्वयं को भी सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का प्रबल दावेदार मानता है। सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के संदर्भ में भारतीय दावेदारी को निम्नलिखित कारकों के आधार पर समझा जा सकता है:

    1. भारत विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देशों की सूची में दूसरे स्थान पर आता है और इस तरह से भारत विश्व की एक बहुत बड़ी आबादी का नेतृत्व करता है।

    2. भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और भारत में लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत है इसके साथ ही भारत मानव अधिकार के लिए हमेशा गंभीर रहता है और इसके प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर कार्य करता है।

    3. भारत सैन्य दृष्टि से विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली शक्तियों में से एक है और भारत को सर्वाधिक शक्तिशाली देश बनाने के लिए परमाणु शक्ति संपन्नता भी पर्याप्त भूमिका निभाती है।

    4. भारत विश्व की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था में से एक अर्थव्यवस्था है और भारत की जीडीपी दर भी बहुत तेजी से बढ़ रही है इसलिए भारत आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की दृष्टि से एक शक्तिशाली देश के रूप में सामने आएगा।

    5. भारत भौगोलिक दृष्टि से एक विशिष्ट देश है और हिंद महासागर भारत को एक केंद्रीय स्थिति प्रदान करता है इसके साथ ही भारत जैव विविधता के क्षेत्र में भी धनी है। भारत की संस्कृति बहुत ही अद्भुत है और भारत विश्व राजनीति में एक नेता के रूप में सामने उभर कर आया है।

    6. भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में निरंतर सहयोग देने वाला एक प्रमुख देश है और भारत इस कार्य को पूरी निरंतरता से करता आ रहा है।

    प्रश्न 11. वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता का विश्लेषण कीजिए।

    उत्तर. वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता : संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना संपूर्ण विश्व को तृतीय विश्व युद्ध से बचाने के लिए और विश्व में शांति व्यवस्था स्थापित करने के लिए की गई थी। वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं:

    1. वर्तमान समय में भी संयुक्त राष्ट्र संघ एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो अंतरराष्ट्रीय शांति व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है।

    2. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए भी संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता वर्तमान समय में भी नितांत आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र संघ विभिन्न सदस्य देशों के बीच आर्थिक संबंधों को सुधारने का कार्य कर रहा है।

    3. वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता को हम इस तरह से भी समझ सकते हैं कि यह विश्व में हथियारों की होड़ को रोकने और निशस्त्रीकरण की नीति को क्रियान्वित करने में एक महत्वपूर्ण संगठन के रूप में कार्य कर रहा है।

    4. संयुक्त राष्ट्र संघ में वर्तमान समय में और भी अधिक प्रासंगिक है क्योंकि वर्तमान समय में परमाणु निशस्त्रीकरण की नितांत आवश्यकता है और विभिन्न देश परमाणु शक्ति संपन्नता के लिए प्रयास भी कर रहे हैं जो संपूर्ण विश्व के लिए भयानक हो सकता है।

    5. संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता को हम इस तरह भी समझ सकते हैं कि वर्तमान समय में आने वाली विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं और महामारियो का मुकाबला कोई भी देश अकेले नहीं कर सकता इसलिए हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन आपदा और महामारी का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की आवश्यकता है।

    6. वर्तमान समय में भी संयुक्त राष्ट्र संघ एक प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संगठन है क्योंकि यह संगठन संपूर्ण विश्व को तृतीय विश्व युद्ध से बचाने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन कर रहा है और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों के कारण ही अभी तक विश्व तीसरे विश्व युद्ध से बचा हुआ है।

    7. संयुक्त राष्ट्र संघ वर्तमान समय में इसलिए भी एक प्रासंगिक संगठन है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ ही एक ऐसा संगठन है जो अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने की क्षमता रखता है।

    प्रश्न 12. "संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णय पर अमेरिका का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।" संयुक्त राष्ट्र संघ पर अमेरिका का प्रभाव दशाओं दर्शाने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. संयुक्त राष्ट्र संघ पर अमेरिका का प्रभाव : संयुक्त राष्ट्र संघ की नीतियों और कार्यक्रमों पर संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है और इसके लिए कई सारे कारक जिम्मेदार हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :

    1. संयुक्त राष्ट्र संघ की नीतियों और कार्यक्रमों पर संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभाव इसलिए भी देखने को मिलता है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय अमेरिका में स्थित है और इस तरह से संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ की नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावित कर पाता है।

    2. संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ की नीतियों और कार्यक्रमों को इसलिए भी प्रभावित कर पाता है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ में कार्य करने वाले कर्मचारियों की अधिकांश संख्या अमेरिका की है। इस तरह से अमेरिका कर्मचारियों की संख्या के बल पर भी संयुक्त राष्ट्र संघ पर अपना प्रभाव बना पाता है।

    3. संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ में सर्वाधिक आर्थिक सहयोग करने वाले देशों में पहले स्थान पर आता है और इस कारण से संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभाव संयुक्त राष्ट्र संघ की नीतियों कार्यक्रमों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

    4. संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभाव संयुक्त राष्ट्र संघ पर हम इसलिए भी देख पाते हैं क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य है और इसके पास वीटो शक्ति प्राप्त है। इसलिए अमेरिका अपने हित अनुसार इस वीटो शक्ति का प्रयोग करता है और संयुक्त राष्ट्र संघ के नीति और निर्णय को प्रभावित करता है।

    प्रश्न 13. यूरोपीय संघ की स्थापना करने के पीछे क्या उद्देश्य थे?

    उत्तर. यूरोपीय संघ यूरोप महाद्वीप का एक क्षेत्रीय संगठन है और यह संगठन विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली क्षेत्रीय संगठन भी है। वर्ष 1992 में यूरोपीय संघ अस्तित्व में आया। यूरोपीय संघ की स्थापना के पीछे निम्नलिखित उद्देश्य समाहित थे -

    1. यूरोपीय संघ की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि इस संगठन में शामिल सभी देशों की विदेश नीति एक समान बनाई जा सके और सुरक्षा नीति भी तय की जा सके जिससे कि इस संगठन में समानता स्थापित हो सके।

    2. यूरोपीय संघ की स्थापना करने के पीछे एक उद्देश्य यह भी था कि आपसी विवादों और तनावों को शांतिपूर्वक तरीके से हल किया जा सके और विभिन्न मामलों को सुलझाने में मदद की जा सके।

    3. यूरोपीय संघ का एक उद्देश्य यह भी था कि इस संगठन के सदस्य देशों की एक समान मुद्रा बनाई जा सके और इसके लिए प्रयास भी किया गया यूरोपीय संघ की कई देशों में यूरो मुद्रा का चलन है।

    4. यूरोपीय संघ की स्थापना इस उद्देश्य से भी की गई थी कि इस संगठन के सभी सदस्य देशों के मध्य बिना किसी रोक-टोक के आवागमन हो सके और वीजा की आवश्यकता ना पड़े। यूरोपीय संघ के देशों में मुक्त आवागमन की व्यवस्था भी की गई है।

    प्रश्न 14. राज्य पुनर्गठन आयोग से आप क्या समझते हैं ? इसकी प्रमुख सिफारिशों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) - वर्ष 1920 में कांग्रेस के अधिवेशन में कांग्रेस के नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की थी कि स्वतंत्रता के बाद भारत में राज्यों का निर्माण वहां पर बोले जाने वाली भाषाओं के आधार पर किया जाएगा। आजादी के बाद भारत में भाषाओं के आधार पर राज्यों के निर्माण की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण कांग्रेस के कुछ दक्षिण भारतीय नेता नाराज हो गए और उनमें से एक गांधीवादी नेता पोट्टी श्रीरामुलु ने वर्ष 1952 में मद्रास प्रांत से तेलुगु भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग के लिए आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया लगभग 56 दिन के बाद पोट्टी श्रीरामलू की मृत्यु हो गई और इस क्षेत्र में हिंसक प्रदर्शन प्रारंभ हो गए सरकार ने इन परिस्थितियों में मद्रास प्रांत से तेलुगु भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य आंध्र प्रदेश के निर्माण की घोषणा कर दी।

    सरकार ने भविष्य में इस प्रकार की परिस्थितियों से बचने के लिए और भारत में राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित नीतियों को निर्धारित करने के लिए वर्ष 1953 में एक आयोग का गठन किया जिसे राज्य पुनर्गठन आयोग कहा जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश फजल अली को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया तथा हृदयनाथ कुंजरू और के एम पाणिकर इसके दो अन्य सदस्य नियुक्त किए गए। इस आयोग ने राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित अपने कार्यों को पूरा करके अपनी रिपोर्ट वर्ष 1955 में भारत सरकार को सौंप दी जिस के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार थे -

    1. भारत की राज्यों की त्रिस्तरीय व्यवस्था (A B C) को समाप्त किया जाए।

    2. भारत में राज्यों की सीमा का निर्धारण वहां पर बोले जाने वाली भाषाओं के आधार पर किया जाना चाहिए।

    3. भारत के सभी केंद्र शासित प्रदेशों को उनके आसपास के राज्यों में मिला दिया जाना चाहिए केवल दिल्लीमणिपुर और अंडमान निकोबार को छोड़कर।

    राज्य पुनर्गठन आयोग ने वर्ष 1955 में अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी और फिर भारतीय संसद ने इस रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया और देश को 14 राज्य एवं 6 संघ शासित क्षेत्रों में बांटा।

    प्रश्न 15. सोवियत प्रणाली के किन्हीं चार विशेषता का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. सोवियत प्रणाली के चार प्रमुख विशेषता इस प्रकार हैं -

    1. सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषता इसकी बेहतर और उन्नत संचार प्रणाली का होना थी। सोवियत संघ विश्व की बेहतरीन संचार प्रणालियों वाला देश था।

    2. सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषता यह भी थी कि इस प्रणाली के माध्यम से सोवियत संघ में बेरोजगारी का अभाव था।

    3. सोवियत प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि इस प्रणाली के माध्यम से सोवियत संघ ने अपने देश में औद्योगिक विकास बहुत तीव्र गति से किया था और यहां पर प्रत्येक वस्तु का उत्पादन किया जाता था।

    4. सोवियत प्रणाली की एक विशेषता यह भी थी कि इसके अंतर्गत सभी नागरिकों के लिए न्यूनतम जीवन स्तर की सुविधाएं उपलब्ध की गई थी। सरकार प्रत्येक व्यक्ति के लिए न्यूनतम आवश्यकता की वस्तुओं की उपलब्धता कराती थी।

    प्रश्न 16. दक्षिण एशिया किस कारण संघर्ष संभावित क्षेत्र बना रहेगा? स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर. भारत पाकिस्तान नेपाल बांग्लादेश भूटान श्रीलंका और मालदीव को मिलाकर के संयुक्त रुप से दक्षिण एशिया शब्द का प्रयोग किया जाता है। दक्षिण एशिया में संघर्ष को बनाए रखने के बहुत से कारण हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं -

    1. द्विपक्षीय मुद्दे - दक्षिण एशिया संघर्ष और तनाव का क्षेत्र बना रहेगा जब तक कि इस क्षेत्र में द्विपक्षीय विवाद के मुद्दे बने रहेंगे। दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान भारत और बांग्लादेश तथा भारत और श्रीलंका के मध्य कई मुद्दों पर आपसी तनाव है जिसके कारण इस क्षेत्र में संघर्ष और तनाव का माहौल बना रहता है।

    2. आतंकवादी गतिविधियां - दक्षिण एशिया में संघर्ष और तनाव की स्थिति इसलिए भी बनी रहती है क्योंकि इस क्षेत्र में कुछ देशों के द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है जिसके कारण इस क्षेत्र के देशों में आपसी संघर्ष और तनाव की स्थिति बनी रहती है।

    3. आपसी सहयोग और विश्वास की कमी - दक्षिण एशिया संघर्ष संभावित क्षेत्र इसलिए भी बना रहेगा क्योंकि इस क्षेत्र में देशों के बीच में आपसी सहयोग और विश्वास की कमी साफ नजर आती है। इस क्षेत्र के देशों में एक दूसरे के प्रति संदेह और आशंकित दृष्टिकोण बना रहता है।

    4. भारत की छवि - दक्षिण एशिया संघर्ष संभावित क्षेत्र इसलिए भी बना रहेगा क्योंकि इस क्षेत्र में सर्वाधिक शक्तिशाली देश भारत है। भारत सैन्य शक्ति, अर्थव्यवस्था, जनसंख्या तथा क्षेत्रफल के मामले में इस क्षेत्र के सभी देशों से बहुत आगे है और इस कारण भारत के प्रति इन देशों का व्यवहार आशंकित रहता है।

    प्रश्न 17. सुरक्षा के नए खतरे के किन्हीं चार स्त्रोतों की पहचान कीजिए तथा उनकी व्याख्या कीजिए।

    उत्तर. सुरक्षा के खतरे के 4 नए स्त्रोत निम्नलिखित हैं -

    1. सुरक्षा के खतरे के नए स्त्रोत में आतंकवाद एक बहुत बड़ा स्त्रोत है। आतंकवाद एक ऐसी गतिविधि होती है जिसमें नागरिकों को अंधाधुंध और जानबूझकर हिंसा का शिकार बनाया जाता है जिससे कि उनके मन में भय का माहौल बनाया जा सके।

    2. सुरक्षा के नए खतरे के स्त्रोत के रूप में वैश्विक गरीबी भी एक बहुत बड़ा कारक है। विश्व के अधिकांश देश वैश्विक गरीबी की समस्या से ग्रस्त हैं और यहां पर गरीबी के कारण पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है।

    3. सुरक्षा के नए खतरे के स्त्रोत के रूप में प्रवासन भी एक महत्वपूर्ण कारक है। वैश्विक स्तर पर होने वाले प्रवचन की मुख्य वजह अच्छा जीवन स्तर और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं होती है लेकिन इसके कारण वैश्विक राजनीति में संघर्ष की स्थिति भी बन जाती है।

    4. आपदा और महामारी - अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रकार की बीमारियों और महामारी ने एक नई प्रकार की समस्या उत्पन्न कर दी है जो खतरे के नए स्त्रोत के रूप में उभरकर सामने आई है। एचआईवी एड्स, बर्ड फ्लू, स्वाईन फ्लू, कोरोनावायरस जैसी महामारी प्रवासन, पर्यटन, व्यापार तथा सैन्य कार्यवाही के कारण समस्त विश्व में तेजी से फैल रही है।

    प्रश्न 18. सुरक्षा से क्या अभिप्राय है? भारत की सुरक्षा संबंधी रणनीति के चार घटकों का उल्लेख कीजिए।

    उत्तर. सुरक्षा का सामान्य अर्थ होता है किसी भी प्रकार के खतरे से आजादी। इसका अर्थ यह है कि गंभीर खतरों से आजादी जिससे कि जीवन के केंद्रीय मूल्यों को किसी प्रकार की क्षति ना हो।

    भारत की सुरक्षा संबंधी रणनीति के चार मुख्य घटक इस प्रकार हैं -

    1. सैनिक क्षमता को मजबूत करना।

    2. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और नियमों को मजबूत करना।

    3. देश की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं से निपटने की तैयारी करना।

    4. देश के बहुसंख्यक नागरिकों को गरीबी और अभाव से छुटकारा दिलाने के लिए अर्थव्यवस्था को मजबूत करना।

    प्रश्न 19. "भारत सरकार पर्यावरण से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से, वैश्विक प्रयासों में भाग लेती रही है।" इस कथन के समर्थन हेतु कोई चार उदाहरण दीजिए।

    उत्तर. भारत देश पर्यावरण के प्रति हमेशा से गंभीर रहा है और वैश्विक स्तर पर भी होने वाले प्रयासों को भारत में सदैव ही सराहा है। भारत ने वैश्विक स्तर पर चलने वाले पर्यावरण संरक्षण के कार्यक्रमों को भारत में भी लागू करने के प्रयास किए हैं जिसकी कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं -

    1. भारत में अपनी नेशनल ऑटो फ्यूल पॉलिसी के अंतर्गत वाहनों के लिए स्वच्छता इंधन अनिवार्य कर दिया है।

    2. भारत ने वर्ष 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के माध्यम से ऊर्जा के ज्यादा कारगर इस्तेमाल के क्षेत्र में पहल कदमी की है।

    3. भारत ने वर्ष 2003 के बिजली अधिनियम के माध्यम से ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधनों के प्रयोग को प्राथमिकता दी है।

    4. भारत ने देश में स्वच्छ कोयले के प्रयोग को बढ़ावा दिया है तथा भारत इसके साथ ही बायोडीजल से संबंधित एक राष्ट्रीय मिशन पर भी कार्यरत है।

    प्रश्न 20. वैश्वीकरण के किन्हीं चार सांस्कृतिक प्रभाव का विशेषण कीजिए।

    उत्तर. वैश्वीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसके आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव देखने को मिलते हैं। वैश्वीकरण के प्रमुख सांस्कृतिक प्रभाव इस प्रकार हैं -

    1. वैश्वीकरण का एक सांस्कृतिक प्रभाव हमें यह देखने को मिला है कि इसके कारण विश्व की संस्कृतियों की मौलिकता पर बुरा प्रभाव पड़ा है। वैश्वीकरण ने विभिन्न देशों की मौलिक संस्कृति को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।

    2. वैश्वीकरण ने समस्त विश्व पर पश्चिमी सभ्यता को लादने का काम किया है। विश्व के प्रत्येक भाग में वैश्वीकरण के माध्यम से पश्चिमी संस्कृति और सभ्यता को सौंपा गया है।

    3. वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों में सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण भी देखने को मिला है। इसका अर्थ यह है कि वैश्वीकरण ने विभिन्न देशों की संस्कृतियों को और अधिक समृद्ध किया है।

    4. वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को हम इस तरह से भी देख सकते हैं कि इसके कारण वैश्विक स्तर पर खाने-पीने और पहनावे के विकल्पों में वृद्धि हुई है।

    प्रश्न 21. भारत और पाकिस्तान के मध्य तनावपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।

    उत्तर. भारत और पाकिस्तान के मध्य तनाव दर्शाने वाले प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं -

    1. भारत और पाकिस्तान के मध्य तनावपूर्ण संबंधों का एक प्रमुख कारण कश्मीर मुद्दा भी है और यह मुद्दा आज तक विवादित है जिसके कारण दोनों देशों के मध्य तनावपूर्ण संबंध विद्यमान है।

    2. भारत और पाकिस्तान के मध्य सीमा पार आतंकवादी घटनाएं भी तनाव को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कारक की भूमिका निभाती है।

    3. भारत और पाकिस्तान के तनावपूर्ण संबंधों के लिए पाकिस्तान के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के दुष्प्रचार को भी दोनों देशों के मध्य तनाव का एक प्रमुख कारक माना जाता है।

    4. भारत और पाकिस्तान के मध्य नदी जल बंटवारे को लेकर भी विवाद बना रहता है जिसमें सिंधु नदी के पानी को लेकर खासकर विवाद रहता है।

    5. भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन ग्लेशियर और सर क्रीक जैसे मुद्दे भी विवादित हैं और यह दोनों देशों के मध्य तनाव को बढ़ाते हैं।

    6. चीन के द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक और सैन्य मदद भी दोनों देशों के मध्य संबंधों को कटु करती है।

     


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