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  • PRE-BOARD EXAMINATION-II (2021-22)

    (Morning Shift)

    CLASS-XII (TERM II)

    SUBJECT: POLITICAL SCIENCE (028)

    -:SOLVED:-

     

    Time Allowed: 2 Hours                            Maximum Marks : 40

    समय : 2 घंटे                                                                 अधिकतम अंक : 40

     

    सामान्य निर्देश:

    1. प्रश्न पत्र में 3 खंड क, ख और ग हैं।

    2. खंड क में 2-2 अंकों के 8 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 50 शब्दों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।

    3. खंड ख में 4 अंकों के 3 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 100 शब्दों में देना चाहिए। मानचित्र के प्रश्न का उत्तर तद्नुसार ही देना चाहिए।

    4. खंड ग में 6-6 अंकों के 2 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 170 शब्दों में देना चाहिए।

    प्रश्न 1. आसियान समुदाय के किन्हीं दो प्रमुख स्तंभों का वर्णन कीजिए।2

    उत्तर. आसियान समुदाय के तीन प्रमुख स्तंभ है जो कि इस प्रकार है -

    1. आसियान आर्थिक समुदाय।

    2. आसियान सुरक्षा समुदाय।

    3. आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय।

     

    अथवा

    चीन ने एकांतवास को कब खत्म किया? इसके बाद हुए किन्हीं दो बदलावों का वर्णन कीजिए।                                                              2

    उत्तर. चीन ने 1972 में अमेरिका के साथ अपने संबंधों को बहाल करके अपने राजनीतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया। चीन के एकांतवास खत्म करने के बाद निम्नलिखित बदलाव देखने को मिले -

    1. 1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि उद्योग सेवा और विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण किया।

    2. वर्ष 1978 में तत्कालीन नेता डेंग शियाओपेंग ने आर्थिक सुधारों और खुले द्वार की नीति की घोषणा की।

    3. वर्ष 1982 में कृषि का निजीकरण किया गया।

    4. वर्ष 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया।

    प्रश्न 2. "ब्रिक्स" की स्थापना किन उद्देश्यों को लेकर की गई थी? स्पष्ट कीजिए।                                                                                          2

    उत्तर. ब्रिक्स की स्थापना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

    1. पिछड़े और विकासशील देशों के लिए एक पुल की तरह कार्य करना।

    2. सदस्य देशों के मध्य सहयोग तथा पारस्परिक आर्थिक लाभ के लिए कार्य करना।

    3. वैश्विक शांति स्थापित करना और राजनीतिक बातचीत को आगे बढ़ाना।

    प्रश्न 3. वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों का वर्णन कीजिए।               2

    उत्तर. वैश्वीकरण के प्रमुख सांस्कृतिक प्रभाव इस प्रकार हैं -

    1. खाने-पीने और पहनावे के विकल्पों में वृद्धि हुई है।

    2. संपूर्ण विश्व में पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति को थोपा गया है।

    3. संस्कृति की मौलिकता पर बुरा असर पड़ा है।

    4. सांस्कृतिक परिवर्तन को लेकर लोग अभी भी दुविधा में है।

    प्रश्न 4. बहुदलीय व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?                             2

    उत्तर. बहुदलीय व्यवस्था : जब किसी देश में दो से अधिक राजनीतिक दल विद्यमान होते हैं और चुनाव लड़ कर सरकार बनाने का प्रयास करते हैं तो ऐसी व्यवस्था को बहुदलीय व्यवस्था कहा जाता है। भारत और श्रीलंका जैसे देशों में बहुदलीय राजनीतिक व्यवस्था पाई जाती है।

    प्रश्न 5. वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषताएं लिखिए।                                2

    उत्तर. वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है -

    1. वैश्वीकरण के अंतर्गत पूंजी वस्तु स्वयं और विचारों का मुक्त प्रवाह होता है।

    2. वैश्वीकरण के कारण संपूर्ण विश्व एक वैश्विक ग्राम बन चुका है।

    3. वैश्वीकरण ने आयात प्रतिबंधों को कम किया है और व्यापार में वृद्धि की है।

    4. वैश्वीकरण ने एक खुली और पूंजीवादी व्यवस्था को बढ़ावा दिया है।

    प्रश्न 6.वामपंथी किस आधार पर वैश्वीकरण का विरोध करते हैं?          2

    उत्तर. वामपंथियों द्वारा वैश्वीकरण के विरोध में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं -

    1. वामपंथियों को इस बात का भय है कि वैश्वीकरण के कारण राज्य की शक्तियां और क्षमता कम हो जायेगी।

    2. वामपंथियों का मानना है कि इससे देश की मौलिक संस्कृति को नुकसान पहुंचेगा और परंपरागत सांस्कृतिक जीवन मूल्यों को क्षति होगी।

    3. वामपंथियों का मानना है कि राज्य को आर्थिक क्षेत्र में आर्थिक निर्भरता और संरक्षणवाद कायम रहे।

     

    प्रश्न 7. लोकतांत्रिक अभ्युत्थान (चढ़ाव) से क्या अभिप्राय है? भारतीय राजनीतिक इतिहास में कितने अभ्युत्थानो का वर्णन किया गया है।      2

    उत्तर. लोकतांत्रिक अभ्युत्थान : लोकतांत्रिक अभ्युत्थान का अर्थ है जब किसी देश की लोकतांत्रिक राजनीति में जनता की सहभागिता अर्थात भागीदारी। भारत के राजनीतिक इतिहास में अभी तक तीन लोकतांत्रिक अभ्युत्थान का वर्णन किया गया है जो कि इस प्रकार हैं -

    1. प्रथम लोकतांत्रिक अभ्युत्थान - यह 1950 से 1970 के दशक का दौर माना जाता है और इसमें व्यस्क मताधिकार की बढ़ती भागीदारी को देखा गया।

    2. द्वितीय लोकतांत्रिक अभ्युत्थान - यह 1980 का दशक माना जाता है और इसमें अनुसूचित जाति/जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग की भागीदारी को देखा गया था।

    3. तृतीय लोकतांत्रिक अभ्युत्थान - यह 1990 का दशक माना जाता है और इसमें युवा वर्ग की भागीदारी तथा नई आर्थिक नीति (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) को देखा गया।

    प्रश्न 8. एनडीए (NDA) का शाब्दिक अर्थ क्या है ? एनडीए की अब तक कितनी सरकारें बन चुकी हैं ?                                                    2

    उत्तर. एनडीए (NDA) : इसका शाब्दिक अर्थ है राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance). NDA भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन है और इस गठबंधन में अब तक 4 बार सरकार बनाई है।

    1. पहली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार : वर्ष 1998 से 1999 तक।

    2. दूसरी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार : वर्ष 1999 से 2004 तक।

    3. तीसरी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार : वर्ष 2014 से 2019 तक।

    4. चौथी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार : वर्ष 2019 से अब तक।

    प्रश्न 9. भारत को किन आधारों पर 21वीं सदी की एक प्रमुख वैश्विक शक्ति माना जा सकता है? उल्लेख कीजिए।                                      4

    उत्तर. 21वीं सदी में भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था तथा राजनीतिक शक्ति बनकर सामने आया है। भारत के इन विभिन्न प्रभावों को देखते हुए भारत को शक्ति का नया केंद्र माना जा रहा है इसके लिए निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं -

    1. भारत विश्व की एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और भारत में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का अपना लक्ष्य निर्धारित किया है जो उसे एक शक्तिशाली देश बनाता है।

    2. भारत की सैन्य क्षमता और इसकी सामरिक शक्ति इसे शक्ति का एक नया केंद्र बनाती है। भारत के पास परमाणु शक्ति भी है जो इसे विश्व के अग्रणी देशों में खड़ा कर देती है।

    3. 21वीं सदी में भारत ने जिस तरह से वैश्विक स्तर पर राजनीतिक मंचों का नेतृत्व किया है उससे यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि भारत का महत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरंतर बढ़ता जा रहा है।

    4. भारत की युवा आबादी और संसाधनों की प्रचुरता भी भारत को एक शक्ति का नया केंद्र स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान निभाता है। भारत विश्व के सबसे युवा देशों में से एक है और यहां पर श्रम तथा कौशल के अपार भंडार है।

     

    प्रश्न 10.1975 के राष्ट्रीय आपातकाल के प्रमुख सबकों का वर्णन कीजिए।4

    उत्तर. 25 जून 1975 को भारत में आंतरिक अशांति के नाम पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की गई थी। यह आपातकाल 18 महीने तक भारत में लागू रहा था। इस आपातकाल के कुछ सबक भी हमने सीखे जो कि इस प्रकार हैं -

    1. आपातकाल के दौरान अनेक ऐसे प्रावधान किए गए जिन्होंने लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास किया लेकिन आपातकाल का एक यह सबक सामने आया कि भारत से लोकतंत्र कभी समाप्त नहीं हो सकता है क्योंकि भारतीय लोकतंत्र में सभी का विश्वास है।

    2. आपातकाल के दौरान कई प्रकार के मौलिक अधिकारों का स्थगन और निलंबन कर दिया गया था। मौलिक अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए न्यायपालिका की भूमिका में वृद्धि हुई और कई प्रकार के नागरिक अधिकार संरक्षण संगठन भी देखने को मिले।

    3. आपातकाल का एक शब्द किया भी मिला कि आप भारत में कभी आंतरिक अशांति के नाम पर आपातकाल नहीं लगाया जाएगा इसके स्थान पर सशस्त्र विद्रोह शब्द संविधान में जोड़ा गया और यह भी अनिवार्य कर दिया गया कि मंत्री परिषद की लिखित सूचना राष्ट्रपति को देने के बाद ही भारत में आपातकाल घोषित किया जाएगा।

    4. आपातकाल के सबक के रूप में एक समस्या भी मिला की लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है और सरकार के कार्यों की जानकारी भी होनी चाहिए जिससे कि वह सही गलत का निर्णय ले सके और आलोचना कर सकें। आपातकाल के बाद लोगों में जबरदस्त जागरूकता देखने को मिली।

     

    प्रश्न 11. भारत के दिए गए, राजनीतिक मानचित्र में, चार राज्यों को (A), (B), (C) और (D) के रूप में चिन्हित किया गया है। नीचे दी गई जानकारी के आधार पर इन राज्यों की पहचान करें और अपनी उत्तर पुस्तिका में उनके सही नाम के साथ-साथ उपयोग की गई जानकारी के संबंधित क्रम संख्या और संबंधित अफसर निम्नानुसार प्रारूप के अनुसार लिखें-4X1=4



    (i) वह राज्य जहां 2004 के लोकसभा चुनाव में वाम दल को जीत हासिल हुई।

    (ii) 1991 भूत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या किस राज्य में हुई।

    (iii) वह राज्य जहां 2004 के लोकसभा चुनाव में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को जीत हासिल हुई।

    (iv) बी.पी. मंडल, मंडल आयोग के अध्यक्ष का संबंध किस राज्य से था।

    उपयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या

    सम्बंधित अक्षर

    राज्य का नाम

    (i)

     

     

    (ii)

     

     

    (iii)

     

     

    (iv)

     

     

     

    उत्तर.

    उपयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या

    सम्बंधित अक्षर

    राज्य का नाम

    (i)

    A

    त्रिपुरा

    (ii)

    D

    तमिलनाडु

    (iii)

    C

    मणिपुर

    (iv)

    B

    बिहार

     

    ध्यान दें :- यह प्रश्न केवल दृष्टिबाधित परीक्षार्थियों के लिए है।

    11.(A) गैर-कांग्रेसवाद से क्या अभिप्राय है? यह विचार किसने दिया?4

    उत्तर. गैर-कांग्रेसवाद : कांग्रेस पार्टी के विरोध में अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों और नेताओं के एकजुट होने की घटना को गैर - कांग्रेसवाद के नाम से संबोधित किया गया। इन सभी विरोधी दलों और नेताओं का तर्क था कि कांग्रेस पार्टी की नीतियां लोकतंत्र के विरुद्ध हैं और भारत के आम नागरिकों तथा गरीबों के लिए कल्याणकारी नहीं है इसलिए हम सभी को एकजुट होकर कांग्रेस का विरोध करना होगा तथा एक संगठित राजनीतिक दल के रूप में सामने आना होगा। डॉ राम मनोहर लोहिया ने कॉन्ग्रेस पार्टी के विरुद्ध इन सभी राजनीतिक दलों और नेताओं के एकजुट होने की इस प्रक्रिया को गैर- कांग्रेसवाद के नाम से संबोधित किया। इन सभी विपक्षी नेताओं और राजनीतिक दलों का तर्क था कि भारत में लोकतंत्र को बचाने के लिए कांग्रेस को हटाना होगा।

    (Section-C)

    प्रश्न 12. दक्षिण एशिया के देश एक दूसरे पर विश्वास करते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता। इस कथन की पुष्टि में कोई दो उदाहरण दीजिए और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय समझाइए।                                          6

    उत्तर. दक्षिण एशिया के अंतर्गत भारत नेपाल भूटान बांग्लादेश पाकिस्तान श्रीलंका मालदीव इन देशों को शामिल किया जाता है और कभी-कभी म्यांमार तथा अफगानिस्तान को भी इसका हिस्सा माना जाता है। दक्षिण एशिया के देश एक दूसरे पर विश्वास करते हैं और यह कथन सही है इस कथन के पक्ष में हम निम्नलिखित तर्क दे सकते हैं -

    1. दक्षिण एशिया के कई देशों के बीच सीमा विवाद है जैसे कि भारत-पाकिस्तान भारत और बांग्लादेश आदि।

    2. दक्षिण एशिया के देशों में अविश्वास का एक कारक सीमा पर आतंकवादी घटनाएं भी हैं और इस कारक में पाकिस्तान की भूमिका काफी हद तक मानी जाती है जो कि एक-दूसरे के विश्वास को कम कर देता है।

    3. दक्षिण एशिया के छोटे देशों में भारत को लेकर भी आशंकाएं हैं क्योंकि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और सैन्य क्षमता के मामले में भी भारत दक्षिणी से कि अन्य देशों से काफी विकसित है।

    4. दक्षिण एशिया के देशों में अविश्वास का एक कारक विश्व की बाहरी शक्तियों का हस्तक्षेप भी है इन बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप से इन देशों के मध्य विश्वास में कमी आई है।

    दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के उपाय : दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए कई सारे प्रयासों को करने की आवश्यकता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं -

    1. दक्षिण एशिया के देशों को आपसी मतभेदों को दूर करके शांति स्थापित करने के प्रयास करने होंगे।

    2. सीमा पार आतंकवादी घटनाओं को समाप्त करने की कोशिश करनी होगी और एक दूसरे का सहयोग करना होगा जिससे कि इन आतंकवादी गतिविधियों को समाप्त किया जा सके तथा विकास के और शांति के अवसर बढ़ाए जा सके।

    3. दक्षिण एशिया को और अधिक मजबूत करने के लिए इन सभी देशों को आपस में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाना होगा तथा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक और तकनीकी संबंधों को और मधुर करना होगा।

    4. दक्षिण एशिया को मजबूत करने के लिए सार्क को भी मजबूत करना होगा क्योंकि यह एक ऐसा संगठन है जो दक्षिण एशिया के देशों को विकास के अवसरों के साथ-साथ शांति व्यवस्था बनाए रखने की भी पर्याप्त कार्य करता है।

    अथवा

    21वी सदी में "रूस" को किन आधारों पर सत्ता का एक नया केंद्र माना जा सकता है?                                                                                  6

    उत्तर. वर्तमान समय में रूस शक्ति का एक नया केंद्र बनकर सामने आया है। वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बना और संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस को सोवियत संघ का उत्तराधिकारी भी घोषित किया गया है। 21वीं सदी में रूस शक्ति का एक नया केंद्र निम्नलिखित आधारों पर बनकर उभरा है-

    1. रूस के पास प्राकृतिक संसाधनों के अपार भंडार हैं। खनिज संसाधनों के मामले में और प्राकृतिक गैस भंडार के मामलों में रूस बहुत ही ज्यादा धनी है और इन भंडारों के कारण रूस विश्व का एक शक्तिशाली देश बन गया है।

    2. रूस के पास हथियारों का एक बहुत बड़ा भंडार है जिसमें उन्नत और आधुनिक किस्म की सभी प्रकार की मिसाइलें और हथियार शामिल है। रूस विश्व का सबसे बड़ा हथियार विक्रेता भी है।

    3. संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में रूस स्थाई सदस्य हैं और उसे वीटो शक्ति प्राप्त है तथा रूस की परमाणु शक्ति संपन्नता भी इसे शक्ति का एक नया केंद्र बनाती है।

    4. रूस की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसकी जीडीपी दर भी बहुत अच्छी है जो इसे विश्व के शक्तिशाली देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा करती है।

    5. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस वैश्विक मामलों में हस्तक्षेप करने की क्षमता रखता है और रूस की बातों का प्रभाव भी वैश्विक राजनीति पर स्पष्ट देखने को मिलता है जिसके कारण रूस शक्ति का एक नया केंद्र बनकर सामने आया है।

    6. रूस विश्व का सबसे बड़ा देश है और रूस की तकनीकी क्षमता भी बहुत विकसित है।

     

    प्रश्न 13. 2014 के बाद भारतीय राजनीति में कौन से बड़े परिवर्तन आए। व्याख्या कीजिए।                                                                                     6

    उत्तर. 2014 में भारतीय जनतंत्र गठबंधन की सरकार बनी और उसके बाद से भारतीय राजनीति में कई बदलाव देखने को मिले हैं। 2014 के बाद से भारतीय राजनीति में हुए प्रमुख बदलावों को हम इस प्रकार समझ सकते हैं -

    1. 2014 के बाद से भारतीय राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला अब भारतीय राजनीति में विकास और सुशासन एक प्रमुख मुद्दा बन चुका है और सरकार का पूरा केंद्र बिंदु यह दोनों मुद्दे बन चुके हैं। सरकार विकास और सुशासन के लिए कई सारी योजनाएं और नीतियां निर्धारित कर रही है और उन पर काम भी कर रही है।

    3. 2014 के बाद भारतीय राजनीति में एक परिवर्तन यह भी देखने को मिला कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने सबका साथ सबका विकास का एक नारा दिया और सरकार बनने के बाद अपने इस नारे को जीवंत बनाए रखने के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई और उनके क्रियान्वयन के लिए सतत प्रयास भी जारी रख रही है। भारतीय राजनीति में अब प्रत्येक वर्ग का विकास सुनिश्चित करने की बात की जा रही है और उस पर काम भी किया जा रहा है।

    3. 2014 के बाद भारतीय राजनीति में जातिगत आधारित राजनीति को समाप्त करने की कोशिश की गई है और विकास राष्ट्र निर्माण से संबंधित योजनाएं और उन पर कार्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं जो कि एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

    4. 2014 के बाद से सरकार ने कई प्रकार की योजनाएं बनाई हैं जिनमें प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जनधन योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, किसान फसल बीमा योजना, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना, आयुष्मान भारत योजना आदि। इन योजनाओं का एकमात्र उद्देश्य भारत का सर्वांगीण विकास करना है और भारत के प्रत्येक नागरिक तक विकास के अवसरों को पहुंचाना है।

    5. 2014 के बाद हमने यह भी देखा है कि भारतीय राजनीति में राष्ट्रवाद का जबरदस्त प्रचार प्रसार हुआ है सरकार ने विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों की सहायता से भारत में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने का प्रयास किया है और उसमें सफलता भी प्राप्त की है।

     

    अथवा

    लोकनायक जयप्रकाश नारायण अपने कौन से तीन प्रमुख योगदानो के लिए जाने जाते हैं? वर्णन कीजिए।                                                  3X2=6

    उत्तर. जयप्रकाश नारायण को लोकनायक के नाम से भी जाना जाता है। जयप्रकाश नारायण एक प्रमुख गांधीवादी नेता थे और इन्होंने अपने किसी भी आंदोलन में हिंसा का सहारा नहीं लिया तथा अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए कई प्रकार के आंदोलन किए। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की भारतीय राजनीति में दिए गए प्रमुख योगदानो में से तीन इस प्रकार है -

    1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष - लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने बिहार में छात्रों के अनुरोध पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व किया और इसे एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बनाने में अपनी भूमिका निभाई। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने बिहार तथा गुजरात के छात्रों को अहिंसात्मक तरीके से आंदोलन के लिए नेतृत्व प्रदान किया तथा भ्रष्टाचार का जमकर विरोध किया।

    2. सामुदायिक समाजवाद का सिद्धांत - लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनके द्वारा दिए गए सामुदायिक समाजवाद के सिद्धांत के लिए भी याद किया जाता है। जयप्रकाश नारायण का मानना था कि एक देश समुदाय क्षेत्र तथा राष्ट्र के त्रिस्तरीय रूप में परिलक्षित होता है। जयप्रकाश नारायण जी मानते थे कि भारत एक समुदायों का समाज है और यही एक वास्तविक यथार्थता है।

    3. संपूर्ण या समग्र क्रांति का सिद्धांत - लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को उनके द्वारा देखे संपूर्ण या समग्र क्रांति के सिद्धांत के लिए भी जाना जाता है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का मानना था कि कांति केवल राजनीतिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि नैतिक सांस्कृतिक आर्थिक राजनीतिक हर क्षेत्र में परिवर्तन अर्थात क्रांति की आवश्यकता है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी मानते थे कि हर प्रकार की क्रांति का मूल व्यक्ति है जो कि भारत में हर प्रकार के परिवर्तन का मुखिया भी है।


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