PRE-BOARD EXAM TERM-II EVENING SHIFT POLITICAL SCIENCE SOLVED PAPER HINDI MEDIUM CLASS-XII (2021-2022)
PRE-BOARD EXAMINATION-II (2021-22)
(Evening Shift)
(SOLVED QUESTION PAPER)
CLASS-XII
TERM II
SUBJECT: POLITICAL
SCIENCE (028)
Time
Allowed: 2 Hours Maximum Marks : 40
समय : 2 घंटे अधिकतम अंक : 40
निर्देश:
1. प्रश्न पत्र में 3 खंड
क, ख और ग हैं।
2. खंड क में 2-2 अंकों
के 8 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 50 शब्दों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
3. खंड ख में 4 अंकों
के 3 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 100 शब्दों में देना चाहिए। मानचित्र के प्रश्न का उत्तर तद्नुसार ही देना
चाहिए।
4. खंड ग में 6-6 अंकों
के 2 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 170 शब्दों में देना चाहिए।
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(Section-A)
प्रश्न 1. "सत्ता के नए केंद्र" के किन्हीं चार संगठनों के नाम
लिखिए। 2
उत्तर. सत्ता के चार प्रमुख संगठन के नाम इस
प्रकार है -
1. यूरोपीय संघ, 2. आसियान, 3. दक्षेस 4. ब्रिक्स।
अथवा
यूरोपीय संघ के गठन के कोई चार उद्देश्य लिखिए। 1/2x4=2
उत्तर. यूरोपीय संघ के गठन के प्रमुख
उद्देश्य निम्नलिखित है
1. एक समान विदेश नीति और सुरक्षा नीति बनाना।
2. सदस्य देशों के आंतरिक मामलों और न्याय से
संबंधित विषयों पर सहयोग करना।
3. सदस्य देशों के मध्य एक समान मुद्रा का चलन।
4. सदस्य देशों के मध्य वीजा मुक्त आवागमन
प्रदान करना।
5. सभी सदस्यों के मध्य आर्थिक संबंधों को मजबूत
करना और आपसी आर्थिक संबंधों को मधुर बनाना।
प्रश्न 2. आसियान की स्थापना क्यों की गई थी? 2
उत्तर. 8
अगस्त 1967 को आसियान की स्थापना के पीछे निम्नलिखित
उद्देश्य थे-
1. सभी सदस्यों के आर्थिक विकास को तीव्र गति से
बढ़ाना।
2. संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों और
उद्देश्यों का विस्तार करना।
3. सभी सदस्यों के मध्य शांति व्यवस्था बनाए
रखना और विवादों को दूर करना।
4. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत का एक मंच
प्रदान करना और वैश्विक शांति के प्रयास करना।
5. सभी सदस्य देशों के मध्य मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।
प्रश्न 3. WSF का पूर्ण रुप लिखिए। इसके कौन - कौन से कार्य होते हैं ? 2
उत्तर. W.S.F. का पूर्ण रूप World Social Forum (वर्ल्ड
सोशल फोरम)
है। यह नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच है। यह मंच
निम्नलिखित कार्यकर्ता है -
1. यह मंच मानव अधिकार के लिए कार्य करता है।
2. वैश्विक स्तर पर पर्यावरण सुरक्षा के लिए
कार्य करता है।
3. मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए भी यह मंच
कार्यकर्ता है।
4. महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के संदर्भ में भी यह मंच कार्यकर्ता है।
प्रश्न 4. गठबंधन सरकार के बारे में आप क्या जानते हैं? 2
उत्तर. गठबंधन सरकार - जब किसी लोकतांत्रिक देश में किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव के परिणामों के बाद बहुमत प्राप्त नहीं होता है तब ऐसे में दो या दो से अधिक दल मिलकर कुछ मुद्दों पर सहमत होकर जिस सरकार का निर्माण करते हैं उसे गठबंधन सरकार कहा जाता है।
प्रश्न 5. वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों का वर्णन कीजिए। 2
उत्तर. वैश्वीकरण के कुछ प्रमुख आर्थिक
प्रभाव इस प्रकार है -
1. वैश्वीकरण के कारण आयात प्रतिबंधों में कमी
देखने को मिली है।
2. वैश्वीकरण के कारण विश्व में व्यापार में
बहुत अधिक वृद्धि हुई है।
3. वैश्वीकरण के कारण आर्थिक असमानता में भी
वृद्धि हुई है।
प्रश्न 6. "साफ्टा" (SAFTA) का शाब्दिक अर्थ लिखिए तथा इसके किन्हीं दो उद्देश्यों का
वर्णन कीजिए। 2
उत्तर. साफ्टा (SAFTA) का शाब्दिक अर्थ है - दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता। साफ्टा (SAFTA) के दो प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं -
1. इस समझौते का उद्देश्य मुक्त व्यापार के
क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करना है।
2. व्यापार एवं शुल्क प्रतिबंधों को न्यूनतम या
समाप्त करना है।
प्रश्न 7. राष्ट्रीय आपातकाल से क्या अभिप्राय है?
भारत में 18 माह का राष्ट्रीय आपातकाल कब और किस अनुच्छेद के अंतर्गत
लगाया गया था? 2
उत्तर. राष्ट्रीय आपातकाल - जब किसी देश पर बाहरी आक्रमण
होने या सशस्त्र विद्रोह होने की स्थिति की संभावना हो तब देश में राष्ट्रीय
आपातकाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत लगाया जाता है। 25 जून 1975 को अनुच्छेद 352 के तहत भारत में आंतरिक अशांति के नाम पर राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था। यह
आपातकाल 18 महीने तक लागू रहा था।
प्रश्न 8. नई आर्थिक नीति से क्या अभिप्राय है? 2
उत्तर. नई आर्थिक नीति - भारत में आर्थिक सुधारों के लिए वर्ष 1991 में नई आर्थिक नीति की घोषणा की गई। इस नीति के माध्यम से उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण को अपनाया गया। वर्ष 1991 में पी वी नरसिम्हा राव की सरकार ने वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में नई आर्थिक नीति की घोषणा की और यह नीति उसके बाद से लगातार चली आ रही है।
(Section-B)
प्रश्न 9. क्या वर्तमान समय में "आसियान" प्रासंगिक है?
स्पष्ट कीजिए। 4
उत्तर. आसियान की स्थापना 8
अगस्त 1967 को बैंकॉक घोषणा पत्र के माध्यम से 5
देशों ने की थी। वर्तमान समय में भी आसियान एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन
बना हुआ है। आसियान की वर्तमान प्रासंगिकता को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से
समझ सकते हैं -
1. आसियान वर्तमान समय में निवेश श्रम सेवाओं के
मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर कार्य कर रहा है और इस ने इस क्षेत्र
में बहुत सफलता भी प्राप्त की है।
2. आसियान की प्रासंगिकता को हम इस तरह से भी
देख सकते हैं कि चीन और भारत जैसी तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था है आसियान के
साथ व्यापार और निवेश बहुत हद तक रुचि दिखा रहे हैं।
3. आसियान शैली के माध्यम से जिस तरह से आशियाने
प्रसिद्धि प्राप्त की है वास्तव में वर्तमान समय में भी उसकी नितांत आवश्यकता है
जिससे कि विश्व में शांति और सुरक्षा का वातावरण बना रहे।
4. आसियान ने कई बार अपने मंच के माध्यम से
विश्व की शक्तियों को राजनीतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा करने के लिए मंच प्रदान
किया है और इस तरह के मंच की आवश्यकता सदैव रहती है।
5. आसियान संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों और उद्देश्यों में विश्वास रखता है और उसके प्रचार-प्रसार के लिए कार्य भी करता है और इस तरह के क्षेत्रीय संगठनों की हमें आवश्यकता भी है जो इस तरह के कार्य को संपन्न करते हैं।
प्रश्न 10. एकात्मक मानववाद क्या है?
इस विचार का प्रतिपादन
किसने किया? समझाइए। 4
उत्तर. एकात्मक मानववाद - एकात्मक मानववाद एक ऐसे
संकल्पना या विचारधारा है जिसके अंतर्गत स्वदेशी सामाजिक आर्थिक प्रतिमान का
प्रतिपादन किया गया है और इसके अंतर्गत मनुष्य ही विकास का एकमात्र केंद्र है।
व्यक्ति तथा समाज की आवश्यकताओं के मध्य एक समन्वय स्थापित करते हुए प्रत्येक
व्यक्ति के लिए सम्मान पूर्वक और गरिमामय जीवन सुनिश्चित करना आवश्यक होता है और
होना भी चाहिए।
एकात्मक मानववाद प्राकृतिक संसाधनों के संपोषित उपभोग का समर्थन करता है जिससे इन संसाधनों की पुनः पूर्ति कर सकें। एकात्मक मानववाद की संकल्पना का प्रतिपादन पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा किया गया था जो कि एक महान दार्शनिक, समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री तथा राजनीतिज्ञ भी थे।
प्रश्न 11. दक्षिण एशिया के दिए गए राजनीतिक मानचित्र में,
चार देशों को (A),
(B), (C) और (D)
के रूप में चिन्हित
किया गया है। नीचे दी गई जानकारी के आधार पर इन देशों की पहचान करें और अपनी उत्तर
पुस्तिका में उनके सही नाम के साथ-साथ उपयोग की गई जानकारी के संबंधित क्रम संख्या
और संबंधित अक्षर निम्नानुसार प्रारूप के अनुसार लिखें – 4x1=4
(i) वह देश जहां सार्क का मुख्यालय है।
(ii) वह देश जहां तेरवा सार्क शिखर सम्मेलन हुआ।
(iii) 2005 में किस देश को सार्क में शामिल करने की सहमति बनी।
(iv) 2016 में भारत ने जिस देश के साथ सम्मेलन का बहिष्कार किया।
उपयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या |
सम्बंधित अक्षर |
देश का नाम |
(i) |
|
|
(ii) |
|
|
(iii) |
|
|
(iv) |
|
|
उत्तर.
उपयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या |
सम्बंधित अक्षर |
देश का नाम |
(i) |
B |
नेपाल |
(ii) |
A |
बांग्लादेश |
(iii) |
C |
अफगानिस्तान |
(iv) |
D |
पाकिस्तान |
ध्यान दें : यह प्रश्न केवल दृष्टिबाधित परीक्षार्थियों के
लिए है।
प्रश्न 11.(a) "कांग्रेस की प्रकृति एक सामाजिक और विचाराधातमक गठबंधन की
थी।" सिद्ध कीजिए। 4
उत्तर. कॉन्ग्रेस पार्टी भारत की सबसे पुरानी
राजनीतिक पार्टी में से एक है। इस राजनीतिक दल ने भारत की आजादी में भी एक
महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। प्रारंभ से ही कांग्रेस की प्रकृति एक सामाजिक और
विचाराधात्मक गठबंधन की थी जिसे हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं
-
1. कॉन्ग्रेस पार्टी में किसान और उद्योगपति, शहर के नागरिक और गांव के मजदूर तथा मालिक और इसके साथ ही मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग और उच्च वर्ग तथा सभी जाति समूहों के लोगों को जगह प्राप्त हुई।
2. कॉन्ग्रेस पार्टी में हमने देखा कि इसके अंदर
गरम पंथी और नरमपंथी तथा दक्षिणपंथी और वामपंथी और इसके साथ ही मध्यम मार्ग को भी
सम्मिलित किया गया इस प्रकार से यह एक मिली-जुली सामाजिक और विभिन्न विचारों को
साथ लेकर चलने वाली पार्टी रही थी।
3. कॉन्ग्रेस पार्टी की इस सामाजिक और सबको साथ
लेकर चलने वाली नीति ने कांग्रेस को बहुत ही जबरदस्त सफलता दिलवाई और उस समय
विपक्षी दलों के लिए एक भारी भरकम चुनौती प्रस्तुत की।
4. कॉन्ग्रेस पार्टी के अंतर्गत विभिन्न समूहों
के वर्गो का प्रतिनिधित्व प्राप्त होता था और महिलाएं भी कांग्रेस पार्टी में
बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी निभाती थी और अपने अपने विचारों तथा विचारधाराओं को
कांग्रेस पार्टी के माध्यम से प्रस्तुत कर पाती थीं।
(Section-C)
प्रश्न 12.दक्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार
करने में दक्षेश (सार्क)की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।6
उत्तर. सार्क अर्थात दक्षेस की स्थापना
दिसंबर 1985 में दक्षिण एशिया के देशों के मध्य आर्थिक
संबंधों और शांति व्यवस्था बनाए रखने और उसमें वृद्धि करने के लिए की गई थी।
वर्तमान समय में सार्क में 8 सदस्य हैं। दक्षिण एशिया के देशों के बीच
आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस ने बहुत कार्य किया है जिसे हम लिखित
बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -
1. सार्क ने जनवरी 2004 में आयोजित अपने 12वीं शिखर सम्मेलन में दक्षिणी से मुक्त
व्यापार समझौता जिसे हम साफ्टा भी कहते हैं पर हस्ताक्षर किए और इसे जनवरी 2006 से लागू भी किया।
2. दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता का मुख्य
उद्देश्य दक्षिण एशिया के देशों में मुक्त व्यापार के क्षेत्र में आने वाली बाधाओं
को दूर करना और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना है।
3. सार्क ने दक्षिण एशिया में व्यापार तथा
प्रसून को प्रतिबंधों के सभी प्रकारों को समाप्त करने का प्रयास करते हुए एक नई
उदार नीति अपनाई है जिससे सभी सदस्य देशों को लाभ प्राप्त हुआ है।
4. सार्क के सदस्य देशों ने बिम्सटेक (BIMSTEC) का गठन करके बंगाल की खाड़ी के पहुंचे त्रि तकनीकी और आर्थिक सहयोग उपक्रम को
स्थापित किया है जिसके माध्यम से व्यापार और निवेश में वृद्धि हुई है।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि सार्क ने
दक्षिण एशियाई देशों के बीच आर्थिक सहयोग में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आलोचना
: सार्क
ने अपने प्रयासों के माध्यम से दक्षिण एशिया के देशों के बीच मुक्त व्यापार और
आर्थिक सहयोग स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन इसमें अभी भी
बहुत सी कमियां है जिन्हें हम इस प्रकार समझ सकते हैं -
1. सार्क के सदस्य देशों के बीच आपसी मतभेदों के
कारण सार्क के उद्देश्यों में सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही है जिनमें भारत और
पाकिस्तान के बीच मनमुटाव इसके आर्थिक उद्देश्यों को असफल करता जा रहा है।
2. सार्क को विश्व के अन्य क्षेत्रीय संगठनों के
मां की भांति अपनी भूमिका को और अधिक व्यापक बनाना होगा जिससे कि यह अपने आर्थिक
उद्देश्य को सफल कर सके वर्तमान समय में इसे अपने उद्देश्यों को सफलता प्राप्त
करने में कठिनाई हो रही है।
3. शार्क को यूरोपीय संघ की भांति अपना झंडा, अपना गीत और अपनी स्थापना दिवस के साथ-साथ अपनी एक मुद्रा को भी जारी करना
होगा जिससे कि इसका प्रभाव व्यापक स्तर पर हो सके।
4. दक्षिण एशिया के देशों के बीच कई प्रकार के
मतभेद देखने को मिलते हैं और इन मतभेदों का स्पष्ट प्रभाव सार्क के उद्देश्यों के
असफल होने में दिखता भी है यदि सार्क को अपने उद्देश्यों में सफलता प्राप्त करनी
है तो इसे इन मतभेदों को दूर करना होगा।
अथवा
सार्क के सदस्य देश मालदीव के विषय में आप क्या जानते हैं?
भारत-मालदीव के बीच
संबंधों का वर्णन कीजिए। 2+4=6
उत्तर. मालदीव : मालदीव दक्षिण एशिया का एक छोटा सा
द्वीपीय देश है। यह भारत का एक पड़ोसी देश भी है तथा सार्क का सदस्य देश भी है।
मालदीव में वर्ष 1968 तक सल्तनत का शासन स्थापित था इसके बाद यहां
पर गणतंत्र शासन व्यवस्था को अपनाया गया और अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली स्थापित की
गई। जून 2005 में मालदीव ने लोकतंत्र की बहू दलीय
राजनीतिक प्रणाली को अपनाया और लोकतंत्र को वास्तविक रूप में स्थापित किया।
एम.डी.पी. राजनीतिक दल का मालदीव के राजनीतिक मामलों में प्रभुत्व और नियंत्रण है।
मालदीव
और भारत के संबंध : भारत और मालदीव के मध्य बहुत ही मधुर और अच्छे संबंध हैं दोनों ही देश
शांतिप्रिय देश हैं और दोनों ही देशों के राजनीतिक उद्देश्य समान हैं। भारत और
मालदीव के संबंधों को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -
1. वर्ष 1988 में भारत ने मालदीव में अपनी सेना भेजी थी
जिससे कि वहां पर सैनिक षड्यंत्र सफल ना हो सके और इस तरह से भारत ने मालदीव की
सहायता की थी।
2. भारत और मालदीव के मध्य व्यापारिक और आर्थिक
संबंध भी बहुत अच्छे हैं दोनों देशों के बीच बहुत ही वस्तुओं का व्यापार होता है।
3. भारत ने मालदीव की आर्थिक विकास, पर्यटन और मत्स्य उद्योग में भी विशेष सहायता की है।
4. भारत और मालदीव ने वर्ष 2020 में चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जो यह दर्शाते हैं कि दोनों देशों के बीच बहुत ही मधुर और अच्छे संबंध अभी भी स्थापित है।
प्रश्न 13. गठबंधन सरकारों के उदय के किन्हीं तीन कारकों का वर्णन
कीजिए।6
उत्तर. गठबंधन सरकार : जब किसी राजनीतिक दल को चुनाव के
परिणाम के बाद स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो पाता है तब ऐसे में दो या दो से अधिक
राजनीतिक दल मिलकर सरकार बनाते हैं जिसे गठबंधन सरकार कहते हैं। भारत में गठबंधन
सरकार के उदय के लिए कुछ प्रमुख कारक किस प्रकार हैं -
1. राष्ट्रीय
राजनीतिक दलों का कमजोर होना : भारतीय राजनीति में 1980 के दशक के बाद से यह देखने में आया कि
राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक दल अपेक्षाकृत कमजोर होने लगे और इसके लिए कई सारे
कारक जिम्मेदार भी थे जैसा कि आपस में फूट पड़ना और नेताओं का एकमत ना होना जिसके
कारण राजनीतिक दल काफी कमजोर हो गए। इसके परिणाम स्वरूप लोकसभा चुनाव में किसी भी
पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो पाया और उन्हें सरकार बनाने के लिए विभिन्न
प्रकार के क्षेत्रीय दलों की सहायता लेनी पड़ी। इसलिए हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय
राजनीतिक दलों का कमजोर होना भारत में गठबंधन की राजनीति का एक प्रमुख कारक है।
2. क्षेत्रीय
राजनीतिक दलों का उदय और महत्व : 1980 के दशक में भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय
राजनीतिक दलों के उदय का दौर शुरू हुआ और धीरे-धीरे इन क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने
अपने-अपने क्षेत्रों में विशेष प्रभाव स्थापित कर लिया और इसके लिए इन्हें
अनुसूचित जाति जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के मुद्दों ने सहायता की। क्षेत्रीय
राजनीतिक दलों ने अपने प्रभाव के कारण लोकसभा चुनावों में जनमत को प्रभावित किया
और कुछ सीटें भी प्राप्त की जिनका सरकार के निर्माण में काफी महत्व रहा और इन
राजनीतिक दलों ने सरकार निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना प्रारंभ किया।
3. अवसरवादी राजनीति का उदय : भारतीय राजनीति में 1990 के बाद से सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक बदलाव देखने को मिले हैं जिनमें जातिगत राजनीति तथा धर्म और संप्रदाय की राजनीति ने क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को अवसरवादी राजनीति करने के अवसर प्रदान किए हैं और उन्होंने इस अवसर का लाभ उठाकर सरकार निर्माण में अपनी भूमिका को प्रबल किया।
अथवा
सुशासन किसे कहते हैं? भारत की वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा सुशासन स्थापित करने
के उद्देश्य से कौन-कौन से कार्यक्रम चला रही है। वर्णन कीजिए।2+4=6
उत्तर.सुशासन : एक ऐसी शासन की व्यवस्था जिसके अंतर्गत
लोक कल्याणकारी कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है तथा शासन में गुणवत्ता और एक
मूल्य आधारित व्यवस्था की स्थापना का प्रयास किया जाता है जिसे सुशासन कहा जाता
है। वर्तमान में केंद्र सरकार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भारतीय जनता
पार्टी के नेतृत्व में सुशासन का मुद्दा उठाकर सबका साथ सबका विश्वास का नारा देकर
भारी बहुमत से सरकार का निर्माण किया। वर्तमान में केंद्र सरकार अपने उस सुशासन
तथा विकास के लोक कल्याणकारी कार्य और नीतियों को स्वरूप चलाने का प्रयास करती है
जिसके प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं -
1. स्वच्छ
भारत अभियान - भारत सरकार का एक बहुत ही बड़ा प्रयास जिसने भारत में स्वच्छता और सफाई के
लिए एक मुहिम चलाई जिसके माध्यम से प्रत्येक नागरिक को यह जानकारी और जागरूकता
प्रदान की गई कि भारत को विकास करने के लिए स्वच्छता कोई अभियान बनाना होगा तथा
इसने अपना योगदान देना होगा।
2. बेटी
बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना : भारत सरकार ने सुशासन के अपनी राह पर चलते हुए एक महत्वपूर्ण योजना प्रारंभ
की जिसका नाम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना है और इस योजना के अंतर्गत भारत में
महिला शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
3. प्रधानमंत्री
उज्जवला योजना : भारतीय सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत देश में महिलाओं को
मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिए जाएंगे जिससे कि उन्हें खाना पकाने में किसी प्रकार
की कोई समस्या का सामना ना करना पड़े।
4. प्रधानमंत्री
जनधन योजना :
भारत सरकार ने इस योजना के माध्यम से देश के प्रत्येक परिवार को बैंकिंग सुविधाएं
प्रदान करने के लिए बैंक में खाता खोलने की योजना बनाई जिससे कि प्रत्येक व्यक्ति
अपना धन बैंकों में सुरक्षित रख सके और उसका प्रयोग कर सकें।
5. किसान
फसल बीमा योजना : भारत सरकार ने यह योजना किसानों को उनकी फसल के नुकसान होने पर उन्हें आर्थिक
मदद देने के रूप में प्रारंभ की है। देश के बहुत से किसानों ने इस योजना का लाभ
उठाने के लिए आवेदन भी किया है और यह भारत सरकार का एक बहुत अच्छा प्रयास है।
6. आयुष्मान
भारत योजना :
आयुष्मान भारत योजना भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसके अंतर्गत भारत में आर्थिक
रूप से कमजोर लोगों को सुरक्षा संबंधी बीमा प्रदान करना है जिससे कि उन्हें किसी
प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं का सामना ना करना पड़े।
7. दीनदयाल
उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना : इस योजना का उद्देश्य भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि
और गैर कृषि उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति प्रदान करना है जिससे कि वह इनका
विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग कर सके।