प्रैक्टिस प्रश्न पत्र
2021-2022
कक्षा-XII
टर्म II
विषय: राजनीति विज्ञान अधिकतम अंक
40
समय: 2 घंटे
निर्देश:
1. प्रश्न पत्र में 3 खंड क, ख और ग हैं।
2. खंड क में 2-2 अंकों के 8 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 50 शब्दों
के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
3. खंड ख में 4 अंकों के 3 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 100 शब्दों
में देना चाहिए। मानचित्र के प्रश्न का उत्तर तद्नुसार ही देना चाहिए।
4. खंड ग में 6-6 अंकों के 2 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 170 शब्दों
में देना चाहिए।
(खंड-क)
1. दलबदल
से क्या अभिप्राय है?
2
उत्तर. दलबदल - दलबदल का अर्थ है जब कोई उम्मीदवार किसी
राजनीतिक दल के अंतर्गत चुनाव लड़ता है और चुनाव जीत जाता है उसके बाद यदि वह
उम्मीदवार या प्रतिनिधि अपनी राजनीतिक दल को छोड़कर किसी अन्य दल में अपने
व्यक्तिगत लाभ के लिए शामिल हो जाता है तो इसे दलबदल कहा जाता है।
अथवा
एक
दलीय प्रणाली व बहुदलीय प्रणाली में कोई दो अतंर बताइएI
उत्तर. एक दलीय प्रणाली जब किसी देश में केवल
एक ही राजनीतिक दल विद्यमान होता है और चुनाव लड़ कर सरकार बनाता है तो ऐसे देश को
एक दलीय प्रणाली वाला देश कहा जाता है। एक दलीय प्रणाली में जनता के पास विकल्प
नहीं होते हैं। एक दलीय प्रणाली चीन, रूस और उत्तर कोरिया में देखने को मिलती है।
बहुदलीय प्रणाली जब किसी देश में दो से अधिक
राजनीतिक दल विद्यमान होते हैं और चुनाव लड़ कर सरकार बनाने का प्रयास करते हैं तो
ऐसे देश को बहुत दलीय प्रणाली वाला देश कहा जाता है। बहुदलीय प्रणाली में जनता के
पास एक से अधिक विकल्प होते हैं। बहुदलीय प्रणाली भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में देखने को मिलती है।
2. आसियान शैली क्या है ? 2
उत्तर. आसियान दक्षिण एशिया के देशों का एक
तेजी से विकास करने वाला क्षेत्रीय संगठन है। आसियान ने अनौपचारिक टकराव रहित और
सहयोगात्मक मेल मिलाप का एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है तथा विश्व में यश कमाया
है। इसे ही आसियान शैली से संबोधित किया जाता है। आसियान के कामकाज में राष्ट्रीय
सार्वभौमिकता का सम्मान करना बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है।
3. पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार के सफल ना होने के दो कारण बताइए।
2
उत्तर. पाकिस्तान में लोकतंत्र के सफल होने
के लिए प्रमुख दो कारण इस प्रकार है
1. पाकिस्तान में सेना का हस्तक्षेप या दखल
सरकार के कामकाज में अक्सर देखने को मिलता है और सेना सरकार के कार्यों को
प्रभावित करने का प्रयास करती है जिसका नतीजा हमने कई बार सैन्य शासन के रूप में
देखा भी है।
2. पाकिस्तान में बड़े बड़े भूस्वामी और जमीदार
बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली हैं और ये सरकार के चुने हुए प्रतिनिधियों को प्रभावित
करते हैं तथा सरकार सरकार की नीतियों को अपने अनुसार परिवर्तित करने का प्रयास
करते हैं जो लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ा खतरा माना जाता है।
4. वैश्वीकरण के किंही दो कारणों को उजागर कीजिए। 2
उत्तर. वैश्वीकरण के लिए मुख्य कारण इस
प्रकार हैं
1. विश्व में तकनीकी क्रांति ने वैश्वीकरण को
अनिवार्य बना दिया जिसके कारण विश्व के सभी देश एक दूसरे के निकट आ गए।
2. तेजी से बढ़ते व्यापार की आवश्यकता ने भी
वैश्वीकरण को अनिवार्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
3. विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं और
महामारी के समाधान के लिए भी विश्व के सभी देश एक दूसरे के निकट आए और जुड़े हैं
जिससे वैश्वीकरण संभव हो सका है।
प्रश्न 5. केंद्र में गठबंधन सरकारों का युग कब आरंभ हुआ?
1989 में सरकार बनाने वाले
गठबंधन का नाम क्या था? 2
उत्तर. केंद्र में गठबंधन सरकारों का युग 1989 से माना जाता है। 1989 में राष्ट्रीय मोर्चा ने गठबंधन सरकार बनाई
थी।
प्रश्न 6.चौथे आम चुनाव को राजनीति का भूकंप क्यों कहा गया?2
उत्तर. 1967 के आम चुनाव को राजनीति का भूकंप इसलिए कहा जाता है क्योंकि पहली बार
कांग्रेस पार्टी भारत के 9 राज्यों उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश पंजाब
हरियाणा बिहार पश्चिम बंगाल उड़ीसा मद्रास और केरल में सरकार नहीं बना सकी और उसे
पराजय का सामना करना पड़ा।
प्रश्न 7. 1967 में आसियान (ASEAN) की स्थापना के पीछे क्या उद्देश्य थे? 2
उत्तर. 8
अगस्त को 1967 में आसियान की स्थापना की गई और वर्तमान समय
में इसमें 10 सदस्य हैं। आसियान की स्थापना के पीछे
निम्नलिखित उद्देश्य थे
1. आसियान के सदस्य देशों के मध्य मुक्त व्यापार
को प्रोत्साहित करना और व्यापार में वृद्धि करना।
2. आसियान के सदस्य देशों के मध्य विवाद और तनाव
को दूर करना तथा सहयोग और मेल मिलाप को बढ़ावा देना।
3. संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों को मानना
और उसके सिद्धांतों का प्रचार प्रसार करना।
प्रश्न 8. भारत के पहले 3 आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी के प्रभुत्व के किन्ही दो
कारणों को बताइए। 2
उत्तर. भारत के प्रथम 3
आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व या वर्चस्व रहा था जिसके पीछे
निम्नलिखित कारक जिम्मेदार है 1. प्रथम तीन आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी को सफलता इसलिए प्राप्त हुई क्योंकि
यह एक पुरानी राजनीतिक पार्टी थी और इसकी तुलना में कोई अन्य राजनीतिक दल इससे
पुराना नहीं था।
2. स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस पार्टी के
योगदान के कारण भी लोगों का समर्थन इस पार्टी को मिलता था जिसके कारण है आसानी से
चुनाव जीत जाती थी।
3. कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रव्यापी नेटवर्क या
जाल भी कांग्रेस पार्टी को चुनाव जिताने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
कांग्रेस पार्टी की पहुंच भारत के प्रत्येक भाग तक थी।
4. कांग्रेस पार्टी में उस समय देश के बड़े-बड़े
दिग्गज और प्रभावशाली नेता शामिल थे जैसे कि जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, के कामराज, मोरारजी देसाई, जगजीवन राम, वल्लभभाई पटेल आदि। इन नेताओं के कारण भी कांग्रेस पार्टी को चुनाव जीतने में
आसानी होती थी।
5. भारत के प्रथम तीन आम चुनावों के दौरान उस
समय कोई मजबूत विपक्षी दल उपस्थित नहीं था जिसे कारण कांग्रेस पार्टी को किसी
प्रकार का कोई विशेष विरोध का सामना नहीं करना पड़ता था और इसलिए वह आसानी से
चुनाव जीत जाती थी।
(खंड-ख)
प्रश्न 9. यूरोपीय संघ को प्रभावशाली संगठन बनाने वाले किन्ही चार
कारकों की व्याख्या कीजिए। 4
यूरोपीय
संघ
1. दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने मार्शल
योजना के तहत पश्चिमी यूरोप को आर्थिक मदद देने के लिए यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन
की स्थापना की।
2. यूरोपीय पूंजीवादी देशों के आर्थिक एकीकरण की
प्रक्रिया व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ी और वर्ष 1949 में यूरोपीय परिषद का निर्माण किया गया।
3. यह परिषद आगे चलकर यूरोपीय आर्थिक समुदाय के
रूप में वर्ष 1957 में परिवर्तित हो गई और सोवियत संघ के विघटन
के बाद वर्ष 1992 में मास्ट्रिच संधि के बाद यूरोपीय संघ
स्थापित हुआ।
4. यूरोपीय संघ का अपना एक ध्वज, राष्ट्रगान, स्थापना दिवस और मुद्रा भी है। यूरोपीय संघ
वर्ष 2005 तक विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 2005 में यूरोपीय संघ का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 12 ट्रिलियन डॉलर था।
प्रश्न 10. वैश्वीकरण के किन्ही दो सकारात्मक और किन्ही दो नकारात्मक
प्रभावों को स्पष्ट कीजिए। 4
उत्तर. वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें
वस्तु पूंजी श्रम और विचारों का मुक्त प्रवाह होता है। वैश्वीकरण के संपूर्ण विश्व
पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं जो कि इस प्रकार हैं-
वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव - वैश्वीकरण
के कुछ प्रमुख सकारात्मक प्रभाव इस प्रकार है -
1. वैश्वीकरण के कारण संपूर्ण विश्व में व्यापार
में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली है अर्थात वैश्वीकरण के कारण एक यह लाभ हुआ है
जिसके कारण सभी देशों का व्यापार पहले की तुलना में काफी अधिक हो गया है।
2. वैश्वीकरण के कारण एक प्रभाव यह भी देखने को
मिला है कि इसके कारण लोगों के जीवन स्तर में पहले की तुलना में जबरदस्त बदलाव
देखने को मिला है। लोगों का जीवन स्तर पहले की तुलना में बहुत अधिक अच्छा हुआ है
जो वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।
3. वैश्वीकरण का एक सकारात्मक प्रभाव यह भी
देखने को मिला है कि अब लोगों के समक्ष वस्तुओं के और खाने-पीने के विकल्पों की
संख्या में वृद्धि हो गई है। वैश्वीकरण के पूर्व वस्तु और खाने-पीने के विकल्प
सीमित मात्रा में होते थे।
वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव - वैश्वीकरण
एक बहुआयामी प्रक्रिया है इसके विभिन्न प्रभाव होते हैं। वैश्वीकरण के कुछ
नकारात्मक प्रभाव इस प्रकार है
1. वैश्वीकरण के कारण आर्थिक असमानता में निरंतर
वृद्धि देखने को मिली है। विश्व के कई देशों में वैश्वीकरण के कारण आर्थिक असमानता
बहुत तेजी से बढ़ी है अर्थात अमीर अधिक अमीर होते गए और गरीब अधिक गरीब होते गए
हैं।
2. वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव यह भी देखने
को मिला है कि इसके कारण श्रम और पूंजी का समान प्रवाह नहीं हुआ है अर्थात विकसित
देशों ने पूंजी निवेश में तो फायदा उठाया है लेकिन कठोर वीजा नीति के माध्यम से
श्रम के प्रवाह को रोका है।
3. वैश्वीकरण का एक नकारात्मक प्रभाव यह भी
देखने में आया है कि इसके कारण बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन के कारण
छोटे-छोटे व्यापारियों और कंपनियों को भारी मात्रा में नुकसान उठाना पड़ा है और
लगभग बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं।
प्रश्न 11. नीचे दिए गए मानचित्र में 4 देशों A, B, C और D को दर्शाया गया है। नीचे दी गई जानकारी के आधार पर इन देशों
की पहचान कीजिए और उनके सही नाम, प्रयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या तथा संबंधित अक्षर
तालिका के रूप में अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए। 4
(a) वह देश जिसका निर्माण 1971 में हुआ।
(b) वह देश जहां जातीय संघर्ष हुआ।
(c) वह देश जहां आजादी के बाद अधिकांश समय तक सैनिक शासन रहा।
(d) वह देश जहां विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
उपयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या |
सम्बंधित अक्षर |
राज्य का नाम |
(a) |
|
|
(b) |
|
|
(c) |
|
|
(d) |
|
|
उत्तर.
उपयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या |
सम्बंधित अक्षर |
राज्य का नाम |
(a) |
A |
बांग्लादेश |
(b) |
C |
श्रीलंका |
(c) |
D |
पाकिस्तान |
(d) |
B |
भारत |
यह प्रश्न केवल प्रश्न संख्या 11 के स्थान पर दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के
लिए है।
11 (A). नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना पर टिप्पणी लिखिए। 4
उत्तर. नेपाल दक्षिण एशिया एशिया का एक छोटा
सा शांतिप्रिय देश है। नेपाल में प्रारंभ से ही राजतंत्र स्थापित रहा था लेकिन
1990 के बाद से नेपाल में लोकतंत्र की मांग शुरू हो गई थी जोकि वर्ष 2006 में जाकर
पूर्ण हुई। नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना की प्रक्रिया को हम निम्नलिखित बिंदुओं
के माध्यम से समझ सकते हैं
1. नेपाल में संवैधानिक राजतंत्र स्थापित था
और देश में लोग अधिक खुले और उत्तरदाई शासन की मांग करते रहे थे लेकिन राजा ने
सेना की मदद से शासन पर पूरा नियंत्रण कर लिया था और लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित
नहीं होने दी थी।
2. वर्ष 1990 में नेपाल में लोकतंत्र के
समर्थन में आंदोलन शुरू हुआ और इस आंदोलन के कारण राजा ने संविधान की मांग को मान
लिया तथा वहीं दूसरी तरफ नेपाल में माओवादियों ने अपना प्रभाव जमाना शुरू कर दिया
था।
3. माओवादी राजा और सत्ताधारी अभिजन के विरोध
में थे। इसलिए राजा की सेना, माओवादियों और लोकतंत्र समर्थकों के बीच
त्रिकोणीय संघर्ष हुआ जिसके परिणाम स्वरूप वर्ष 2002 में राजा ने संसद को भंग कर
दिया और सरकार को बर्खास्त कर दिया।
4. वर्ष 2006 में नेपाल में देशव्यापी
लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन हुए और लोकतंत्र के समर्थकों को तब पहली जीत
प्राप्त हुई जब राजा ज्ञानेंद्र ने संसद को पुनः बहाल कर दिया जिसे की वर्ष 2002
में भंग कर दिया गया था इस आंदोलन का नेतृत्व 7 दलों ने मिलकर किया।
5. नेपाल में 2008 में राजतंत्र पर पूरी तरह
से समाप्त कर दिया गया और नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया तथा
वर्ष 2015 में नेपाल में नए संविधान को भी अपना लिया गया है। माओवादियों ने संघर्ष
का रास्ता छोड़कर सरकार में अपना प्रतिनिधित्व स्वीकार कर लिया है और नेपाल के
विकास के लिए समर्पण की भावना दिखाई है।
(खंड-ग)
प्रश्न 12. 25 जून 1975 को भारत में लागू किए गए राष्ट्रीय आपातकाल के किन्हीं 6 परिणामों को लिखो। 6
उत्तर. 25 जून 1975 को भारत में आंतरिक अशांति के नाम पर
आपातकाल की घोषणा की गई थी। इस राष्ट्रीय आपातकाल के विभिन्न परिणाम देखने को मिले
थे जो कि इस प्रकार है
1. आपातकाल की घोषणा के बाद जितने भी विपक्षी
नेता थे उन सभी को जेल में डाल दिया गया और इस तरह से सरकार ने अपने सभी विपक्षी
नेताओं को अपने रास्ते से हटाने का प्रयास किया।
2. आपातकाल की घोषणा के बाद देश में प्रेस पर
सेंसरशिप लगा दी गई इसका अर्थ यह था कि अब कोई भी समाचार पत्र या न्यूज़ चैनल किसी
भी प्रकार की कोई न्यूज़ या समाचार बिना सरकार की आज्ञा के प्रकाशित नहीं कर सकता
था।
3. आपातकाल की घोषणा के बाद यह भी देखने में आया
कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जमात-ए-इस्लामी नामक संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया
गया और इन्हें किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि करने से रोक दिया गया।
4. देश में किसी भी प्रकार की कोई भी धरना, प्रदर्शन या हड़ताल पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई। आपातकाल की घोषणा के
परिणाम स्वरूप अब इस प्रकार की कोई भी गतिविधि पूरी तरह से प्रतिबंधित थी।
5. आपातकाल की घोषणा का एक प्रभाव यह भी देखने
को मिला कि नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार स्थगित कर दिए गए और मौलिक अधिकार
निष्प्रभावी हो गए।
6. सरकार ने निवारक नजरबंदी कानून के द्वारा
राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया और इस कानून के तहत बहुत से लोगों को
नजरबंद भी किया।
7. आपातकाल की घोषणा के बाद देश में इंडियन
एक्सप्रेस और स्टेट्समैन अखबारों को जिन समाचारों को छापने से रोका जाता था वे
उनकी खाली जगह छोड़ देते थे और इस तरह से यह समाचार पत्र अपना विरोध दर्शाते थे।
8. आपातकाल की घोषणा के बाद सेमिनार और मेन
स्ट्रीम जैसी पत्रिकाओं ने अपनी प्रकाशन बंद कर दिया।
9. आपातकाल की घोषणा के बाद कन्नड़ लेखक शिवराम
कारत और हिंदी लेखक फणीश्वर नाथ रेणु ने आपातकाल के विरोध में अपनी पदवी सरकार को
वापस लौटा दी।
10. 42वें संविधान संशोधन (1976) के माध्यम से अनेक परिवर्तन संविधान में किए गए हैं जैसे कि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति
और उपराष्ट्रपति पद के निर्वाचन से संबंधित किसी भी विवाद को अदालत में चुनौती
नहीं दी जा सकती थी और विधायिका के कार्यकाल को 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया था।
अथवा
प्रश्न. ऐसे किन्हीं तीन मुद्दों को उजागर कीजिए जिस के
संबंध में भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों के बीच व्यापक सहमति बनी है।
उत्तर. हम अक्सर ऐसा देखते हैं कि
लोकतांत्रिक राजनीति में राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष और वाद विवाद का एक वातावरण
देखने को मिलता है और सभी राजनीतिक दल एक दूसरे का विरोध करते नजर आते हैं। भारत
में भी यह सामान्य तौर पर देखने में आता है लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन पर सभी
राजनीतिक दल लगभग सहमत हैं। ऐसे कुछ प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं
1. अनुसूचित जाति और जनजाति तथा पिछड़ा
वर्गों के प्रतिनिधित्व : भारत में हमने देखा है कि सभी राजनीतिक दल इस बात पर
पूरी तरह से सहमत हैं कि अनुसूचित जाति और जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों
का भारतीय राजनीतिक प्रक्रिया में चाहे वह किसी भी प्रकार से हो, भागीदारी को बढ़ाया जा सके। सभी राजनीतिक दल यह चाहते हैं कि भारतीय राजनीति
में इन वर्गों का समान प्रतिनिधित्व प्राप्त हो और इन वर्गों के लोगों की भागीदारी
शासन में बढ़े।
2. नई आर्थिक नीति : भारत में वर्ष 1991 में
नई आर्थिक नीति को अपनाया गया था और इस नीति के माध्यम से वैश्वीकरण उदारीकरण और
निजी करण जैसी प्रक्रिया को भारतीय अर्थव्यवस्था में शामिल किया गया था। नई आर्थिक
नीति का उद्देश्य भारत में तीव्र गति से आर्थिक विकास को बढ़ाना था और भारत में
निवेश की संभावनाओं को बढ़ाना तथा व्यापार में तेजी से वृद्धि करना भी इसका लक्ष्य
था। भारत के अधिकांश राजनीतिक दल इस बात से पूरी तरह से सहमत हैं कि भारत के तीव्र
आर्थिक विकास के लिए नई आर्थिक नीति आवश्यक है और इस दिशा में उचित कार्य करने की
निरंतर आवश्यकता भी है।
3. क्षेत्रीय दलों का महत्व : भारत के
अधिकांश राजनीतिक दल इस बात पर भी सहमत हैं कि सरकार निर्माण में क्षेत्रीय दलों
का काफी विशेष महत्व होता है और यह महत्व केंद्र में 1989 से बहुत अधिक बढ़ गया
है। सभी राजनीतिक दल जय मानते हैं कि इन क्षेत्रीय दलों को विशेष महत्व देना ही
होगा क्योंकि सरकार के निर्माण में चाहे वह राज्य स्तर पर हो या केंद्र स्तर पर, विशेष भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 13. किस प्रकार सिंडिकेट और इंदिरा गांधी के बीच परस्पर गुटबाजी
के परिणाम स्वरूप 1969 में कांग्रेस का विभाजन हुआ। 6
उत्तर. वर्ष 1969 में कांग्रेस का विभाजन हो गया था और इसके पीछे इंदिरा गांधी तथा सिंडीकेट के
बीच व्यापक मतभेद एक प्रमुख कारक था। 1969 में हुए कांग्रेस पार्टी के विभाजन को हम
इंदिरा गांधी और सिंडिकेट के गुटबाजी का परिणाम कह सकते हैं। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के लिए निम्नलिखित परिस्थितियां उत्तरदाई थी
1. 1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन के लिए एक
महत्वपूर्ण कारक यह भी था कि इंदिरा गांधी सिंडिकेट नेताओं को पर्याप्त महत्व नहीं
देती थी जिसके कारण सिंडिकेट के नेता इंदिरा गांधी से नाराज रहते थे और अंततः 1969 में कांग्रेस पार्टी की विभाजन के बाद यह नाराजगी दूर हो पाई।
2. 1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन के पीछे
इंदिरा गांधी की समाजवादी नीतियां भी जिम्मेदार कारक रही हैं। इंदिरा गांधी इन
समाजवादी नीतियों को लागू करना चाहती थी जबकि सिंडिकेट की राय उनसे बिल्कुल अलग
थी।
3. 1969 में कांग्रेस पार्टी का विभाजन इसलिए भी हुआ
क्योंकि सिंडीकेट के नेताओं और युवा नेताओं में काफी मतभेद देखने को मिल रहे थे।
सिंडिकेट के प्रभावशाली और अनुभवशाली नेताओं के बीच काफी गहरा मनमुटाव हो गया था
और दोनों ही एक दूसरे की राय से सहमत नहीं थे।
4. इंदिरा गांधी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करना
चाहती थी और उन्होंने 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण भी किया था
लेकिन बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लिए सिंडिकेट नेताओं के साथ इंदिरा गांधी की
सहमति नहीं थी और सिंडिकेट नेता इंदिरा गांधी के इस निर्णय से संतुष्ट नहीं थे।
5. भारत में आजादी के बाद देसी रियासतों के
राजाओं को कुछ विशेषाधिकार दिए गए थे जिन्हें प्रिवी पर्स कहा जाता है। इंदिरा
गांधी इस विशेषाधिकार नियम अर्थात प्रिवी पर्स को समाप्त करना चाहती थी लेकिन
तत्कालीन विदेश मंत्री मोरारजी देसाई इस बात पर सहमत नहीं थे कि प्रिवी पर्स को
समाप्त किया जाए।
6. वर्ष 1969 में देश में राष्ट्रपति पद के चुनाव आयोजित
होने थे और इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से आधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी
थे। सभी इस बात से आश्वस्त थे कि नीलम संजीवा रेड्डी आसानी से चुनाव जीत जाएंगे और
देश के राष्ट्रपति बन जाएंगे लेकिन इंदिरा गांधी के एक बयान से जिसमें उन्होंने
वीवी गिरी को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया था, राष्ट्रपति चुनाव जितवा दिया जिसके बाद कांग्रेस पार्टी का विभाजन अवश्यंभावी
हो गया।
7. इंदिरा गांधी का कांग्रेस पार्टी से निष्कासन
अंततः कांग्रेस पार्टी के विभाजन का अंतिम कारण बना। सिंडिकेट ने राष्ट्रपति पद के
चुनाव के बाद इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर दिया और इस तरह से
कांग्रेस पार्टी दो भागों में विभाजित हो गई जिसमें कॉन्ग्रेस (R) का प्रतिनिधित्व इंदिरा गांधी कर रही थी और कॉन्ग्रेस (O) का प्रतिनिधित्व सिंडिकेट कर रहे थे।
अथवा
प्रश्न 13. चीनी
अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए उत्तरदाई कारकों की व्याख्या कीजिए। 6
उत्तर. चीन वर्तमान समय में विश्व की सबसे
बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। चीन बहुत तेजी से आर्थिक विकास करता जा रहा है
और एक अनुमान के अनुसार आने वाले कुछ वर्षों में यह विश्व की सबसे बड़ी और विकसित
अर्थव्यवस्था बन जाएगा। चीनी अर्थव्यवस्था के उन्नति के लिए कुछ कारक इस प्रकार
जिम्मेदार हैं
1. चीन ने वर्ष 1972 में अमेरिका से अपने
संबंधों को अच्छा करने का प्रयास किया तथा अपने राजनीतिक और आर्थिक एकांतवास को
समाप्त किया और इस नीति से चीन ने अपने आर्थिक विकास को काफी तेजी से आगे बढ़ाया।
2. वर्ष 1973 में प्रधानमंत्री चाउ एन लाई ने
कृषि उद्योग सेवा और विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार
प्रस्ताव रखें। इस आधुनिकीकरण के प्रस्ताव के बाद चीन ने अपना विकास काफी तेजी से
करना शुरू किया।
3. चीन का आर्थिक विकास वर्ष 1978 में डेंग
शियाओपिंग के द्वारा आर्थिक सुधार और खुले द्वार की नीति के बाद काफी तेजी से होना
शुरू हुआ। वर्ष 1978 की खुले द्वार की नीति ने चीन के आर्थिक विकास की गति को काफी
तेजी से बढ़ाना शुरू किया और उसके परिणाम हम आज भी देख रहे हैं।
4. वर्ष 1982 में चीन में खेती का निजीकरण कर
दिया गया और इसके कारण चीन में कृषि के क्षेत्र में काफी तेजी से विकास देखने को
मिला जिसने देश के विकास में भी काफी योगदान दिया।
5. वर्ष 1998 में चीन में उद्योगों का
निजीकरण किया गया। इसके साथ ही चीन में विशेष आर्थिक जोन बनाए गए जिनका उद्देश्य
विदेशी निवेश को बढ़ावा देना था और देश के विकास को तीव्र करना था।
6. चीन ने अपने आर्थिक विकास को बढ़ाने के
लिए वर्ष 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने का निर्णय लिया और इस तरह
से चीन ने अपने अर्थव्यवस्था को विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ जोड़ने का एक
विशेष कार्य किया जिसका फायदा उसे तीव्र आर्थिक विकास के रूप में देखने को मिला।
March 10, 2022 at 10:51 AM
Very complecated Question and answer