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  • CLASS: X
    SUBJECT: SOCIAL SCIENCE
    WORKSHEET SOLUTION: 74
    DATE: 27/01/2022

    SOLUTIONS

    अध्याय -3 : भारत में राष्ट्रवाद

    जनवरी 1921 में असहयोग आंदोलन के शुरू होने के बाद इस आंदोलन में विभिन्न सामाजिक सनूहों ने अपनी अपनी आकांक्षाओं के साथ इसमें भाग लिया। सभी ने स्वराज के आह्वान को स्वीकार तो किया लेकिन उनके लिए उसके अर्थ अलग-अलग थे। इस कार्यपत्रक में हम कस्बों/शहरों में लोगों की भागीदारी के बारे में पढ़ेंगे।

    कस्बों/शहरों में असहयोग आन्दोलन

    विभिन्न वर्गों की भागीदारी:आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई। हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिया। हेड मास्टर और शिक्षकों ने इस्तीफा सौंप दिया। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। ज्यादातर प्रांतों में परिषद चुनाव का बहिष्कार किया गया।

    विदेशी वस्तुओं पर प्रभाव:विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था। उसकी कीमत 102 करोड से घटकर 57 करोड रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने से इंकार कर दिया और लोग आयातित कपड़े को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे। परिणामस्वरूप भारतीय कपड़ा मिलो और अधिकारों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।

    आंदोलन का धीमा पड़ना:कुछ समय बाद शहरों में यह आंदोलन कई कारणों से धीमा पड़ने लगा

    1. खादी का कपड़ा मिलो में भारी पैमाने पर बनने वाले कपड़ों के मुकाबले प्रायः महंगा होता था और गरीब उसे खरीद नहीं सकते थे।

    2. ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार में समस्या पैदा हो गई। वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना तेजी से नहीं हो पाई। फल स्वरूप विद्यार्थियों और शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में लौटना शुरू कर दिया और वकील दोबारा सरकारी अदालतों में जाने लगे।

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    प्रश्न 1. कस्बों/शहरों में विभिन्न समूहों ने असहयोग आंदोलन किस प्रकार भाग लियायह आंदोलन क्यों धीमा पड़ गया ?

    उत्तर. विभिन्न वर्गों की भागीदारी:आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई। हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिया। हेड मास्टर और शिक्षकों ने इस्तीफा सौंप दिया। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। ज्यादातर प्रांतों में परिषद चुनाव का बहिष्कार किया गया।

    आंदोलन का धीमा पड़ना कुछ समय बाद शहरों में यह आंदोलन कई कारणों से धीमा पड़ने लगा

    1. खादी का कपड़ा मिलो में भारी पैमाने पर बनने वाले कपड़ों के मुकाबले प्रायः महंगा होता था और गरीब उसे खरीद नहीं सकते थे।

    2. ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार में समस्या पैदा हो गई। वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना तेजी से नहीं हो पाई। फल स्वरूप विद्यार्थियों और शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में लौटना शुरू कर दिया और वकील दोबारा सरकारी अदालतों में जाने लगे।


    प्रश्न 2. अगर आप असहयोग आंदोलन के दौरान एक विद्यार्थी होते तो आप इसमें किस प्रकार भाग लेते ?

    उत्तर. यदि हम असहयोग आंदोलन के दौरान एक विद्यार्थी होते तो हम गांधीजी के असहयोग आंदोलन में अपनी पूरी भागीदारी निभाते और ब्रिटिश सरकार के स्कूलों का बहिष्कार कर देते। अपने घर के आस-पास और अपने परिचितों को भी गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करते।

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