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  • सैंपल प्रश्न पत्र

    2021-2022

    कक्षा-XII

    टर्म II

    विषय: राजनीति विज्ञान                    अधिकतम अंक 40

    समय: 2 घंटे

    निर्देश:

    1. प्रश्न पत्र में 3 खंड क, ख और ग हैं।

    2. खंड क में 2-2 अंकों के 8 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 50 शब्दों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।

    3. खंड ख में 4 अंकों के 3 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 100 शब्दों में देना चाहिए। मानचित्र के प्रश्न का उत्तर तद्नुसार ही देना चाहिए।

    4. खंड ग में 6-6 अंकों के 2 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों का उत्तर प्रत्येक 170 शब्दों में देना चाहिए।

      

    (खंड-)

    1. 'हाल के वर्षों में भारत ने आसियान पर पर्याप्त ध्यान दिया है'। कथन की पुष्टि के लिए दो बिंदु दीजिए।                          2

    उत्तर. हाल ही के वर्षों में भारत ने आसियान पर पर्याप्त ध्यान दिया है जिसके दो मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं

    1. भारत ने वर्ष 2010 में आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लागू किया है।

    2. भारत ने अब एक्ट ईस्ट पॉलिसी को लागू किया है जो भारत की आसियान के प्रति बढ़ते भागीदारी को दर्शाता है।

    अथवा

    'हान नदी पर चमत्कार' की व्याख्या कीजिए।

    उत्तर. हान नदी पर चमत्कार - हान नदी पर चमत्कार को हम दक्षिण कोरिया के एशिया में शक्ति के केंद्र के रूप में परिभाषित करते हैं। 1960 से 1980 के बीच दक्षिण कोरिया ने बहुत तेज गति से अपनी आर्थिक शक्ति को बढ़ाया और विकास किया जिसे हान नदी पर चमत्कार कहा जाता है।

     

    2. दक्षिण एशिया हर मायने में विविधता के लिए खड़ा है और फिर भी एक भू-राजनीतिक स्थान का गठन करता है। क्या आप कथन से सहमत हैं? अपने उत्तर के दो कारण दीजिए।   2

    उत्तर. दक्षिण एशिया में उत्तर में महान हिमालय पर्वत, दक्षिण में हिंद महासागर तथा पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी दक्षिण एशिया को भाषागत सामाजिक और सांस्कृतिक भिन्नता प्रदान करते हैं। दक्षिण एशिया के सभी देशों में एक जैसी शासन व्यवस्था नहीं है किंतु लोकतंत्र को एक सार्वाधिक स्वीकार्य शासन प्रणाली माना गया है। इस तरह से दक्षिण एशिया हर मायने में विविधता से भरा है लेकिन फिर भी एक भू-राजनीतिक स्थान का निर्माण करता है।

     

    3. आपके विचार से भारत को अब शक्ति का एक महत्वपूर्ण केंद्र क्यों माना जाता है?                                                     2

    उत्तर. भारत को शक्ति के नए केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कारक उत्तरदाई हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार है -

    1. 21वीं सदी में भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में सामने आया है जो इसे एक शक्तिशाली देश के रूप में परिभाषित करता है।

    2. भारत की सामरिक शक्ति को देखते हुए जिसमें कि भारत के पास परमाणु शक्ति तकनीक भी है, भारत को एक मजबूत देश के रूप में दर्शाता है।

    3. भारत की जनसंख्या विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या है और क्षेत्रफल के मामले में भारत सातवें स्थान पर आता है भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और युवा आबादी वाला देश भी है।

     

    4. शीत युद्ध के बाद दक्षिण एशिया में अमेरिकी भागीदारी तेजी से बढ़ी है। समझाने के लिए दो उदाहरण दीजिए।          2

    उत्तर. शीत युद्ध के बाद अमेरिका की भागीदारी दक्षिण एशिया में तेजी से बढ़ी है जिसके लिए हम निम्नलिखित तर्क दे सकते हैं

    1. शीत युद्ध के बाद अमेरिका के भारत और पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रहे हैं और वह दिन प्रतिदिन इन संबंधों को और अधिक अच्छा करने का प्रयास कर रहा है।

    2. भारत और पाकिस्तान में आर्थिक विकास के लिए अमेरिका निरंतर सहायता करता है और विभिन्न प्रकार के सब्सिडी प्रदान करता है जो इसकी भागीदारी को दर्शाता है।

    3. अमेरिका में अधिक संख्या में दक्षिणी एशियाई प्रवासी और क्षेत्र की आबादी तथा बाजारों के विशाल आकार अमेरिका को भविष्य के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति के अवसर प्रदान करते हैं।

     

    5. दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को सुगम बनाने में सार्क की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।                             2

    उत्तर. दक्षिण एशिया में आर्थिक सहयोग को सुगम बनाने में सार्क की भूमिका को हम इस प्रकार समझ सकते हैं.

    1. दक्षिण एशिया के विभिन्न प्रकार के विकास और सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए 1985 में सार्क की स्थापना की गई। सार्क ने दक्षिण एशिया में आर्थिक सहयोग को सुगम बनाने के लिए 2004 में साफ्टा (SAFTA) की स्थापना की और इसे 2006 में लागू भी किया।

    2. सार्क ने दक्षिण एशिया के देशों में व्यापार प्रतिबंधों को कम करने और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने विशेष रूप से कार्य किया है जिसका लाभ प्रत्येक सदस्य देश को हुआ है।

     

    6. पहला आम चुनाव दो बार टाला गया। इसके दो कारण बताइए।                                                                           2

    उत्तर. प्रथम आम चुनाव को दो बार टालने के लिए निम्नलिखित कारक जिम्मेदार थे -

    1. लगभग 17 करोड़ मतदाता पहली बार भारत में 3200 विधायकों और 489 लोकसभा के सदस्यों को चुनने जा रहे थे जो कि अपने आप में एक भारी-भरकम कार्य था।

    2. भारतीय मतदाताओं में से केवल 15% मतदाता ही शिक्षित है जो अपने आप में एक बड़ी समस्या थी।

    3. पहली मतदाता सूची में लगभग 40 लाख महिलाओं का नाम दर्ज नहीं हो पाया था क्योंकि उनकी पहचान नहीं हो पाई थी।

    4. चुनाव की सीमाओं का निर्धारण भी पूरी तरह से संपन्न नहीं हो पाया था।

     

    7. गठबंधन सरकार की दो विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।2

    उत्तर. गठबंधन सरकार की दो प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है-

    1. जब किसी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं हो पाता है तब दो या दो से अधिक राजनीतिक दल मिलकर सरकार बनाते हैं जिसे गठबंधन सरकार कहा जाता है।

    2. विभिन्न प्रकार की क्षेत्रीय राजनीतिक दल गठबंधन सरकार में विशेष भूमिका निभाते हैं।

    3. सरकार की मुखिया की भूमिका बहुत ही कमजोर होती है क्योंकि उसे विभिन्न राजनीतिक दलों को साथ लेकर चलना पड़ता है।

     

    8. उस नेता का नाम बताइए जिसने 1975 में संसद तक जन मार्च का नेतृत्व किया और बताएं कि इस मार्च में क्या अनोखा था।                                                                                  2

    उत्तर. 1975 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने संसद तक जन मार्च का नेतृत्व किया था। यह आंदोलन या मार्च इसलिए अपने आप में खास था क्योंकि उस दौरान इतनी बड़ी संख्या में भारत की राजधानी में राजनीतिक रूप से पहली बार लोग इकट्ठा हुए थे।

     

    (खंड-)

    9. यूरोपीय संघ की आसियान से तुलना करें।                       4

    उत्तर. 

    यूरोपीय संघ

    1. दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने मार्शल योजना के तहत पश्चिमी यूरोप को आर्थिक मदद देने के लिए यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की।

    2. यूरोपीय पूंजीवादी देशों के आर्थिक एकीकरण की प्रक्रिया व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ी और वर्ष 1949 में यूरोपीय परिषद का निर्माण किया गया।

    3. यह परिषद आगे चलकर यूरोपीय आर्थिक समुदाय के रूप में वर्ष 1957 में परिवर्तित हो गई और सोवियत संघ के विघटन के बाद वर्ष 1992 में मास्ट्रिच संधि के बाद यूरोपीय संघ स्थापित हुआ।

    4. यूरोपीय संघ का अपना एक ध्वज, राष्ट्रगान, स्थापना दिवस और मुद्रा भी है। यूरोपीय संघ वर्ष 2005 तक विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 2005 में यूरोपीय संघ का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 12 ट्रिलियन डॉलर था।

    आसियान

    1. दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) की स्थापना वर्ष 1967 में बैंकॉक घोषणा के माध्यम से 5 देशों ने इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने की।

    2. आसियान देशों ने आसियान शैली को अपनाया है जिसको विश्व में काफी प्रसिद्धि मिली है आसियान शैली के माध्यम से टकराव रहित, अनौपचारिक सहयोगात्मक शैली को प्रयोग में लाया गया है।

    3. वर्ष 2003 में आसियान ने तीन प्रमुख स्तंभ सुरक्षा स्तंभ आर्थिक स्तंभ और सामाजिक सांस्कृतिक स्तंभ की स्थापना की। जिनका उद्देश्य आसियान देशों का विकास करना है।

    4. आसियान ने विभिन्न प्रकार के समझौते किए हैं जिनमें सदस्य देश शांति मध्यस्थता सहयोग हस्तक्षेप संप्रभुता आदि के मामले में प्रतिबद्ध हैं। आसियान की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है।

    5. आसियान मुक्त व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है जोकि निवेश श्रम और सेवाओं के निर्बाध प्रवाह को बढ़ाएगा। आसियान ने अपना विजन 2020 भी प्रकाशित किया है जिसके माध्यम से आसियान बातचीत के माध्यम से विवादों को सुलझाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं और आसियान के सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहेगा।

     

    10. भारत में 1975 के राष्ट्रीय आपातकाल के संबंध में विभिन्न मुद्दों का वर्णन करें।                                                           4

    उत्तर. 25 जून 1975 को भारत में आंतरिक अशांति के नाम पर आपातकाल की घोषणा की गई। इस आपातकाल के कुछ प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं -

    1. आपातकाल के दौरान कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया तथा जेलों में डाल दिया गया।

    2. समाचार पत्र और पत्रिकाओं तथा प्रेस पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए गए तथा समाचार और खबरें प्रकाशित करने से रोका गया।

    3. आपातकाल ने लोगों के अधिकारों को तुरंत प्रतिबंधित कर दिया जिसके कारण आम लोग काफी प्रभावित हुए। आपातकाल के दौरान यातना दी गईं और जेलों में काफी लोग मारे गए। निर्धन लोगों के मनमाने स्थान परिवर्तन किए गए।

    4. वर्ष 1975 से पूर्व कभी भी आंतरिक अशांति के नाम पर आपातकाल की घोषणा नहीं की गई थी ऐसा पहली बार हुआ था कि देश में आंतरिक अशांति के नाम पर आपातकाल लागू किया गया हो।

    5. यद्यपि तत्कालीन सरकार ने तर्क दिया कि लोकतंत्र में विपक्षी दलों को निर्वाचित सत्ताधारी दल को उसकी नीतियों के अनुसार शासन करने की अनुमति देनी चाहिए। ऐसा महसूस हुआ कि बार-बार आंदोलन का सहारा लेना; विरोध और सामूहिक कार्रवाई लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं है।

    6. तत्कालीन प्रधानमंत्री के समर्थकों ने यह तर्क भी दिया कि किसी को भी  लगातार अतिरिक्त संसदात्मक राजनीति का सहारा लेकर सरकार को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। ऐसा करने से प्रशासन और विकास के सामान्य कार्य को करने में अस्थिरता और भटकाव उत्पन्न होता है जो लोकतंत्र के लिए सही नही है।

     

    11. भारत के दिए गए रूपरेखा राजनीतिक मानचित्र में, चार राज्यों को (ए), (बी), (सी), (डी) के रूप में चिह्नित किया गया है। नीचे दी गई जानकारी के आधार पर इन राज्यों की पहचान करें और अपनी उत्तरपुस्तिका में उनके सही नाम के साथ-साथ उपयोग की गई जानकारी की संबंधित क्रम संख्या और संबंधित अक्षरों को निम्नलिखित प्रारूप के अनुसार लिखें:      4

    (i) स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रालय में संचार मंत्री किस राज्य के थे।

    (ii) वह राज्य जिससे पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई संबंधित थे।

    (iii) एस निजलिंगप्पा जिस राज्य के थे।

    (iv) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के. कामराज से संबंधित राज्य।

     


    उपयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या

    सम्बंधित अक्षर

    राज्य का नाम

    (I)

     

     

    (II)

     

     

    (III)

     

     

    (IV)

     

     

    उत्तर.

    उपयोग की गई जानकारी की क्रम संख्या

    सम्बंधित अक्षर

    राज्य का नाम

    (I)

    A

    उत्तर प्रदेश

    (II)

    C

    गुजरात

    (III)

    B

    कर्नाटक

    (IV)

    D

    तमिलनाडु

     

    यह प्रश्न केवल प्रश्न संख्या 11 के स्थान पर दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए है।

    11 ए. भारतीय राजनीति के संदर्भ में दलबदल का क्या अर्थ है? दलबदल के किन्हीं दो दोषों का वर्णन कीजिए।                     4

    उत्तर. दलबदल - दलबदल का अर्थ है जब कोई उम्मीदवार किसी राजनीतिक दल के अंतर्गत चुनाव लड़ता है और चुनाव जीत जाता है उसके बाद यदि वह उम्मीदवार या प्रतिनिधि अपनी राजनीतिक दल को छोड़कर किसी अन्य दल में अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए शामिल हो जाता है तो इसे दलबदल कहा जाता है।

    दलबदल के दो प्रमुख दोष इस प्रकार है -

    1. दलबदल की अवसरवादी और अनैतिक राजनीति ने असामाजिक तत्वों को सक्रिय राजनीति में आने में मदद की है। दल बदल के कारण निर्वाचित प्रतिनिधियों की खरीद-फरोख्त के कारण भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है।

    2. राजनीतिक अवसरवादियो ने राजनीतिक दलों को विभाजित किया है। दलबदल के कारण केंद्र और राज्य सरकार राजनीतिक अनिश्चितता की शिकार हुई है। दल बदल के कारण राजनीतिक दल गैर जिम्मेदार हुए हैं जिसके कारण लोगों का राजनीतिक दलों से और नेताओं से विश्वास कम हुआ है।

    (खंड-)

    12. 'देशों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों की स्थापना और मजबूती में निहित है'। कथन का समालोचनात्मक मूल्यांकन करेंI                                          6

    उत्तर. क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को मजबूत करने से देशों की शांति और समृद्धि में वृद्धि होगी यह कथन बिल्कुल सत्य है और इसके लिए हम निम्नलिखित बिंदुओं को समझ सकते हैं -

    1. क्षेत्रीय संगठन के सदस्य देशों ने आपसी मतभेदों को दूर करके तथा विदेशी व्यापार नीति को अपनाकर अपना आर्थिक विकास तीव्र किया है।

    2. अविकसित और पिछड़े देशों को भी विकास के अवसर प्राप्त होते हैं जिसके कारण रोजगार भी पड़ता है।

    3. क्षेत्रीय संगठनों के कारण विभिन्न देशों के लोगों का जीवन स्तर पहले की तुलना में अधिक अच्छा हुआ है।

    4. विभिन्न क्षेत्रीय संगठनों के माध्यम से लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन सुविधाओं का लाभ हुआ है।

    5. इन विभिन्न प्रकार के क्षेत्रीय संगठनों के माध्यम से देश की जनता संतुष्ट हुई है और इसके कारण राष्ट्र की नीति में भी बदलाव आया है जिसके कारण शांति और समृद्धि में वृद्धि हुई है।

    6. क्षेत्रीय संगठनों ने बहुत अच्छी तरह से जन आंदोलनों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसके कारण जन आक्रोश बहुत कम हुआ है।

    अथवा

    वैश्वीकरण के आलोक में राज्य की बदलती भूमिका का विवरण दीजिए।

    उत्तर. वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विश्व के विभिन्न देश एक दूसरे के निकट आए हैं और संपूर्ण विश्व एक गांव में परिवर्तित हो गया है। वैश्वीकरण के कारण राज्य की भूमिका में बदलाव को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -

    1. वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमताओं में कमी आई है और इसके कारण राज्य जो कार्य पहले करता था अब वह कार्य नहीं कर रहा है।

    2. वैश्वीकरण के कारण राज्य अब केवल कुछ न्यूनतम कार्यों को ही पूर्ण कर रहा है जैसे कि कानून व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा का कार्य।

    3. बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उदय और वृद्धि के कारण संपूर्ण विश्व में सरकार की क्षमताओं और शक्तियों में कमी आई है और इनके निर्णय लेने की क्षमता में भी कमी आई है तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हस्तक्षेप को भी देखा जा सकता है।

    4. वैश्वीकरण के कारण राज्य की स्वतंत्र विदेश नीति और राष्ट्र नीति निर्धारण की क्षमताओं में भी कमी आई है। विभिन्न देशों को अब अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के दबाव के कारण निर्णय और नीतियां निर्धारित करनी पड़ती है।

    5. वैश्वीकरण के कारण राज्य की कल्याणकारी नीतियों में कमी देखने को मिली है और अब राज्य बाजार अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता जा रहा है।

    6. वैश्वीकरण के कारण राज्य की भूमिका में परिवर्तन देखने को मिला है क्योंकि व्यापार के अंतर्गत आयात और निर्यात पर लगे विभिन्न प्रतिबंधों को कम किया गया है जिससे व्यापार में वृद्धि हुई है और वस्तु, विचार, पूंजी तथा श्रम का मुक्त प्रभाव हुआ है जिसने राज्य की भूमिकाओं को सीमित किया है।

    7. वैश्वीकरण के कारण विभिन्न देशों में यह भी देखने में आया है कि राज्य की क्षमताओं में वृद्धि भी हुई है क्योंकि विभिन्न प्रकार की तकनीकी साधनों की मदद से देशों ने अपनी नीतियों और नियंत्रण की क्षमताओं को व्यापक स्तर पर बढ़ाया है। संचार साधनों के विकास में सरकार की शक्तियों में वृद्धि की है।

     

    13. 21वीं सदी के दौरान भारतीय राजनीति में छह मुख्य मुद्दों का समालोचनात्मक मूल्यांकन करें।                                    6

    उत्तर. 21वीं सदी में भारतीय राजनीति में कई मुद्दे उभरकर सामने आए हैं इनमें से कुछ इस प्रकार है -

    1. तीन तलाक (ट्रिपल तलाक) : तीन तलाक का मुद्दा 21वीं सदी में भारतीय राजनीति का एक प्रमुख मुद्दा रहा है। इस मुद्दे पर निर्णय आने से महिलाओं के अधिकार और उनके गरिमा पूर्ण जीवन जीने के अधिकार को काफी बल मिला है और महिलाओं के शोषण और सुरक्षा को भी समाप्त किया है।

    2. अनुच्छेद 370 : अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य से संबंधित था जिसे भारतीय संसद ने अब समाप्त कर दिया है और जम्मू तथा कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया है। यह भी 21वीं सदी का एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा है।

    3. कृषि कानून : भारतीय संसद के द्वारा लागू किए गए कृषि कानून पर भी भारी मात्रा में विरोध प्रदर्शन हुए और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा पंजाब के किसानों ने दिल्ली में लगभग 1 वर्ष तक इस कृषि कानून का विरोध किया जिसे बाद में भारतीय संसद ने रद्द कर दिया।

    4. नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) और NRC : नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 21वीं सदी में भारतीय राजनीति के प्रमुख मुद्दों में से हैं। भारतीय संसद द्वारा जब इन दिनों को पारित किया गया जिनका उद्देश्य भारत के पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना था तब इन दिलों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया क्योंकि इन समुदायों में मुस्लिम समुदाय को सम्मिलित नहीं किया गया था और इन अधिनियम के बारे में काफी भ्रांतियां भी उत्पन्न हो गई थी जिसके कारण बाद में सरकार ने इन अधिनियम को रोक लिया है।

    5. राम जन्मभूमि विवाद : राम जन्मभूमि विवाद शताब्दी पूर्व से चला आ रहा विवाद था। 1990 में यह विवाद और अधिक गहरा गया और इसने हिंसक रूप भी ले लिया था। इसके बाद यह विवाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय (2010) के बाद सुप्रीम कोर्ट में चला गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था और अंततः वर्ष 2019 में इस विवाद पर निर्णय आ गया और अब यह विवाद शांत हो गया।

    6. वर्ष 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया किंतु इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के अंतर्गत रहते हुए चुनाव पूर्व गठबंधन की सरकार बनाएं जो कि एक भारतीय राजनीति में चर्चा का मुद्दा रहा।

    अथवा

    भारत में आपात काल के दौरान न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संबंधों के प्रभाव की चर्चा कीजिए।

    उत्तर. आपातकाल के दौरान न्यायपालिका और कार्यपालिका के संबंधों को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-

    1. तत्कालीन सरकार ने संविधान में बहुत सारे बदलाव किए जिनमें यह भी था कि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

    2. आपातकाल के दौरान सरकार ने निवारक नजरबंदी कानून का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग किया।

    3. आपातकाल के दौरान राज्य के नीति निर्देशक तत्व को मौलिक अधिकारों पर प्राथमिकता दी गई जिसके कारण नागरिकों को मौलिक अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा था और इस संशोधन ने न्यायपालिका को बौना साबित कर दिया था और इसी दौरान विधायिका को असीमित शक्तियां दी गई।

    4. तत्कालीन सरकार ने वर्षों से चली आ रही सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया को भी प्रभावित किया और कनिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।

    5. सरकार ने संविधान संशोधन के माध्यम से संसद के कार्यकाल को 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया।

    6. आपातकाल के दौरान लोगों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए और इनमें लोगों को न्यायालय तक अपने अधिकारों को संरक्षित रखने के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया।

    7. न्यायपालिका ने कई विवादित निर्णय दिए और अपने कार्य तथा भूमिका को अच्छी तरह से नहीं निभाया। संविधानिक नियमों को प्रबल नहीं किया गया और यह आपातकाल का काल लोकतंत्र का काला काल भी माना जाता है। इस दौरान मीडिया को किसी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं थी तथा विपक्ष जेलों में था। कार्यपालिका और न्यायपालिका किसी एक की सत्ता के रूप में कार्य कर रहे थे। न्यायपालिका ने कार्यपालिका के किसी भी कार्य पर कोई भी कार्यवाही नहीं की।

    42 वें संविधान संशोधन द्वारा नजरबंदी कानून को न्यायिक पुनरावलोकन की सूची से हटा दिया गया।

     

    Studytimes


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