CLASS-XI
SUBJECT-POLITICAL
SCIENCE
महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर
प्रश्न 1. संविधान में संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर. संविधान में संशोधन की आवश्यकता
इसलिए पड़ती है क्योंकि समय के अनुसार जब किसी प्रावधान को संविधान में सम्मिलित
करना होता है तो उसे संविधान संशोधन के माध्यम से सम्मिलित किया जाता है और इसके
माध्यम से संविधान जीवंत बना रहता है।
प्रश्न 2. भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर. भारत के प्रधानमंत्री की
नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है और राष्ट्रपति ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री
नियुक्त करता है जिसने लोकसभा के चुनाव में बहुमत प्राप्त किया हो।
प्रश्न 3. भारतीय निर्वाचन आयोग के किन्हीं दो कार्यों को लिखिए।
उत्तर. भारतीय निर्वाचन आयोग के प्रमुख
दो कारें इस प्रकार है -
1. चुनाव की
तिथियां घोषित करना।
2. चुनाव परिणाम
जारी करना।
प्रश्न 4. निवारक नजरबंदी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर. निवारक नजरबंदी सरकार द्वारा
उठाए जाने वाले ऐसा कदम होता है जिसमें किसी व्यक्ति को अपराध करने से पहले नजरबंद
कर दिया जाता है। यदि सरकार को यह आभास होता है कि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा और
व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है तो ऐसे व्यक्ति को नजरबंद कर दिया जाता
है।
प्रश्न 5. मानव अधिकार वर्तमान समय में बहुत ही महत्वपूर्ण बन गए हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. मानव अधिकारों की घोषणा 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ के
द्वारा की गई थी। मानव अधिकार वर्तमान समय में बहुत ही महत्वपूर्ण बन गए हैं और
प्रत्येक देश अपने नागरिकों को मानव अधिकार प्रदान करने का पूरा प्रयास कर रहा है।
मानव अधिकारों के हनन होने पर बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अपनी रिपोर्ट
प्रकाशित करती हैं तो इसलिए प्रत्येक देश मानवाधिकारों का सम्मान करता है और
उन्हें प्रदान करने का प्रयास करता है।
प्रश्न 6. भारतीय चुनाव प्रणाली के कोई दो दोष लिखिए।
उत्तर. भारतीय चुनाव प्रणाली की कुछ
प्रमुख कमियां इस प्रकार है -
1. भारतीय चुनाव
व्यवस्था में सबसे बड़ी कमी इसमें होने वाले धन के मनमाने प्रयोग की है।
2. भारतीय चुनाव
प्रणाली में एक सबसे बड़ी कमी यह भी है कि इसमें आपराधिक प्रवृत्ति के चुनाव में
शामिल हो जाते हैं।
3. भारतीय चुनाव
प्रणाली में एक दोष यह भी है कि इसमें चुनाव लड़ने के लिए कोई शैक्षिक योग्यता
निर्धारित नहीं है।
प्रश्न 7. अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व की किसी एक विधि को लिखिए।
उत्तर. अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व
के लिए कई प्रकार की निर्वाचन पद्धतियों को अपनाया जाता है इनमें से एक है संचयी
मत प्रणाली। इस प्रणाली के अंतर्गत प्रत्येक मतदाता को उतने मत देने का अधिकार
होता है जितने प्रतिनिधि निर्वाचन में भाग लेते हैं लेकिन मतदाता को यह स्वतंत्रता
होती है कि वह अपने सभी मत एक ही व्यक्ति को दे दे या सभी प्रतिनिधियों में बांट
दें।
प्रश्न 8. धार्मिक स्वतंत्रता तथा धर्मनिरपेक्षता में कोई दो अंतर लिखिए।
उत्तर. धार्मिक स्वतंत्रता तथा
धर्मनिरपेक्षता में दो प्रमुख अंतर इस प्रकार है -
1. धार्मिक
स्वतंत्रता व्यक्ति का एक अधिकार है जो व्यक्ति से संबंधित है जबकि धर्मनिरपेक्षता
राज्य से संबंधित अवधारणा है।
2. धार्मिक
स्वतंत्रता व्यक्ति को धर्म से संबंधित स्वतंत्रता प्रदान करती है वहीं दूसरी तरफ
धर्मनिरपेक्षता राज्य को सभी धर्मों के संरक्षण और सुरक्षा से जोड़ती है।
प्रश्न 9. नागरिकों के किन्हीं चार राजनीतिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर. नागरिकों के प्रमुख चार
राजनीतिक अधिकार इस प्रकार हैं-
1. प्रत्येक नागरिक
को मतदान करने का अधिकार होता है जो व्यक्ति वयस्क हो जाता है उसे चुनाव में मत
देने का अधिकार है।
2. प्रत्येक नागरिक
को चुनाव लड़ने का भी अधिकार है यदि कोई व्यक्ति किसी चुनाव के लिए योग्य है तो वह
उस चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर खड़ा हो सकता है।
3. प्रत्येक नागरिक
को यह अधिकार है कि वह किसी भी सरकारी पद को प्राप्त कर सकता है।
4. प्रत्येक नागरिक
को यह अधिकार है कि वह किसी भी प्रकार का राजनीतिक दल बना सकता है।
प्रश्न 10. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है? आपकी
राय में इस स्वतंत्रता पर समुचित प्रतिबंध क्या होंगे?
उत्तर. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का
अर्थ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात अपने विचार अभिव्यक्त करने की पूर्ण
स्वतंत्रता है। भारत में कोई भी व्यक्ति अपने विचार व्यक्त कर सकता है और इसके लिए
वह समाचार पत्र पत्रिका या किसी अन्य माध्यम का प्रयोग कर सकता है। भारतीय संविधान
के अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्पष्ट रूप
से वर्णन किया गया है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध
-
1. किसी भी व्यक्ति
को किसी दूसरे व्यक्ति का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं होगा। कोई भी व्यक्ति
अभिव्यक्ति के अधिकार के माध्यम से किसी व्यक्ति को अपमानजनक शब्द नहीं बोलेगा।
2. अभिव्यक्ति की
आजादी व्यक्ति को अपने विचार स्वतंत्र रूप से रखने का मौका देती है लेकिन इसका
अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि वह मनमाने तरीके से इस अधिकार का प्रयोग करें।
3. राज्य व्यक्ति
के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिबंध लगा सकता है यदि राज्य को यह
आभास होता है कि उक्त व्यक्ति द्वेष, अखंडता, सुरक्षा, शांति व नैतिकता को खतरा पहुंचा रहा है।
प्रश्न 11. लोकसभा कार्यपालिका को राज्यसभा की तुलना में क्यों कारगर ढंग से नियंत्रण
में रख सकती है? कोई चार समुचित तर्क लिखिए।
उत्तर. लोकसभा कार्यपालिका को राज्यसभा
की तुलना में कारगर ढंग से नियंत्रण में रखती है और इसके लिए निम्नलिखित कारक
जिम्मेदार हैं -
1. लोकसभा
कार्यपालिका को इसलिए बेहतर ढंग से नियंत्रित रख पाती है क्योंकि मंत्री परिषद
लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदाई होती है। मंत्री परिषद अपने कार्यों के
प्रति लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होती हैं जिस कारण लोकसभा मंत्री परिषद पर बेहतर
नियंत्रण स्थापित कर पाती है।
2. लोकसभा में
प्रश्नकाल, पूरक प्रश्न, और
काम रोको प्रस्ताव के माध्यम से लोकसभा मंत्रिपरिषद अर्थात कार्यपालिका पर अपना
नियंत्रण बनाए रखती है और कार्यपालिका को मनमाने तरीके से कार्य करने से रोकती है।
3. लोकसभा
कार्यपालिका पर बेहतर नियंत्रण इसलिए भी स्थापित कर पाती है क्योंकि लोकसभा अविश्वास
प्रस्ताव के माध्यम से कार्यपालिका पर अपना दबाव बनाए रखती है।
4. लोकसभा का
कार्यपालिका पर बेहतर नियंत्रण इसलिए भी होता है क्योंकि लोकसभा लोकप्रिय सदन होता
है और इसका चुनाव जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होता है और इसके सदस्य जनता के
द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं।
प्रश्न 12.
भारत में कानून निर्माण प्रक्रिया के कोई चार चरण लिखिए।
उत्तर. भारत में कानून निर्माण की
प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण प्रयोग में लाए जाते हैं -
1. विधेयक का
प्रस्तुतीकरण : भारत में कानून निर्माण प्रक्रिया का सबसे पहला चरण किसी भी विधेयक
का प्रस्तुतीकरण होता है कानून निर्माण से पूर्व किसी भी प्रस्ताव को विधेयक कहा
जाता है।
2. सदन में विधेयक
के प्रस्तुतीकरण के बाद उस पर मतदान होने के बाद विधेयक को समिति के पास भेजा जाता
है और यह सभी संसदीय समितियां उस विधेयक पर चर्चा करती हैं।
3. समितियों की
रिपोर्ट मिल जाने के बाद एक बार फिर से उस विधेयक पर सदन में चर्चा होती है और
विचार होने के बाद इसे दूसरे सदन के पास भेज दिया जाता है।
4. संसद के दोनों
सदनों के पारित कर देने के बाद वह विधेयक राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के ले जाता
है और राष्ट्रपति की अनुमति मिल जाने के बाद यह विधेयक कानून का रूप धारण कर लेता है।
प्रश्न 13. सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली और समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली
में प्रमुख अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. सर्वाधिक मत से जीतने वाली
प्रणाली और समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में कुछ प्रमुख अंतर हम इस प्रकार से
समझ सकते हैं -
1. सर्वाधिक मत से
जीतने वाली प्रणाली में वह व्यक्ति विजई होता है जिसने सबसे ज्यादा मत प्राप्त
किया हो वहीं दूसरी तरफ समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में एक निश्चित अनुपात
में मत प्राप्त करने होते हैं।
2. सर्वाधिक मत से
जीतने वाली प्रणाली में मतदाता प्रतिनिधि को मत देता है जबकि समानुपातिक
प्रतिनिधित्व प्रणाली में मतदाता पार्टी को मत देता है।
3. सर्वाधिक मत से
जीतने वाली प्रणाली के अंतर्गत पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बांट
दिया जाता है जिसे निर्वाचन क्षेत्र के आते हैं वहीं दूसरी तरफ समानुपातिक
प्रतिनिधित्व प्रणाली में पूरे क्षेत्र को एक ही निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है।
4. सर्वाधिक से
जीतने वाली प्रणाली में एक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुनाव जीतता है जबकि
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा
सकते हैं।
5. सर्वाधिक मत से
जीतने वाली प्रणाली मुख्य रूप से ब्रिटेन और भारत में अपनाई जाती है जबकि
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली इजरायल और नीदरलैंड जैसे देशों में प्रयोग में
लाई जाती है।
प्रश्न 14. भारतीय संविधान का कौन सा मौलिक अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है और क्यों?
उत्तर. वैसे तो भारतीय संविधान में
वर्णित मौलिक अधिकार बहुत ही महत्वपूर्ण लेकिन हम यदि किसी एक महत्वपूर्ण मौलिक
अधिकार की बात करें तो इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार संवैधानिक उपचारों
का अधिकार को कहा जा सकता है क्योंकि इस मौलिक अधिकार के माध्यम से बाकी की सभी
मौलिक अधिकारों की सुरक्षा होती है और यह मौलिक अधिकार बाकी के मौलिक अधिकारों को
संरक्षण प्रदान करता है। संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत पांच लेख या रिट
का वर्णन किया गया है जो कि इस प्रकार है -
1. बंदी
प्रत्यक्षीकरण - बंदी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा न्यायालय किसी भी गिरफ्तार किए गए
व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है और यदि उस व्यक्ति
को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया होता है तो न्यायालय उस व्यक्ति को छोड़ने का
आदेश भी दे सकता है।
2. परमादेश - यह
आदेश तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी
अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति
का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।
3. निषेध आदेश - यह
आदेश न्यायालय द्वारा तब पारित किया जाता है जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार
क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है। इस आदेश या रिट के
द्वारा सर्वोच्च या उच्च न्यायालय निचली अदालत को ऐसा करने से रोकते हैं।
4. अधिकार पृच्छा -
यह आदेश या रिट न्यायालय द्वारा द्वारा तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता
है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है जिस पर उसका कोई कानूनी अधिकार
नहीं है। इस आदेश के द्वारा न्यायालय उस व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोक
देता है।
5. उत्प्रेषण लेख -
जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी बिना अधिकार के कोई कार्य करता है तो
न्यायालय उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उससे लेकर उत्प्रेषण द्वारा उसे ऊपर की
अदालत या अधिकारी को हस्तांतरित कर देता है।
प्रश्न 15. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर. भारतीय संविधान की कुछ प्रमुख
विशेषताएं इस प्रकार हैं -
1. भारत का संविधान
विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता यह है कि
यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
2. भारतीय संविधान
की प्रमुख विशेषता यह है कि हमारे संविधान में संघीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया
है।
3. भारतीय संविधान
की एक विशेषता यह भी है कि इसमें मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है और प्रत्येक
भारतीय को छह मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
4. भारत का संविधान
कठोर और लचीले संविधान का मिश्रण है अर्थात भारतीय संविधान ना तो अधिक कठोर है और
ना ही अधिक लचीला है।
5. भारतीय संविधान
में एकल नागरिकता का प्रावधान किया गया है इसका मतलब यह है कि प्रत्येक भारतीय को
एक ही नागरिकता प्राप्त होगी।
6. भारतीय संविधान
की एक विशेषता यह भी है कि इसमें राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन किया गया
है जिससे राज्य एक आदर्श शासन व्यवस्था संचालित कर सकें।
7. भारतीय संविधान
की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि इसमें स्वतंत्र और सर्वोच्च न्यायपालिका की
व्यवस्था की गई है।
8. भारतीय संविधान
के प्रमुख विशेषता यह भी है कि इसके अंतर्गत वयस्क मताधिकार को अपनाया गया है
अर्थात प्रत्येक भारतीयों को जो व्यस्त हो चुका है उसे मतदान का अधिकार होगा।
प्रश्न 16. भारत में राष्ट्रपति की विशेष शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर. भारत में राष्ट्रपति वैसे तो
औपचारिक प्रधान की भूमिका निभाता है लेकिन यह कहना गलत होगा कि राष्ट्रपति को किसी
भी प्रकार के विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है। राष्ट्रपति को कई प्रकार के विशेष
अधिकार भी प्राप्त हैं जिन्हें हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं -
1. संवैधानिक रूप
से राष्ट्रपति को सभी महत्व मुद्दों और मंत्री परिषद की कार्यवाही के बारे में
सूचना प्राप्त करने का अधिकार है। प्रधानमंत्री का यह दायित्व है कि वह राष्ट्रपति
द्वारा मांगी गई सभी सूचनाएं उसे प्रदान करें।
2. राष्ट्रपति को
एक विशेषाधिकार यह भी प्राप्त है कि वह संसद द्वारा पारित किसी भी विधेयक को वापस
लौटा सकता है और उस पर पुनर्विचार के लिए कह सकता है। इस प्रक्रिया में राष्ट्रपति
अपने स्वविवेक का प्रयोग करता है। हालांकि एक बार पुनः राष्ट्रपति किसी भी विधेयक
को वापस नहीं लौटा सकता है और उसे हस्ताक्षर करने होते हैं।
3. राष्ट्रपति को
एक विशेषाधिकार यह भी प्राप्त है कि वह संसद द्वारा पारित विधेयक को वापस करने में
विलंब कर सकता है या पॉकेट वीटो का इस्तेमाल भी कर सकता है। इसका मतलब यह है कि
राष्ट्रपति किसी भी विधेयक को कितने समय तक भी अपने पास रख सकता है और इसके लिए
संविधान में किसी प्रकार का कोई समय निर्धारित भी नहीं है। भारत के राष्ट्रपति
ज्ञानी जैल सिंह ने इस प्रकार की प्रक्रिया को वर्ष 1986 में अपनाया था।
4. राष्ट्रपति के
एक विशेषाधिकार शक्ति का वर्णन हम यहां पर भी देखते हैं कि जब लोकसभा में किसी भी
राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है तब ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति अपने
स्वविवेक का प्रयोग करते हुए किसी भी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता
है जिस पर उसे विश्वास हो कि वह बाद में बहुमत सिद्ध कर सकता है। इस परिस्थिति में
राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है। भारत में वर्ष 1989 के बाद से इस प्रकार की परिस्थितियां कई बार उत्पन्न हुई है।
प्रश्न 17.प्रधानमंत्री की शक्तियां और कार्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर. प्रधानमंत्री की नियुक्ति -
भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है जिसे राष्ट्रपति
लोकसभा चुनाव के बाद बहुत प्राप्त राजनीतिक दल के नेता को प्रधानमंत्री बनाता है।
लोकसभा के चुनाव में यदि किसी राजनीतिक दल को जब बहुमत प्राप्त नहीं होता है तब
ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति अपने स्वविवेक से ही किसी भी ऐसे व्यक्ति को
प्रधानमंत्री बना सकता है जो बाद में बहुमत सिद्ध कर सके। सामान्य रूप से
प्रधानमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है लेकिन
लोकसभा कभी भी भंग हो सकती है इसलिए इसका कोई निश्चित कार्यकाल नहीं है।
प्रधानमंत्री की कुछ प्रमुख शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है -
1. प्रधानमंत्री का
एक प्रमुख कार्य मंत्रिपरिषद का निर्माण करना होता है। प्रधानमंत्री मंत्रियों की
सूची तैयार करता है और राष्ट्रपति के समक्ष उसे प्रस्तुत करता है। राष्ट्रपति इस
सूची के आधार पर ही विभिन्न मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
2. प्रधानमंत्री की
एक महत्वपूर्ण भूमिका या शक्ति मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता के रूप में भी
देखी जा सकती है। मंत्रिमंडल की बैठक को बुलाना और उसकी अध्यक्षता करना
प्रधानमंत्री का एक प्रमुख कार्य है और इस बैठक के माध्यम से प्रधानमंत्री विभिन्न
मुद्दों पर चर्चा करता है।
3. प्रधानमंत्री का
एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी है कि वह आवश्यकता पड़ने पर मंत्रियों को उनके पदों से
हटाता भी है। जब कोई मंत्री अपने विभाग में उचित तरह से कार्य नहीं करता है तो
प्रधानमंत्री उस मंत्री को मंत्री पद से हटा देता है।
4. प्रधानमंत्री की
एक महत्वपूर्ण भूमिका को हम इस रूप में भी देख सकते हैं कि भारत का प्रधानमंत्री
मंत्रिमंडल और राष्ट्रपति के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। प्रधानमंत्री
राष्ट्रपति को सरकार की सभी कार्यों की जानकारी प्रदान करता रहता है।
5. प्रधानमंत्री
सरकार का एक मुख्य वक्ता होता है और सरकार की तरफ से सभी निर्णय और नीतियों का
निर्धारण भी करता है।
6. भारत में
प्रधानमंत्री वास्तविक रुप से शक्तियों को इस्तेमाल करता है क्योंकि भारत में
संसदीय कार्यपालिका को अपनाया गया है। प्रधानमंत्री इस तरह से राष्ट्र के नेता के
रूप में प्रतिबिंबित होता है और देश को नेतृत्व प्रदान करता है।
प्रश्न 18. न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के ऐसे प्रावधानों का वर्णन कीजिए जो न्यायपालिका की
स्वतंत्रता को सुनिश्चित करते हैं।
उत्तर. न्यायपालिका की स्वतंत्रता का
साधारण सा अर्थ है न्यायाधीशों द्वारा बिना किसी दबाव या भय के अपने निर्णय को
देना। जब न्यायाधीश बिना किसी बाहरी दबाव या नियंत्रण के अपने कार्यों को करते हैं
तो इसे ही न्यायपालिका की स्वतंत्रता कहते हैं। भारतीय संविधान में ऐसे बहुत सारे
प्रावधानों को शामिल किया गया है जिनसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित होती
है। ऐसे कुछ प्रावधान इस प्रकार हैं -
1. न्यायाधीशों की
नियुक्ति में किसी भी प्रकार के विधायिका के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया गया
है।
2. न्यायाधीशों के
लिए वकालत और कानून का विशेषज्ञ होना एक आवश्यक शर्त बनाई गई है जिससे कि वे अपने
कार्यों का बेहतर तरीके से निष्पादन कर सके।
3. न्यायाधीशों की
नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए की जाती है जैसे कि सर्वोच्च न्यायालय में 65 वर्ष तक न्यायाधीश कार्य कर सकते हैं और उन्हें इसके पहले हटाया नहीं जा
सकता है।
4. न्यायाधीशों को
हटाने की प्रक्रिया बहुत कठिन है और इन्हें केवल महाभियोग की प्रक्रिया के माध्यम
से ही हटाया जा सकता है। जब कभी किसी न्यायाधीश पर कदाचार के आरोप लगते हैं तो
संसद उन आरोपों की जांच करती है और यदि वे आरोप सही पाए जाते हैं तो न्यायाधीशों
को महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया जाता है। बाकी किसी भी प्रक्रिया से
न्यायाधीशों को उनके पद से हटाया नहीं जा सकता।
5. न्यायाधीशों के
वेतन और भत्ते संचित निधि से दिए जाते हैं और उनके वेतन और भत्ते विधायिका कम नहीं
कर सकती है।
6. न्यायपालिका के
किसी भी कार्य और निर्णय की आलोचना कहीं भी नहीं की जा सकती है।
7. यदि कोई व्यक्ति
न्यायालय की अवमानना करता है तो उस व्यक्ति पर उचित कार्यवाही की जाती है और उसे
दंड दिया जाता है।
8. संसद में
न्यायपालिका के किसी भी निर्णय या आचरण पर चर्चा नहीं की जा सकती है। संसद में
केवल महाभियोग की प्रक्रिया पर ही चर्चा हो सकती है।
प्रश्न 19. अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक आजादी के लिए संविधान में कौन से प्रावधान
किए गए हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर. अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक
आजादी के लिए संविधान में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं -
1. अल्पसंख्यक
समुदायों को यह अधिकार है कि वे अपनी संस्कृति, भाषा, और लिपि को संरक्षित रख सकते हैं।
2. अल्पसंख्यक
समुदायों को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे अपनी शिक्षा संस्थान की स्थापना और
प्रशासन भी कर सकते हैं जिसमें वे धार्मिक शिक्षा की भी व्यवस्था कर सकते हैं।
3. अल्पसंख्यक
समुदायों को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे किसी भी शिक्षण संस्थान में प्रवेश ले
सकते हैं और उन्हें धार्मिक आधार पर शिक्षा लेने से वंचित नहीं किया जाएगा।
प्रश्न 20. भारतीय लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के चुनाव की कौन सी विधि अपनाई जाती
है? वर्णन कीजिए।
उत्तर. भारतीय लोकतंत्र में
जनप्रतिनिधियों के चुनाव के लिए सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली को अपनाया जाता
है। यह प्रणाली अत्यंत सरल और सुविधाजनक है जो कि प्रत्येक व्यक्ति को आसानी से
समझ में आ जाती है इसीलिए भारतीय संविधान में निर्वाचन के लिए इस विधि को अपनाया
गया है। सर्वाधिक मत से जीत प्रणाली की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं -
1. इस प्रणाली के
माध्यम से चुनाव में जिस प्रतिनिधि को सर्वाधिक मत प्राप्त होते हैं वह विजई घोषित
किया जाता है।
2. यह प्रणाली अधिक
जनसंख्या वाले देशों और बड़े आकार वाले देशों में अधिक उपयोग में लाई जाती है।
3. इस प्रणाली में
प्रत्येक देश को कई निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है।
4. निर्वाचन की इस
प्रणाली में मतदाता अपने प्रतिनिधियों को मत देता है।
5. यह प्रणाली भारत
और ब्रिटेन में उपयोग में लाई जाती है।
6. प्रत्येक
निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक ही प्रतिनिधि को चुना जाता है।
प्रश्न 21. संवैधानिक उपचारों के अधिकार में कौन-कौन सी याचिकाएं शामिल है? सविस्तार लिखिए।
उत्तर. भारतीय संविधान के भाग-3 में वर्णित मौलिक अधिकारों के अंतर्गत अनुच्छेद 32 में संवैधानिक उपचारों के अधिकारों का वर्णन किया गया है इस अधिकार के
माध्यम से भारतीय संविधान में 5 याचिकाओं या लेखों
का वर्णन किया गया है जोकि इस प्रकार हैं -
1. बंदी
प्रत्यक्षीकरण - बंदी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा न्यायालय किसी भी गिरफ्तार किए गए
व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है और यदि उस व्यक्ति
को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया होता है तो न्यायालय उस व्यक्ति को छोड़ने का
आदेश भी दे सकता है।
2. परमादेश - यह
आदेश तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी
अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति
का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।
3. निषेध आदेश - यह
आदेश न्यायालय द्वारा तब पारित किया जाता है जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार
क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है। इस आदेश या रिट के
द्वारा सर्वोच्च या उच्च न्यायालय निचली अदालत को ऐसा करने से रोकते हैं।
4. अधिकार पृच्छा -
यह आदेश या रिट न्यायालय द्वारा द्वारा तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता
है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है जिस पर उसका कोई कानूनी अधिकार
नहीं है। इस आदेश के द्वारा न्यायालय उस व्यक्ति को उस पद पर कार्य करने से रोक
देता है।
5. उत्प्रेषण लेख -
जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी बिना अधिकार के कोई कार्य करता है तो
न्यायालय उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उससे लेकर उत्प्रेषण द्वारा उसे ऊपर की
अदालत या अधिकारी को हस्तांतरित कर देता है।
प्रश्न 22. संविधान निर्माण की प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर. भारत का संविधान विश्व का
सर्वाधिक बड़ा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया काफी
लंबी रही है और इसे बनने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा है। भारतीय
संविधान निर्माण की प्रक्रिया को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं
-
1. भारतीय संविधान
का निर्माण कैबिनेट मिशन के द्वारा प्रस्तावित योजना पर आधारित था जिसके आधार पर
प्रत्येक प्रांत और देशी रियासत के समूह को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें दी
गई थी। मोटे तौर पर दस लाख की जनसंख्या पर एक सीट का अनुपात रखा गया था।
2. संविधान सभा की
कुल सदस्य संख्या विभाजन से पूर्व 389 निर्धारित
की गई थी। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद भारत की संविधान सभा में 299 सदस्य ही रह गए थे।
3. भारतीय संविधान
सभा का चुनाव चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया
गया। भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई।
4. भारत का संविधान
संविधान सभा के द्वारा 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन में बनाया गया। 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार
हुआ जिस पर 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए।
5. संविधान सभा के
अस्थाई अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद सिन्हा थे और बाद में डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान
सभा के स्थाई अध्यक्ष बनाए गए।
6. संविधान सभा
आमतौर पर किसी भी प्रावधान को जोड़ने के लिए सर्वसम्मति का प्रयोग करती थी और
विभिन्न तरह से वाद-विवाद करने के बाद किसी भी प्रावधान को संविधान में शामिल किया
जाता था।
7. संविधान का
निर्माण करने के लिए विभिन्न प्रकार की समितियों का भी निर्माण किया गया था और
आमतौर पर जवाहरलाल नेहरू राजेंद्र प्रसाद सरदार वल्लभभाई पटेल मौलाना आजाद और
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर इन समितियों के अध्यक्ष बनाए गए थे।
8. संविधान सभा ने
लगभग 166 दिनों तक बैठकें की और संविधान का
निर्माण पूर्ण किया जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया।
प्रश्न 23. भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर. भारत में संघीय कार्यपालिका का
प्रधान राष्ट्रपति है तथा संघ की सभी कार्यपालिका शक्ति उसमें निहित होती हैं
जिनका प्रयोग वह संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों के माध्यम
से करता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा किया जाता
है जिसका वर्णन अनुच्छेद 55 में किया गया है।
राष्ट्रपति के निर्वाचन प्रक्रिया को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते
हैं -
1. भारत के
राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसके सदस्य लोकसभा
तथा राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य तथा राज्य की विधानसभाओं के सदस्य होते हैं।
2. भारत के
राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत
प्रणाली द्वारा किया जाता है और यह निर्वाचन गुप्त होता है।
3. राष्ट्रपति के
निर्वाचन में एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ होता है
कि यदि राष्ट्रपति पद के लिए एक से अधिक उम्मीदवार है तो प्रत्येक मतदाता उतने मत
वरीयता क्रम से देगा जितने प्रत्याशी हैं अर्थात प्रत्येक मतदाता प्रत्येक
प्रत्याशी को अपना मत वरीयता क्रम में देगा। उदाहरण के लिए यदि राष्ट्रपति पद के
लिए तीन उम्मीदवार हैं तो मतदाता तीनों प्रत्याशियों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय वरीयता के अनुसार अपना मत देगा।
4. राष्ट्रपति पद
के चुनाव में उसी उम्मीदवार को सफल घोषित किया जाता है जिसने कुल वैध मतों के आधे
से कम से कम एक मत अधिक अर्थात 50% से अधिक
प्राप्त किया हो। इसे न्यूनतम कोटा भी कहा जाता है जो प्रत्याशी न्यूनतम कोटा
प्राप्त कर लेता है उसे सफल घोषित किया जाता है।
प्रश्न 24.
मंत्री परिषद और मंत्रिमंडल में क्या मुख्य अंतर है? दोनों
में कौन अधिक महत्वपूर्ण है और क्यों?
उत्तर. मंत्री परिषद - प्रधानमंत्री की
नियुक्ति हो जाने के बाद प्रधानमंत्री जीते हुए उम्मीदवारों में से प्रमुख नेताओं
को राष्ट्रपति द्वारा मंत्री बनवाता है।
मंत्री मंडल - मंत्री परिषद के कुछ खास
और महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्रियों को मिलाकर एक मंत्रिमंडल तैयार किया जाता
है।
मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में प्रमुख
अंतर इस प्रकार है -
1. मंत्री परिषद एक
संवैधानिक संस्था है जिसका संविधान में वर्णन किया गया है लेकिन मंत्रिमंडल कोई
संवैधानिक संस्था नहीं है बल्कि इसका निर्माण प्रशासनिक कार्यों को बेहतर करने के
लिए किया गया है।
2. मंत्री परिषद एक
बड़ी सभा होती है और इसमें कई सारे मंत्री होते हैं वहीं दूसरी तरफ मंत्रिमंडल में
बहुत ही सीमित मंत्री होते हैं जिनकी संख्या 10 से 15 तक होती है। मंत्रिमंडल एक छोटी सभा है जिस की बैठक आसानी से बार-बार
बुलाई जा सकती है।
3. वर्तमान समय में
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मंत्रिमंडल की भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है और यह एक
महत्वपूर्ण सभा बन गई है वहीं दूसरी तरफ मंत्री परिषद एक आम सभा है और इसकी भूमिका
मंत्रिमंडल की भूमिका से अत्यंत कम है।
मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में अधिक
महत्वपूर्ण सभा - यदि हम मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल का तुलनात्मक अध्ययन करें तो
हम कह सकते हैं कि मंत्रिमंडल मंत्री परिषद की तुलना में अत्यधिक महत्वपूर्ण सभा
है। मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण भूमिका होने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक यह है कि
इसमें देश के बहुत ही महत्वपूर्ण मंत्रालय के मंत्री शामिल होते हैं जो कि
प्रधानमंत्री के साथ निरंतर देश के गंभीर मामलों पर चर्चा करते हैं और नीतियां
बनाने का कार्य करते हैं। मंत्रिमंडल की महत्व इसलिए भी है क्योंकि मंत्रिमंडल की
बैठक आमतौर पर आसानी से बुलाई जा सकती है और प्रधानमंत्री बहुत तेजी से अपनी इस
मंत्रिमंडल की बैठक से नीतियां बना पता है और निर्णय ले पाता है।